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तीन तलाक: सुप्रीम कोर्ट ने कहा- बहुविवाह और निकाह हलाला की भी होगी समीक्षा
नई दिल्ली: तीन तलाक मामले में सुप्रीम कोर्ट में आज सोमवार (15 मई) को एक बार फिर ऐतिहासिक सुनवाई शुरू हुई। इस दौरान कोर्ट ने कहा, कि 'आगे बहुविवाह और निकाह हलाला की भी समीक्षा होगी।' सुप्रीम कोर्ट में मुकुल रोहतगी ने कोर्ट से इसकी मांग की थी।
बता दें, कि तीन तलाक केस में अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने केंद्र सरकार की तरफ से सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की संवैधानिक पीठ के सामने अपना पक्ष रखा। कोर्ट ने कहा, कि 'हमारे पास सीमित समय है, अागे इसकी समीक्षा होगी।'
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..तो हम क्यों नहीं खत्म कर सकते तीन तलाक?
सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा कि 'अगर ईरान, सऊदी अरब, इराक, मिस्र, लीबिया और सूडान जैसे देश तीन तलाक जैसे कानून को खत्म कर चुके हैं, तो हम क्यों नहीं कर सकते। उन्होंने तीन तलाक को एकतरफ़ा बताया।
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पीठ तीन तलाक की वैधानिकता पर कर रही विचार
कोर्ट ने केंद्र से सोमवार को अपना पक्ष रखने को कहा था। अभी तक कोर्ट में दलीलें रखने वाले सभी पक्षों ने एक साथ तीन तलाक बोलने की व्यवस्था को खत्म करने की पैरवी की है। सुप्रीम कोर्ट की पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ तीन तलाक की वैधानिकता पर विचार कर रही है।
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केंद्र तीन तलाक की प्रथा का विरोध करती है
इससे पहले 11 मई को केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था, कि वह तीन तलाक की प्रथा का विरोध करती है और महिला समानता व लैंगिग न्याय के लिए लड़ना चाहती है। हालांकि, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के वकील कपिल सिब्बल ने कहा, कि 'तीन तलाक का मामला मुस्लिम बोर्ड के अंतर्गत आता है, इसलिए उनकी राय में सुप्रीम कोर्ट को इस मामले में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए।'
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जेठमलानी बोले- तीन तलाक असंवैधानिक है
सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील राम जेठमलानी भी तीन तलाक की एक पीड़िता की ओर से कोर्ट में पेश हुए। उन्होंने कहा, कि 'संविधान के अनुच्छेद- 14 और 15 सभी नागरिकों को बराबरी का हक देता है। इसकी रोशनी में तीन तलाक असंवैधानिक है।' राम जेठमलानी ने दावा किया कि वो बाकी मजहबों की तरह इस्लाम के भी छात्र हैं। उन्होंने हजरत मोहम्मद को ईश्वर के महानतम पैगंबरों में से एक बताया और कहा, कि उनका संदेश तारीफ के काबिल है।