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Maharashtra: महाराष्ट्र के स्पीकर को सुप्रीमकोर्ट की सख्त फटकार, क्यों नहीं तय कर रहे विधायकों की अयोग्यता

Maharashtra: मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, किसी को स्पीकर को सलाह देनी होगी कि वह सुप्रीम कोर्ट के आदेशों को खारिज नहीं कर सकते और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से इस मुद्दे पर निर्णय लेने की समयसीमा के बारे में अदालत को अवगत कराने को कहा।

Neel Mani Lal
Written By Neel Mani Lal
Published on: 13 Oct 2023 4:11 PM IST
Supreme Court
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Supreme Court (Pic:Social Media) 

Maharashtra: सुप्रीम कोर्ट ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और कई विधायकों की अयोग्यता की याचिका पर फैसला करने में देरी के लिए महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष को कड़ी फटकार लगाई है और कहा है कि स्पीकर शीर्ष अदालत के आदेशों को खारिज नहीं कर सकते। मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, किसी को स्पीकर को सलाह देनी होगी कि वह सुप्रीम कोर्ट के आदेशों को खारिज नहीं कर सकते और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से इस मुद्दे पर निर्णय लेने की समयसीमा के बारे में अदालत को अवगत कराने को कहा।

नाराज दिख रहे सीजेआई ने कहा कि अयोग्यता याचिकाओं पर फैसला अगले विधानसभा चुनाव से पहले लेना होगा, नहीं तो पूरी प्रक्रिया निरर्थक हो जाएगी। पीठ ने कहा कि अगर वह अध्यक्ष की समयसीमा से संतुष्ट नहीं है तो वह निर्देश देगी कि निर्णय दो महीने के भीतर लिया जाए। पीठ ने कहा कि जब भारत के संविधान के विपरीत कोई निर्णय होता है तो इस अदालत की रिट चलनी चाहिए, पीठ ने संकेत दिया कि वह याचिका पर अगले हफ्ते सुनवाई कर सकती है।

कोर्ट तय कर देगी समय सीमा

पीठ ने कहा कि अगर वह स्पीकर की समयसीमा से संतुष्ट नहीं है तो वह निर्देश देगी कि दो महीने के भीतर फैसला लिया जाये। पीठ ने कहा, ''जब भारत के संविधान के विपरीत कोई फैसला आता है तो इस अदालत की आज्ञा चलनी चाहिए।'' शीर्ष अदालत ने 18 सितंबर को महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष को शिंदे और अन्य विधायकों के खिलाफ अयोग्यता याचिकाओं पर फैसले के लिए समयसीमा बताने का निर्देश दिया था।

दोनों गुटों की याचिकाएं

  • एकनाथ शिंदे और 39 विधायकों के मूल पार्टी से अलग होने और सरकार बनाने के लिए भाजपा के साथ जाने के बाद पिछले साल शिव सेना के गुटों ने एक-दूसरे के खिलाफ अयोग्यता याचिकाएं दायर कीं।
  • जुलाई में स्पीकर ने शिंदे के नेतृत्व वाली सेना के 40 और ठाकरे गुट के 14 विधायकों को नोटिस जारी कर उनके खिलाफ अयोग्यता याचिकाओं पर जवाब मांगा था। कुल 54 विधायकों के खिलाफ नोटिस जारी किया गया था। लेकिन पिछले साल शिवसेना के विभाजन के बाद चुनी गई सेना (यूबीटी) विधायक रुतुजा लटके के खिलाफ नोटिस जारी नहीं किया गया था।
  • अविभाजित शिवसेना के मुख्य सचेतक के रूप में ठाकरे गुट के सुनील प्रभु ने पिछले साल पार्टी में विद्रोह और इसके परिणामस्वरूप विभाजन के बाद शिंदे और 15 अन्य विधायकों के खिलाफ अयोग्यता याचिका दायर की थी।
  • इस साल 11 मई को सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया कि शिंदे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने रहेंगे। इसने यह भी कहा कि वह ठाकरे के नेतृत्व वाली महा विकास अघाड़ी (एमवीए) गठबंधन सरकार को बहाल नहीं कर सकती क्योंकि बाद में शिंदे के विद्रोह के मद्देनजर फ्लोर टेस्ट का सामना किए बिना इस्तीफा देने का फैसला किया गया।
  • शिवसेना (यूबीटी) नार्वेकर पर अयोग्यता याचिकाओं पर निर्णय लेने में जानबूझकर देरी करने का आरोप लगा रही है।
  • 21 सितंबर को, नार्वेकर ने कहा कि वह कुछ शिवसेना विधायकों की अयोग्यता याचिकाओं पर फैसले में देरी नहीं करेंगे, लेकिन इसमें जल्दबाजी भी नहीं करेंगे क्योंकि इसके परिणामस्वरूप "न्याय का गर्भपात" हो सकता है।


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Durgesh Sharma

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