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Misleading Advertisement Case : 'राज्य सरकारों के खिलाफ होगी अवमानना की कार्यवाही', भ्रामक विज्ञापन मामले पर सुप्रीम कोर्ट सख्त

Misleading Ads : सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति अभय ओका और न्यायमूर्ति उज्जवल भुयान की पीठ ने कहा कि हम यह स्पष्ट करते हैं कि जहां भी हमें राज्यों या केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा गैर-अनुपालन मिलेगा, हम संबंधित राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के खिलाफ न्यायालय की अवमानना ​​अधिनियम के तहत कार्रवाई करेंगे।

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Newstrack Network
Published on: 15 Jan 2025 8:54 PM IST
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सुप्रीम कोर्ट (Pic - Social Media)

Misleading Ads : सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को भ्रामक चिकित्सा विज्ञापनों के खिलाफ कार्रवाई करने में विफल रहने वाले राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के खिलाफ अवमानना ​​कार्यवाही शुरू करने की चेतावनी दी है। बता दें कि कोर्ट ने वरिष्ठ वकील शादान फरासत को ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज (आपत्तिजनक विज्ञापन) अधिनियम (डीएमआर अधिनियम), ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स अधिनियम (डीसी अधिनियम), और उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम (सीपीए) का उल्लंघन करने वाले विज्ञापनों के खिलाफ कार्रवाई के कार्यान्वयन की निगरानी करने के लिए कहा था, उन्होंने अपनी रिपोर्ट पेश की है।

सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति अभय ओका और न्यायमूर्ति उज्जवल भुयान की पीठ ने कहा कि हम यह स्पष्ट करते हैं कि जहां भी हमें राज्यों या केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा गैर-अनुपालन मिलेगा, हम संबंधित राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के खिलाफ न्यायालय की अवमानना ​​अधिनियम के तहत कार्रवाई करेंगे। वरिष्ठ वकील शादान फरासत की बुधवार की रिपोर्ट ने संकेत दिया कि कई राज्य तीन कानूनों के तहत व्यक्तियों और कंपनियों के खिलाफ मामलों को आगे बढ़ाने में धीमे थे। इसने उद्यमी रामदेव के खिलाफ एक मामले का संदर्भ दिया, जिसमें रेखांकित किया गया कि वह उत्तराखंड के हरिद्वार जिले में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष उनके खिलाफ लंबित आपराधिक मुकदमे में सहयोग नहीं कर रहे थे।

सहयोग नहीं कर रहे रामदेव

वरिष्ठ वकील फरासत की रिपोर्ट में कहा गया है कि यह बात न्यायमित्र के संज्ञान में आई है कि प्रतिवादी संख्या 7 (रामदेव) ड्रग्स एंड मैजिकल रेमेडीज एक्ट, 1954 के तहत उनके खिलाफ चल रही कानूनी कार्यवाही में सहयोग नहीं कर रहे हैं। मामले की गंभीरता को देखते हुए न्यायमित्र ने लंबित मामले में पिछली सात तारीखों पर प्रतिवादी संख्या 7 की गैरहाजिरी का ब्यौरा प्रस्तुत किया है। इसमें कहा गया है कि आरोपी की अनुपस्थिति के कारण इन सात तारीखों में से पांच पर मामले को स्थगित कर दिया गया था। दो मौकों पर तो पीठासीन न्यायाधीश भी छुट्टी पर थे।

अवमानना की कार्यवाही बंद हो गई थी

बता दें कि पिछले साल 14 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने रामदेव और पतंजलि के प्रबंध निदेशक बालकृष्ण के खिलाफ अवमानना ​​कार्यवाही बंद कर दी थी। उन्होंने बिना शर्त माफी मांगी थी और दिव्य फार्मेसी द्वारा बनाए गए उत्पादों के बारे में भ्रामक विज्ञापन और दावे न करने का नया वचन दिया था। ये कार्यवाही भारतीय चिकित्सा संघ (आईएमए) द्वारा पतंजलि आयुर्वेद के संस्थापकों रामदेव और बालकृष्ण के खिलाफ दायर याचिका पर हुई थी। इन पर कथित तौर पर उनके उत्पादों की प्रभावशीलता और लाभों के बारे में भ्रामक दावे करने का आरोप है।

शीर्ष अदालत द्वारा 10 फरवरी को दिल्ली, आंध्र प्रदेश, गुजरात, गोवा और केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर द्वारा की गई कार्रवाई की निगरानी का पहला बैच शुरू किए जाने की उम्मीद है। पिछले साल मई में अदालत ने राज्यों में लाइसेंसिंग अधिकारियों को 2018 से भ्रामक विज्ञापनों के संबंध में दर्ज मामलों पर रिपोर्ट देने का निर्देश दिया था। बाद के आदेशों में अदालत ने कानून का पालन करने में कुछ बाधा उत्पन्न करने के लिए दंड लगाने में विफल रहने के लिए राज्यों की खिंचाई की।

अधिकांश राज्यों ने नहीं लागू किए कानून

वरिष्ठ वकील फरासत ने कहा कि अधिकांश राज्यों ने उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कानून लागू नहीं किए हैं और बार-बार उल्लंघन करने वालों के खिलाफ भी शायद ही कोई दंड लगाया गया हो। उन्होंने कहा कि राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा दायर हलफनामों को पढ़ने से पता चलता है कि शिकायतों की नगण्य संख्या का कारण उनके अधिकार क्षेत्र में आयुर्वेदिक दवा इकाइयों की अनुपस्थिति है। अधिकांश राज्यों को यह गलतफहमी है कि यदि राज्य में दवा इकाई स्थापित या पंजीकृत नहीं है, तो अधिकारी डीएमआर अधिनियम के तहत कार्रवाई करने के हकदार नहीं हैं। फरासत ने कहा कि यह गलत है।



Rajnish Verma

Rajnish Verma

Content Writer

वर्तमान में न्यूज ट्रैक के साथ सफर जारी है। बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय से पत्रकारिता की पढ़ाई पूरी की। मैने अपने पत्रकारिता सफर की शुरुआत इंडिया एलाइव मैगजीन के साथ की। इसके बाद अमृत प्रभात, कैनविज टाइम्स, श्री टाइम्स अखबार में कई साल अपनी सेवाएं दी। इसके बाद न्यूज टाइम्स वेब पोर्टल, पाक्षिक मैगजीन के साथ सफर जारी रहा। विद्या भारती प्रचार विभाग के लिए मीडिया कोआर्डीनेटर के रूप में लगभग तीन साल सेवाएं दीं। पत्रकारिता में लगभग 12 साल का अनुभव है। राजनीति, क्राइम, हेल्थ और समाज से जुड़े मुद्दों पर खास दिलचस्पी है।

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