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Supreme Court :सुप्रीम कोर्ट की अहम टिप्पणी, कहा-‘अवमानना का प्रयोग करते समय अदालतों को भावनाओं में नहीं बहना चाहिए‘

Supreme Court : यह टिप्पणी जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस संजय करोल की बेंच ने कलकत्ता हाई कोर्ट के उस आदेश को रद्द करते हुए की जिसमें अदालत की अवमानना के लिए एक डॉक्टर का लाइसेंस रद्द कर दिया गया था।

Ashish Pandey
Published on: 30 July 2023 5:25 PM IST
Supreme Court :सुप्रीम कोर्ट की अहम टिप्पणी, कहा-‘अवमानना का प्रयोग करते समय अदालतों को भावनाओं में नहीं बहना चाहिए‘
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Supreme Court :देश की शीर्ष कोर्ट ने एक अहम टिप्पणी करते हुए कहा कि अवमानना क्षेत्राधिकार का प्रयोग करते समय अदालतों को अति संवेदनशील नहीं होना चाहिए या भावनाओं में नहीं बहना चाहिए। यह टिप्पणी जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस संजय करोल की बेंच ने कलकत्ता हाई कोर्ट के उस आदेश को रद्द करते हुए की जिसमें अदालत की अवमानना के लिए एक डॉक्टर का लाइसेंस रद्द कर दिया गया था।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि न्यायालय ने बार-बार कहा है कि अदालतों द्वारा प्राप्त अवमानना क्षेत्राधिकार का उद्देश्य केवल मौजूदा न्यायिक प्रणाली के विश्वास को कायम रखना है। इस शक्ति का प्रयोग करते समय अदालतों को अत्यधिक संवेदनशील नहीं होना चाहिए या भावनाओं में नहीं बहना चाहिए, बल्कि विवेकपूर्ण तरीके से कार्य करना चाहिए। बेंच ने कहा कि अवमानना कार्यवाही में दंड के तौर पर डॉक्टर का लाइसेंस निलंबित नहीं किया जा सकता।

बेंच ने कहा, एक मेडिकल प्रैक्टिशनर पेशेवर कदाचार के लिए भी कोर्ट की अवमानना का दोषी हो सकता है, लेकिन यह संबंधित व्यक्ति के अवमाननापूर्ण आचरण की गंभीरता या प्रकृति पर निर्भर करेगा। हालांकि, ये अपराध एक दूसरे से अलग और भिन्न होते हैं। पहला कोर्ट की अवमानना अधिनियम, 1971 द्वारा विनियमित है और दूसरा राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग अधिनियम, 2019 के अधिकार क्षेत्र के तहत है।

सुप्रीम कोर्ट कलकत्ता हाई कोर्ट की एक खंडपीठ के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसने सिंगल बेंच के विभिन्न आदेशों को बरकरार रखा था। सिंगल बेंच ने अनधिकृत निर्माण को हटाने में विफलता के लिए अपीलकर्ता के खिलाफ शुरू की गई अवमानना कार्यवाही में दंड के रूप में अपीलकर्ता का मेडिकल लाइसेंस निलंबित कर दिया था।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि डॉक्टर ने पिछले हिस्से में लगभग 250 मिमी के अपवाद के साथ अपेक्षित विध्वंस किया है क्योंकि यह कानूनी रूप से निर्मित इमारत को असुरक्षित बना देगा। बेंच ने कहा, जो अनाधिकृत निर्माण बचा है, उसके संबंध में हम निर्देश देते हैं कि संबंधित हाई कोर्ट के समक्ष एक शपथ पत्र प्रस्तुत किया जाए कि मौजूदा इमारत की सुदृढ़ता की रक्षा के लिए उपचारात्मक निर्माण और उसके परिणामस्वरूप अनाधिकृत निर्माण को ध्वस्त करने का काम उचित समय के अंदर पूरा किया जाएगा।



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