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मुस्लिम महिलाओं को मिलेगा इंसाफ! सुप्रीम कोर्ट में ट्रिपल तलाक पर सुनवाई शुरू

मुस्लिमों में प्रचलित ट्रिपल तलाक के मुद्दे पर गुरुवार (11 मई) को सुप्रीम कोर्ट में पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ सुनवाई शुरू होगी। इसके अलावा बहुविवाह और निकाह हलाला के मुद्दे पर भी अहम सुनवाई होनी है।

tiwarishalini
Published on: 11 May 2017 5:48 AM IST
मुस्लिम महिलाओं को मिलेगा इंसाफ! सुप्रीम कोर्ट में ट्रिपल तलाक पर सुनवाई शुरू
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नई दिल्ली: मुस्लिमों में प्रचलित ट्रिपल तलाक के मुद्दे पर गुरुवार (11 मई) को सुप्रीम कोर्ट में पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ सुनवाई शुरू हो गई है। इसके अलावा बहुविवाह और निकाह हलाला के मुद्दे पर भी अहम सुनवाई होनी है।

कोर्ट मौलिक अधिकारों को संवैधानिक दायरे में परखेगा। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया जेएस खेहर संविधान पीठ की अध्यक्षता करेंगे। कुल सात याचिकाएं सुनवाई के लिए लगी हैं, जिनमें पांच पीड़ित महिलाओं की ओर से हैं। रोचक बात यह है कि इस केस की सुनवाई करने वाले पांचों जज अलग-अलग समुदाय का प्रतिनिधित्व करते हैं। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस जे एस खेहर सिख समुदाय से हैं तो जस्टिस कुरियन जोसेफ इसाई हैं। आर. एफ नरीमन पारसी हैं तो यूयू दलित हिंदू और अब्दुल नजीर मुस्लिम समुदाय से हैं।

इस मामले की शुरुआत कोर्ट ने मुस्लिम महिलाओं के बराबरी के हक को देखते हुए स्वत: संज्ञान लेते हुए की थी। बाद में, पीड़ित महिलाओं ने भी तीन तलाक, निकाह हलाला और बहुविवाह को चुनौती दे दी।

सुप्रीम कोर्ट ने अभी तक विचार के बिंदु तय नहीं किए हैं। हालांकि, शुरुआत में ही कोर्ट ने साफ कर दिया था कि वह संवैधानिक दायरे में कानूनी मुद्दे पर विचार करेगा।

किसी की व्यक्तिगत याचिकाओं पर विचार नहीं होगा। कोर्ट ने सभी संबंधित पक्षकारों को लिखित दलीलें दाखिल करने के छूट देते हुए गर्मी की छुट्टियों में 11 मई से नियमित सुनवाई करने का फैसला लिया था। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कोर्ट को दिए लिखित जवाब में सुनवाई का विरोध किया है।

गौरतलब है कि फरवरी 2016 में उत्तराखंड की रहने वाली शायरा बानो (38) पहली महिला थीं जिन्होंने ट्रिपल तलाक, बहुविवाह और निकाह हलाला पर बैन लगाने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में पिटीशन दायर की। शायरा को भी उनके पति ने ट्रिपल तलाक दिया था। इसके अलावा इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 9 मई को ही एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा था कि संविधान से ऊपर कोई पर्सनल लॉ नहीं है। ट्रिपल तलाक सं‌विधान के खिलाफ है। संविधान के दायरे में ही पर्सनल लॉ लागू हो सकता है।

ट्रिपल तलाक

ट्रिपल तलाक यानी पति तीन बार ‘तलाक’ शब्द बोलकर अपनी पत्नी को छोड़ सकता है।

बहुविवाह

बहुविवाह यानी एक से ज्यादा पत्नियां रखना।

निकाह हलाला

अपने पहले शौहर (पति) के पास लौटने के लिए अपनाई जाने वाली एक प्रॉसेस को निकाह हलाला कहते हैं।

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tiwarishalini

Excellent communication and writing skills on various topics. Presently working as Sub-editor at newstrack.com. Ability to work in team and as well as individual.

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