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SC vs Centre: कोलेजियम की सिफारिशों पर बढ़ा विवाद, सरकार ने 21 में 19 नाम ठुकराए, 10 जजों पर अड़ा सुप्रीम कोर्ट

SC vs Centre: जजों की नियुक्ति को लेकर सुप्रीम कोर्ट और केंद्र सरकार के बीच तनातनी बढ़ती ही जा रही है। सरकार ने 21 जजों में से 19 नाम वापस कर दिए हैं।

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Written By aman
Published on: 30 Nov 2022 7:00 AM GMT (Updated on: 30 Nov 2022 7:21 AM GMT)
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SC vs Centre: जजों की नियुक्ति को लेकर सुप्रीम कोर्ट और केंद्र सरकार के बीच तनातनी बढ़ती ही जा रही है। सरकार ने 21 जजों में से 19 नाम वापस कर दिए हैं। दरअसल, कोलेजियम द्वारा जजों की नियुक्ति को लेकर सरकार और शीर्ष अदालत में ठनी हुई है। इंडियन एक्सप्रेस की खबर की मानें तो सर्वोच्च न्यायालय ने कॉलेजियम की तरफ से सरकार को 21 जजों के नामों वाली लिस्ट सौंपी थी। जिसमें सरकार ने 19 नाम वापस कर दिए। बता दें, ये सिफारिश हाईकोर्ट के जजों की नियुक्ति को लेकर की गई थी।

अंग्रेजी समाचार दैनिक की मानें, तो सरकार ने कोलेजियम की सिफारिश वाले कई नामों को ठुकरा दिया है। वहीं, सर्वोच्च अदालत भी इनमें से कुछ नामों पर अड़ गया है। कहा जा रहा कि 10 जजों के नाम ऐसे हैं जिस पर सुप्रीम कोर्ट और केंद्र सरकार आमने-सामने है।

कोलेजियम ने 19 में 10 नामों को दोहराया था

रिपोर्ट मुताबिक, सरकार की ओर से 19 जजों के नामों को तब ठुकराया गया, जब सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर सुनवाई करने जा रहा था। बता दें कि, जजों की नियुक्ति को लेकर सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) में 28 नवंबर को सुनवाई हुई थी। कहा जा रहा है जिन 19 नामों पर विवाद है उनमें 10 नाम ऐसे हैं जिन्हें कॉलेजियम की तरफ से दोहराया गया था। शेष 9 नाम पहले की सिफारिश से ही लंबित हैं।

2 जजों के नाम स्वीकारे गए

आपको बता दें कि, कॉलेजियम की तरफ से कुल 21 नामों को भेजा गया था। इनमें दो जजों के नामों को सरकार ने स्वीकार कर लिया था। स्वयं कानून मंत्री किरेन रिजिजू (Law Minister Kiren Rijiju) ने ट्वीट कर इस बात की जानकारी दी थी। इनमें एडवोकेट संतोष गोविंद (Advocate Santosh Govind) और मिलिंद मनोहर (Milind Manohar) शामिल हैं। इन्हें बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay High Court) में बतौर जज नियुक्ति किया गया है। कोलेजियम ने इन नामों की सिफारिश इसी वर्ष 12 सितंबर को की थी।

किन नामों की दोबारा हुई सिफारिश

सर्वोच्च न्यायालय कॉलेजियम की तरफ से जिन नामों की दोबारा सिफारिश हुई थी, जिसके बाद सरकार से तनातनी बढ़ी, उनमें रिशद मुर्तजा (Rishad Murtaza), शिशिर जैन (Shishir Jain), ध्रुव माथुर (Dhruv Mathur), विमलेंदु त्रिपाठी (Vimalendu Tripathi) और मनु खरे (Manu Khare) के नाम भी शामिल थे। इनके साथ-साथ अन्य जन्मों को भी कॉलेजियम की तरफ से दोबारा सरकार के पास भेजा गया था।इनमें रिशद मुर्तजा का नाम ऐसा है जिन्हें सबसे पहले 24 अगस्त 2021 में सुझाया गया था। उसके बाद फिर 14 जुलाई 2022 को दोहराया गया।

सरकार सिफारिशों को क्यों ठुकरा रही?

जानकारी के लिए बता दें, कि इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई भी हो चुकी है। इसी दौरान अदालत ने सरकार से पूछा था कि आखिर क्यों कॉलेजियम की सिफारिशों वाले नामों को नहीं मान रही है। 11 नवंबर को जस्टिस किशन कौल (Justice Kishan Kaul) की अध्यक्षता वाली शीर्ष अदालत की दो जजों की बेंच ने कानून मंत्रालय के सचिव तथा अतिरिक्त सचिव (प्रशासन और नियुक्ति) को एक नोटिस जारी किया था। इस नोटिस में पूछा गया था कि सरकार कॉलेजियम की सिफारिशों को क्यों ठुकरा रही है? ये भी बता दें, कि चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ कॉलेजियम (CJI DY Chandrachud) की अध्यक्षता करते हैं जिसमें जस्टिस कौल भी शामिल हैं।

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अमन कुमार - बिहार से हूं। दिल्ली में पत्रकारिता की पढ़ाई और आकशवाणी से शुरू हुआ सफर जारी है। राजनीति, अर्थव्यवस्था और कोर्ट की ख़बरों में बेहद रुचि। दिल्ली के रास्ते लखनऊ में कदम आज भी बढ़ रहे। बिहार, यूपी, दिल्ली, हरियाणा सहित कई राज्यों के लिए डेस्क का अनुभव। प्रिंट, रेडियो, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया चारों प्लेटफॉर्म पर काम। फिल्म और फीचर लेखन के साथ फोटोग्राफी का शौक।

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