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Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की याचिका, कहा-सांसदों-विधायकों की भी होती है निजता, क्या उनके शरीर में चिप लगा दी जाए?

Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को बेहतर प्रशासन के लिए सांसदों विधायकों की 24 घंटे डिजिटल निगरानी की मांग वाली जनहित याचिका को खारिज करते हुए कहा कि क्या उनके शरीर में चिप लगा दी जाए? ये कैसी मांग है। कोर्ट ने याचिका को आधारहीन मानते हुए खारिज कर दिया।

Ashish Kumar Pandey
Published on: 1 March 2024 3:58 PM GMT
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Supreme Court (Pic:Social Media)

Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को बेहतर प्रशासन के लिए सांसदों, विधायकों की 24 घंटे डिजिटल निगरानी की मांग वाली जनहित याचिका को खारिज कर दिया। शीर्ष कोर्ट ने कहा कि सांसदों, विधायकों की भी निजता होती है, 24 घंटे निगरानी कैसे हो सकती है। क्या उनके शरीर में चिप लगा दी जाए? ये कैसी मांग है। कोर्ट ने याचिका को आधारहीन मानते हुए खारिज कर दिया।

याचिका में की गई थी निगरानी की मांग

दिल्ली के रहने वाले डाक्टर सुरेन्द्र नाथ कुंद्रा ने सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल कर मांग की थी कि सांसदों, विधायकों की 24 घंटे डिजिटल निगरानी होनी चाहिए। यह याचिका शुक्रवार को चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय बेंचे के सामने सुनवाई पर लगी थी।

बेंच ने इस मामले पर सुनवाई की शुरुआत में ही याचिका पर सवाल उठाते हुए कुंद्रा को चेताया था कि अगर वे इस याचिका पर बहस करेंगे और कोर्ट ने उनकी दलीलें स्वीकार नहीं कीं, तो अदालत का समय बर्बाद करने के लिए उन पर पांच लाख का जुर्माना लगाया जाएगा, जिसकी वसूली भू-राजस्व के रूप में की जा सकती है।

इसे अदालत का अहंकार न समझा जाए?

तीन सदस्यीय बेंच ने कहा कि इसे अदालत का अहंकार न समझा जाए, यह जनता का कीमती समय बर्बाद होने की बात है। इसके बाद कुंद्रा ने याचिका पर स्वयं बहस करते हुए कहा कि जनप्रतिनिधि जनता के वेतनभोगी सेवक होते हैं वे जनता की बात कहने के लिए चुने जाते हैं, लेकिन निर्वाचित होने के बाद वे शासक की तरह व्यवहार करने लगते हैं।

उन्होंने कहा कि सांसदों विधायकों की लगातार निगरानी के लिए हर जगह जहां वे जाते हैं रहते हैं सीसीटीवी कैमरे लगाए जाने चाहिए ताकि 24 घंटे उनकी डिजिटल निगरानी हो। उनकी इस दलील पर बेंच ने कहा कि आपको अहसास है कि आप क्या दलील दे रहे हैं। आप सांसदों, विधायकों की 24 घंटे निगरानी की मांग कर रहे हैं। ये कैसे हो सकता है? सांसदों विधायकों की भी निजता होती है। आपके मुताबिक क्या उनके शरीर में चिप लगा दी जाए 24 घंटे निगरानी के लिए। ऐसा तो दोषी अपराधियों के लिए होता है जो भाग सकता है।

पीठ ने कहा कि आप सभी सांसदों, विधायकों के लिए ऐसा नहीं कह सकते। चीफ जस्टिस ने कहा कि दुनिया के किसी भी लोकतंत्र में कोई व्यक्ति कानून नहीं बनाता है उनके चुने हुए प्रतिनिधि ही कानून बनाते हैं। कोर्ट ने कहा जैसी आपकी मांग है ऐसे में तो लोग कहेंगे कि हमें न्यायाधीशों की जरूरत नहीं है, हम सड़कों पर फैसला कर लेंगे और चोरी के आरोपी को मार डालेंगे, तो क्या हम चाहते हैं, ऐसा हो।

याचिका को बताया आधारहीन

कोर्ट ने याचिका को आधारहीन बताते हुए खारिज कर दिया। कोर्ट ने आदेश में दर्ज किया कि याचिकाकर्ता को शुरू में ही चेतावनी दी गई थी कि मामले में बहस करने पर जुर्माना लगाया जा सकता है हालांकि कोर्ट जुर्माना लगाने के बजाए भविष्य में ऐसी याचिका न दाखिल करने की चेतावनी देते हुए छोड़ रहा है।

Shashi kant gautam

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