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राममंदिर विवाद पर सात साल बाद 11 से होगी सुनवाई , तीन जज शामिल
लखनऊ /दिल्ली। सात साल के बाद अब सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या राममंदिर विवाद पर सुनवाई होने जा रही है। तीन सदस्य वाली इस बेंच में जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस अब्दुल नज़ीर शामिल हैं। ग्यारह अगस्त से ये पीठ अयोध्या में राम मंदिर मस्जिद टाइटल विवाद पर इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ अपनी सुनवाई करेगी।
हालांकि, इस तरह से अचानक सुनवाई की तिथि सामने आने से बाबरी मस्जिद के पैरोकार आश्चर्य में हैं। इस मामले में मुख्य मुद्दई मोहम्मद हाशिम अंसारी के बेटे इक़बाल अंसारी के वकील मोहम्मद शमशाद का कहना है, कि सुप्रीम कोर्ट की तरफ से तीन सदस्य बेंच के पास सुनवाई को लेकर अचानक तय की गई तारीख अप्रत्याशित है।
शमशाद ने कहा कि अभी आगे का कुछ भी नहीं पता है, और ना ही कुछ अंदाजा लगाया जा सकता है। इस बीच हिंदु महासभा के वकील हरिशंकर जैन ने बताया कि उन्हें उम्मीद है, कि जिस तरह से सुप्रीम कोर्ट ने इस दिशा में सुनवाई को लेकर फैसला किया है उसके बाद अगले कुछ महीनों के अंदर अंतिम फैसला सुना दिया जाएगा।
यह सभी को मालूम है, कि अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण हमेशा से एक विवादित मुद्दा रहा है, और राम मंदिर को लेकर ऐतिहासिक काल से विवाद है। अगर इतिहास के पन्नों में झांकें तो पहली बार साल 1853 में हिंदु और मुस्लिम समुदायों के बीच इसको लेकर हिंसा हुई थी। यानि, ये बात आज से करीब डेढ़ सौ साल से भी ज्यादा पुरानी है। आज एक बार फिर से राम मंदिर निर्माण सुर्खियों में है और उसकी वजह है सुप्रीम कोर्ट में 11 अगस्त से राम मंदिर बाबरी मस्जिद टाइटल विवाद मामले की सुनवाई।
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले महीने यानि 21 जुलाई को ही कहा था कि वे राम मंदिर - बाबरी मस्जिद टाइटल विवाद मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ जल्द सुनवाई के बारे में फैसले करेगा।
राम नाम के मुद्दे पर दो सीट से सत्ता के शिखर तक पहुंची भारतीय जनता पार्टी लगातार राम मंदिर बनाने की पैरवी करती रही है। वो चाहे बात चुनाव के वक्त हो या फिर आम रैलियों के दौरान। हाल में जब भाजपा अध्यक्ष ने उत्तर प्रदेश का तीन दिवसीय दौरा किया तो उन्होंने राम मंदिर के मुद्दे पर अपना रुख साफ करते हुए कहा कि ये मुद्दा उनके घोषणा पत्र में है और राम मंदिर जरूर बनेगा।
अमित शाह ने कहा कि राम मंदिर का मुद्दा हमेशा से ही भाजपा के घोषणा पत्र में रहा है, लेकिन उन्होंने हमेशा यह कहा है कि कोर्ट के फैसले या फिर आपसी सहमति के आधार पर ही इस मंदिर का निर्माण किया जाएगा। भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि जब साल 1992 में विवादित बाबरी मस्जिद ढांचे को ढहाया गया था, उसके बाद से ही राम मंदिर का मुद्दा भाजपा के घोषणा पत्र में है और उसको लेकर भाजपा के रुख में किसी तरह का कोई बदलाव नहीं आया है।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद जब दूसरी बार योगी आदित्यनाथ अयोध्या के दौरे पर गए तो उन्होंने कहा कि वे पहले रामभक्त हैं। योगी आदित्यनाथ ने कहा कि सकारात्मक राजनीति से ही राम मंदिर मुद्दे का हल निकलेगा। यूपी के मुख्यमंत्री ने कहा कि अयोध्या देश की पहचान है और वे बार-बार अयोध्या आते रहेंगे।
उन्होंने उम्मीद जतायी कि सकारात्मक राजनीति से ही राम मंदिर समस्या का समाधान निकलेगा। योगी आदित्यनाथ ने कहा कि थाईलैंड के राजा भगवान राम के वंशजों में से एक हैं, और दूसरे देश भी भगवान राम को मानते हैं। उन्होंने आगे कहा कि भारत का हर बच्चा रामलीला के बारे में जानता है। हर धर्म का व्यक्ति भगवान राम के प्रति अपने प्यार को दर्शाता है।
भाजपा सांसद डॉ. सच्चिदानंद हरि साक्षी महाराज ने कहा कि अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण देशवासियों की आस्था से जुड़ा एक बड़ा विषय है। साक्षी महाराज ने बताया कि 2019 के लोकसभा चुनाव में पार्टी मंदिर निर्माण शुरू करने के बाद ही उतरेगी। भाजपा सांसद ने पत्रकारों से बातचीत में बताया, 'मंदिर निर्माण के लिए पत्थर तराशने का काम जारी है। मंदिर निर्माण का काम कभी थमा नहीं था। अब सारे बंधन और बाधाओं को दूर करने की कोशिश जारी है। लोकसभा चुनाव से पहले हर हाल में सारी बाधाएं दूर करके ही चुनाव मैदान में जाएंगे।'