हेट क्राइम पर योगी सरकार को 'सुप्रीम' फटकार, अदालत ने मंशा पर उठाए सवाल, पूछा- डेढ़ साल बाद क्यों दर्ज हुई FIR?

SC on Hate Crime: नोएडा में हुए हेट स्पीच मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को फटकार लगाई है। कोर्ट ने सरकार से पूछा है कि इस मामले में डेढ़ साल बाद FIR दर्ज क्यों की गई?

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Written By aman
Published on: 7 Feb 2023 12:17 PM GMT
Supreme Court
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Supreme Court (Social Media)

SC on Hate Crime: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा कि भारत जैसे धर्मनिरपेक्ष देश में धर्म के आधार पर 'हेट क्राइम' (Hate Crime) की कोई जगह नहीं है। शीर्ष अदालत ने ये भी कहा कि, अगर सरकार हेट स्पीच (Hate Speech) की समस्या को स्वीकार करती है, तभी कोई समाधान निकल सकता है।' जस्टिस केएम जोसेफ और बीवी नागरत्ना की खंडपीठ ने ये बातें नोएडा से जुड़े एक मामले की सुनवाई के दौरान कहा। दोनों जजों ने कहा, 'अगर हेट क्राइम के खिलाफ कार्रवाई नहीं होती, तो ऐसा माहौल बनता है जो काफी ख़तरनाक होता है। इसे (हेट क्राइम) हमारे जीवन से खत्म करने की आवश्यकता है।'

जस्टिस केएम जोसेफ और बीवी नागरत्ना की बेंच ने हेट स्पीच मसले पर किसी भी तरह का समझौता नहीं करने की बात कही। दरअसल, सर्वोच्च न्यायालय ने हेट क्राइम के एक मामले में एफआईआर दर्ज करने में हुई देरी के लिए यूपी पुलिस को फटकार भी लगाई। अदालत ने नाराजगी जाहिर करते हुए ये भी कहा, अगर आप हेट क्राइम मामलों की अनदेखी करेंगे, तो एक दिन ये आप पर भी आएंगे।'

SC की यूपी सरकार कार्यशैली पर नाराजगी

यूपी नोएडा के हेट स्पीच मामले पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार की कार्यशैली पर नाराजगी जाहिर की है। शीर्ष अदालत ने राज्य सरकार से पूछा कि, 'इस मामले में डेढ़ साल बाद एफआईआर क्यों दर्ज की गई? कोर्ट ने ये भी पूछा कि घटना जुलाई 2021 की है तो फिर एफआईआर जनवरी 2023 में क्यों? सर्वोच्च न्यायालय ने यूपी सरकार से इस मामले में दो हफ्ते के भीतर हलफनामा मांगा है। साथ ही, एफआईआर का ब्यौरा तथा आरोपियों की जानकारी भी मांगी है।

क्या आप स्वीकार नहीं करेंगे कि ये 'हेट क्राइम' है

सर्वोच्च न्यायालय ने यूपी सरकार से पूछा है कि आरोपियों को कब बेल दी गई? इस पूरे मसले पर सख्त टिप्पणी देते हुए कोर्ट ने पूछा कि, 'क्या आप स्वीकार नहीं करेंगे कि ये 'हेट क्राइम' है। आप इसे कारपेट के नीचे दबा देंगे? हम कुछ भी प्रतिकूल नहीं कह रहे हैं। केवल अपनी पीड़ा व्यक्त कर रहे हैं।'

अधिकारी कर्तव्य से पल्ला नहीं झाड़ सकते

सुप्रीम कोर्ट ने अधिकारियों को भी आड़े हाथों लिया। कोर्ट ने कहा, 'एक उदाहरण पेश कीजिए कि इस तरह अधिकारी अपने कर्तव्य से पल्ला नहीं झाड़ सकते। तभी हम विकसित देशों की श्रेणी में आएंगे। तभी हम विकसित देशों की श्रेणी में आएंगे।' अदालत ने ये भी कहा कि, जो भी पुलिस स्टेशन आ रहा है, उसे आरोपी की तरह महसूस नहीं कराया जाना चाहिए।

क्या था मामला?

