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स्वच्छता मिशन में बड़े बाजार की उम्मीद
केंद्र सरकार भले ही स्वच्छता को मिशन की तरह चला रही हो। लेकिन बाजार की शक्तियों के लिए ये मिशन नहीं प्रोफेशन हो गया है। टॉयलेटरीज़ के कारोबार में उतरे उद्योगपतियों को इस स्वच्छता मिशन में बहुत बड़ा बाजार नजर आने लगा है।
योगेश मिश्र
केंद्र सरकार भले ही स्वच्छता को मिशन की तरह चला रही हो। लेकिन बाजार की शक्तियों के लिए ये मिशन नहीं प्रोफेशन हो गया है। टॉयलेटरीज़ के कारोबार में उतरे उद्योगपतियों को इस स्वच्छता मिशन में बहुत बड़ा बाजार नजर आने लगा है। इस की छाप हाल ही में मुंबई में संपन्न हुए 18 वें वर्ल्ड टॉयलेट समिट में दिखी। दुनिया भर में स्वच्छता से जुडी 250 संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने 15-17 हजार रुपए के किराए वाले होटल में बैठ कर तीन दिन जो स्वच्छता की अलख जगाई उसमें एक टॉयलेट क्लीनर कंपनी को 4 हजार करोड़, एक हेंडवाश कंपनी को कई सौ करोड़ का बाजार दिखने लगा। यही नहीं सैनेटरी नैपकिन बनाने वाली कंपनियों की बाछें भी बाजार की उम्मीद में खिल गईं। टॉयलेट में इस्तेमाल होने वाले पेपर और फ्लोर वाश कंपनियों की उत्सुकता देखते बन रही थी।
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स्वच्छता मिशन के तहत पीएम नरेंद्र मोदी ने अपने अब तक के कार्यकाल में साढ़े नौ करोड़ टॉयलेट्स का निर्माण किया है। यह संख्या पूरे यूरोप में बने टॉयलेट्स की संख्या से कई गुने ज्यादा है। सम्मलेन में एक फिल्म अभिनेता 25 करोड़ रुपए लेकर सिर्फ इसलिए आए थे ताकि वो स्टेज में बने टॉयलेट में क्लीनर डाले, धोएं और भसद दे कर चले जाएं। उनकी इस पब्लिक अपियेरंस का विज्ञापन भी कंपनी ने अपने प्रोडक्ट के साथ लाँच कर दिया है। सूत्रों की माने तो वर्ल्ड टॉयलेट समिट के इस आयोजन में स्वच्छता से जुड़े मुद्दों से अधिक गर्म चर्चा बाजार की रही। टॉयलेटरीज़ से जुडी हर एक कंपनी ने इसमें बाजार तलाशा।
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संयुक्त राष्ट्र संघ में स्वच्छता का कामकाज देख रहे अधिकारी ने एक हिंदी समाचार पत्र में इस मिशन में नरेंद्र मोदी की भूमिका को रेखांकित करते हुए एक लेख लिखा। जिसमें ये बताया गया कि मन की बात कार्यक्रम में नरेंद्र मोदी ने स्वच्छ भारत का कितने बार नाम लिया। जेनेवा में बैठे इस अधिकारी के इंग्लिश में लिखे लेख का हिंदी तर्जुमा कराया गया। इस लेख का लब्बोलुआब यह था कि पीएम मोदी ने मन की बात से स्वच्छता अभियान को नई दिशा दी है। टॉयलेटरीज़ के धंधे को मंदा देखते हुए कंडोम के धंधे में उतरी एक कंपनी ने इस समिट के बाद फिर से अपने पांव टॉयलेटरीज़ इन्डस्ट्री में जमाए रखने का मन बना लिया है।हालाँकि इस कंपनी ने बड़ा अभिनव कंडोम लाँच किया है। जो इस्तेमाल के बाद रंग बदल कर लाल हो जाता है। यह कंडोम वियाग्रा जैसी दवा का भी काम करता है। उस समिट में ऐसी शराब परोसी गई। जो शक्ति बढ़ा देती है। टॉयलेटरीज़ इन्डस्ट्री के लोगों का मानना है कि 10-20 फीसदी नये शौचालय धारक हमारी वस्तुओं का उपभोग करने लगेंगे तो बाजार में आपूर्ति करना कठिन हो जाएगा। एक टॉयलेट क्लीनर कंपनी ने तो 4 हजार करोड़ का बिजनेस आंका है| स्वच्छता मिशन से जुडी संस्थायों को भारी भरकम धनराशी देने की भी पेशकश की हालाँकि एक अंतर्राष्ट्रीय संगठन ने सिर्फ 15 लाख डालर लेने की सहमति जताई है।
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इस सम्मलेन में यूनिलीवर, ड्यूरेक्स के प्रतिनिधियों व वर्ल्ड टॉयलेट के चेयर मैन जैक सिम, टोकियो में प्लास्टिक के टॉयलेट के डिजायन तैयार करने वाले वैज्ञानिक और स्वामी चिदानंद ने संबोधित किया। डब्लूएससीसी से जुड़े राबर्ट चेंबर ने कहा कि ब्रिटेन ने इण्डिया को बहुत कुछ सिखाया है। पर ब्रिटेन के लोगों ने भारत में आकर जो सीखा है वो रोज स्नान करना। भारत आने से पहले ब्रिटेन के लोग जानते ही नहीं थे कि रोज स्नान भी किया जाता है। यहां तो बिना स्नान किये लोग न तो भोजन पकाते हैं और न ही खाते हैं।