SYL विवाद: SC का हरियाणा के हक में फैसला, अमरिंदर सिंह और कांग्रेस विधायकों का इस्‍तीफा

सतलुज यमुना लिंक (एसवाईएल) नहर से पानी बंटवारे के विवाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा के हक में फैसला देते पंजाब सरकार को बड़ा झटका दिया है। इसके विरोध में गुरुवार को कांग्रेस के स्टेट प्रेसिडेंट कैप्टन अमरिंदर सिंह ने लोकसभा की मेंबरशिप से इस्तीफा दे दिया। साथ ही पंजाब में कांग्रेस के सभी विधायकों ने अमरिंदर सिंह को इस्तीफा भेज दिया है। शुक्रवार को स्पीकर को व्यक्तिगत तौर पर इस्तीफा सौंपेगे। बता दें कि अमरिंदर अमृतसर से कांग्रेस के एमपी थे।

tiwarishalini
Published on: 10 Nov 2016 3:13 PM GMT
SYL विवाद: SC का हरियाणा के हक में फैसला, अमरिंदर सिंह और कांग्रेस विधायकों का इस्‍तीफा
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नई दिल्ली: सतलुज यमुना लिंक (एसवाईएल) नहर से पानी बंटवारे के विवाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा के हक में फैसला देते पंजाब सरकार को बड़ा झटका दिया है। इसके विरोध में गुरुवार को कांग्रेस के स्टेट प्रेसिडेंट कैप्टन अमरिंदर सिंह ने लोकसभा की मेंबरशिप से इस्तीफा दे दिया। साथ ही पंजाब में कांग्रेस के सभी विधायकों ने अमरिंदर सिंह को इस्तीफा भेज दिया है। शुक्रवार को स्पीकर को व्यक्तिगत तौर पर इस्तीफा सौंपेगे। बता दें कि अमरिंदर अमृतसर से कांग्रेस के एमपी थे।

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कोर्ट ने क्या कहा ?

-फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने कहा कि एसवाईएल पर निर्माण कार्य जारी रहेगा।

-पंजाब अन्य राज्यों के साथ हुए समझौते से एकतरफा निर्णय करके बाहर नहीं जा सकता।

-कोर्ट ने सतलुज यमुना संपर्क नहर मामले में राष्ट्रपति द्वारा भेजे गए सवालों का नकारात्मक जवाब दिया।

-कोर्ट ने कहा कि इस तरह अन्य राज्यों के साथ जल बंटवारे का समझौता रद्द करने का पंजाब का कानून अवैध है।

-12 मई को जस्टिस एआर दवे की अध्यक्षता वाली बेंच ने फैसला सुरक्षित रखा था।

क्या है सतलुज यमुना लिंक (एसवाईएल)

-1955 में केंद्र सरकार ने राज्यों की सहमति से रावी और ब्यास नदी के पानी को राजस्थान, पंजाब और जम्मू-कश्मीर में बांटने की बात तय की थी।

-1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच इंडस वाटर ट्रीटी हुई।

-जिसमें रावी, ब्यास और सतलुज के पानी पर सिर्फ़ भारत का अधिकार माना गया।

-इसी समझौते के मुताबिक सिंधु, झेलम और चेनाब नदी के पानी पर पाकिस्तान को अधिकार मिला।

-साल 1966 में पंजाब राज्य का बंटवारा करके एक अलग और नया राज्य हरियाणा बनाया गया।

-इसके बाद से ही पंजाब और हरियाणा के बीच पानी के बंटवारे को लेकर विवाद शुरू हो गया था।

-साल 1976 में केंद्र सरकार ने पंजाब के 7.2 एमएएफ (मिलियन एकड़ फीट) पानी में से 3.5 एमएएफ हिस्सा हरियाणा को देने की अधिसूचना जारी की।

-पंजाब से हरियाणा के हिस्से का पानी लाने के लिए सतलुज नदी से यमुना नदी को जोड़ने वाली एक नहर की योजना बनाई गई।

क्या है विवाद ?

-इसके विरोध और राजनीति के बीच साल 1996 में एसवाईएल नहर का मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा।

-सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब को 2002 और 2004 में दो बार निर्देश दिए कि वह अपने हिस्से में नहर के काम को पूरा करे।

-इसके बाद साल 2004 में पंजाब विधानसभा ने एक बिल पास किया।

-जिसमें पंजाब के पानी को लेकर पुराने सभी समझौतों को रद्द कर दिया गया।

-पंजाब विधानसभा के इस बिल के खिलाफ तत्कालीन केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट तक चली गई थी।

पंजाब के सीएम ने क्या कहा ?

-पंजाब के सीएम प्रकाश सिंह बादल ने कहा था कि कि अगर कोर्ट का फैसला हमारे खिलाफ आया तो पानी नहीं, अपने खून का एक-एक कतरा बहा देंगे।

-कैप्टन अमरिंदर सिंह ने पहले ही कहा था कि अगर फैसला पंजाब के खिलाफ आया तो कांग्रेस के सभी विधायक इस्तीफा देंगे।

-अमरिंदर सिंह के इस्तीफे पर सीएम प्रकाश सिंह बादल ने कहा कि ये राजनीतिक ड्रामा है।

-आगे क्या करना है ये कैबिनेट की बैठक में तय किया जाएगा।

हरियाणा के सीएम ने क्या कहा ?

-सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर ने कहा कि फैसला देरी से आया लेकिन हक में आया।

-मैं इसका स्वागत करता हूं

एडिशनल अटॉर्नी जनरल देवेंद्र सैनी ने कहा

सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर एडिशनल अटॉर्नी जनरल देवेंद्र सैनी ने कहा है कि कोर्ट ने हरियाणा और पंजाब के बीच चल रहे जल बंटवारे के विवाद में हरियाणा सरकार के पक्ष में फैसला सुनाया है।

इससे ये साफ होता है कि हरियाणा को पानी मिलेगा। उन्होंने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जल बंटवारे के मुद्दे पर बने समझौते को तोड़ने का पंजाब सरकार को कोई हक़ नहीं है।

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