ये मामला उत्तर प्रदेश के एक 62 वर्षीय शख्स से जुड़ा है। इस व्यक्ति ने अदालत में दाखिल अपनी याचिका में आरोप लगाया था कि 4 जुलाई 2021 को वह नोएडा सेक्टर- 37 में अलीगढ़ (Aligarh) जाने वाली बस का इंतजार कर रहे थे। तभी कुछ लोगों ने उन्हें लिफ्ट देने की पेशकश की। बुजुर्ग व्यक्ति का दावा है कि उन लोगों ने उनकी मुस्लिम पहचान की वजह से उनसे अभद्रता की और प्रताड़ित किया। इसी मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी की है।

'तभी हम विकसित देशों के बराबर खड़े हो सकते हैं'

सुप्रीम कोर्ट ने यूपी पुलिस पर लगे निष्क्रियता के आरोपों पर कहा, कि 'ऐसे अधिकारी अपने कर्तव्य में लापरवाही कर बच नहीं सकते। हमें एक उदाहरण स्थापित करना चाहिए। तभी हम विकसित देशों के बराबर खड़े हो सकते हैं। हालांकि, शीर्ष अदालत ने ये भी कहा, जो कोई पुलिस स्टेशन आ रहा है, उसे आरोपी जैसा महसूस नहीं कराया जाना चाहिए।'

क्या हेट क्राइम नहीं हुआ है?

अदालत ने यूपी सरकार से कहा, 'क्या आप ये स्वीकार नहीं करेंगी कि हेट क्राइम हुआ है। आप इस मामले को दबा देंगे? हम सिर्फ अपनी पीड़ा व्यक्त कर रहे हैं। अल्पसंख्यक हो या बहुसंख्यक, कुछ अधिकार हर लोगों के पास होते हैं। हम एक परिवार में पैदा होते हैं और पलते हैं, मगर हम एक राष्ट्र के रूप में खड़े होते हैं। आपको इसे गंभीरता से लेना होगा।' याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए सीनियर एडवोकेट हुज़ेफ़ा अहमदी (Senior Advocate Huzefa Ahmadi) ने कहा, 'राज्य सरकार इस मामले को हेट क्राइम मानने से ही इनकार कर रही है। तुरंत कोई क़दम भी नहीं उठाया था।'

पीड़ित समुदाय विशेष से, इसका मतलब..

इस पर यूपी सरकार की एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ने तर्क दिया कि याचिकाकर्ता एक समुदाय विशेष से हैं, मगर इसका मतलब ये नहीं हुआ कि 'हेट क्राइम' हुआ है। जिस पर सर्वोच्च अदालत ने कहा, अगर कोई व्यक्ति पुलिस के पास आता है और कहता है कि मैंने टोपी पहन रखी थी। मेरी दाढ़ी खींची गई। धर्म के नाम पर गाली भी दी गई। बावजूद इसके कोई शिकायत दर्ज नहीं हुई, तो फिर समस्या है।

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अमन कुमार - बिहार से हूं। दिल्ली में पत्रकारिता की पढ़ाई और आकशवाणी से शुरू हुआ सफर जारी है। राजनीति, अर्थव्यवस्था और कोर्ट की ख़बरों में बेहद रुचि। दिल्ली के रास्ते लखनऊ में कदम आज भी बढ़ रहे। बिहार, यूपी, दिल्ली, हरियाणा सहित कई राज्यों के लिए डेस्क का अनुभव। प्रिंट, रेडियो, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया चारों प्लेटफॉर्म पर काम। फिल्म और फीचर लेखन के साथ फोटोग्राफी का शौक।

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