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सुषमा की उपलब्धियां: बहुत कम लोग जानते होंगे ये तीन खास बातें

साल 1990 में उन्होंने राष्ट्रीय राजनीति में एंट्री की। 1996 में दक्षिणी दिल्ली से सांसद चुनी गईं। लेकिन 1998 में वह दिल्ली की मुख्यमंत्री बनीं लेकिन बाद में बीजेपी चुनाव हार गईं और सुषमा ने वापस राष्ट्रीय राजनीति में एंट्री की। सुषमा स्वराज के निधन पर विदेशी राजनेताओं ने भी शोक जताया। उनका अंतिम संस्कार मंगलवार को दोपहर 3 बजे लोधी रोड पर किया जाएगा।

SK Gautam
Published on: 7 Aug 2019 3:35 PM IST
सुषमा की उपलब्धियां: बहुत कम लोग जानते होंगे ये तीन खास बातें
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susma swaraj

नई दिल्ली: जुलाई 1977 में मुख्यमंत्री देवी लाल की सरकार में उन्हें कैबिनेट मंत्री बनाया गया। वह पहली सबसे युवा कैबिनेट मंत्री रहीं। सुषमा स्वराज भाजपा की एक ऐसी हस्ती थीं जिन्होंने न सिर्फ एक प्रखर वक्ता के रूप में अपनी छवि बनाई, बल्कि उन्हें 'जन मंत्री' कहा जाता था। 1987 से 1990 तक वह हरियाणा की शिक्षा मंत्री भी रहीं।

साल 1990 में उन्होंने राष्ट्रीय राजनीति में एंट्री की। 1996 में दक्षिणी दिल्ली से सांसद चुनी गईं। लेकिन 1998 में वह दिल्ली की मुख्यमंत्री बनीं लेकिन बाद में बीजेपी चुनाव हार गईं और सुषमा ने वापस राष्ट्रीय राजनीति में एंट्री की। सुषमा स्वराज के निधन पर विदेशी राजनेताओं ने भी शोक जताया। उनका अंतिम संस्कार मंगलवार को दोपहर 3 बजे लोधी रोड पर किया जाएगा।

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दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री सुषमा स्वराज बनी

वह सात बार संसद सदस्य के रूप में और तीन बार विधानसभा सदस्य के रूप में चुनी गईं. स्वराज के पास केंद्रीय मंत्रिमंडल में दूरसंचार, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण और संसदीय कार्य विभागों जैसी जिम्मेदारियां भी रहीं।

सुषमा के खाते में राजनीति के क्षेत्र में और भी कई रिकॉर्ड दर्ज हैं। सुषमा स्वराज के नाम दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री और देश में किसी राजनीतिक दल की पहली महिला प्रवक्ता बनने की उपलब्धि दर्ज है।

27 साल की उम्र में 1979 में वह हरियाणा में जनता पार्टी की राज्य अध्यक्ष बनी थीं

सुषमा स्वराज दो बार विधानसभा के सदस्य के रूप में और 4 बार लोक सभा और 3 बार राज्यसभा सदस्य के रूप में निर्वाचित हुई थीं विभिन्न पदों पर रहते हुए सुषमा स्वराज कई सांस्कृतिक और सामाजिक संस्थाओं के साथ जुड़ी रहीं। 27 साल की उम्र में 1979 में वह हरियाणा में जनता पार्टी की राज्य अध्यक्ष बनी थीं।

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विदेश मंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने भारत-पाक और भारत-चीन संबंधों सहित रणनीतिक रूप से संवेदनशील कई मुद्दों को देखा और बखूबी अपनी जिम्मेदारी निभाईं। भारत और चीन के बीच डोकलाम गतिरोध को दूर करने में उनकी भूमिका को हमेशा याद रख जाएगा।

स्वराज की तारीफ हर राजनीतिक दल के लोग करते थे। लोग उनकी भाषण कला को पसंद करते थे. वह जब संसद में बोलती थीं तो सदस्य उन्हें गंभीरता के साथ सुनते थे।

सबसे कम उम्र का राज्यपाल बनने का रिकॉर्ड है पति के नाम

सुषमा स्वराज के पति स्वराज कौशल समाजवादी कैंप से जुड़े रहे हैं। वह सुप्रीम कोर्ट के वकील हैं। देश में सबसे कम उम्र का राज्यपाल बनने का रिकॉर्ड है। महज 38 साल की उम्र में ही वह मिजोरम के राज्यपाल बन गए थे। वह फ़रवरी 1990 से 1996 के बीच राज्यपाल रहे। दरअसल, स्वराज कौशल भारत में नॉर्थ ईस्ट मामलों के जानकार माने जाते हैं।

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1979 में उन्होंने ही अंडरग्राउंड मिजो लीडर लालडेंगा की रिहाई मुमकिन कराई थी। इसके बाद सरकार से समझौता वार्ता के लिए वह अंडरग्राउंड मिजो नेशनल फ्रंट के संवैधानिक सलाहकार बनाए गए।

कई राउंड की बातचीत के बाद मिजोरम शांति समझौता अस्तित्व में आया और 20 साल से चले आ रहे विद्रोह का अंत हुआ। इसी के इनाम के तौर पर उन्हें प्रदेश का गवर्नर बनाया गया था। एक बार वह हरियाणा से राज्यसभा सदस्य भी रहे। हिमाचल प्रदेश के सोलन में 1952 में उनका जन्म हुआ। 1975 में उन्होंने सुषमा स्वराज से प्रेम विवाह किया।



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