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स्वामी विवेकानंद के ये विचार आज भी भरते हैं युवाओं में ऊर्जा

स्वामी विवेकानंद की आज 156वीं जयंती है। उनका जन्‍म 12 जनवरी 1863 को कोलकाता में हुआ था। विवेकानंद का बचपन का नाम नरेंद्र नाथ था। स्‍वामी विवेकानंद ने 11 सितंबर, 1893 को शिकागो, अमेरिका की विश्व धर्म सम्मेलन सभा में भाषण दिया।

Dharmendra kumar
Published on: 12 Jan 2019 12:26 PM IST
स्वामी विवेकानंद के ये विचार आज भी भरते हैं युवाओं में ऊर्जा
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लखनऊ: स्वामी विवेकानंद की आज 156वीं जयंती है। उनका जन्‍म 12 जनवरी 1863 को कोलकाता में हुआ था। विवेकानंद का बचपन का नाम नरेंद्र नाथ था। स्‍वामी विवेकानंद ने 11 सितंबर, 1893 को शिकागो, अमेरिका की विश्व धर्म सम्मेलन सभा में भाषण दिया।

126 साल पहले अमेरिका में दिया था भाषण

स्वामी विवेकानंद ने 126 साल पहले मेरे अमेरिकी भाइयों और बहनों' से शिकागो (अमेरिका) में विश्व धर्म संसद में एक भाषण की शुरुआत की थी। विवेकानंद का दिया हुआ ये भाषण इतिहास के पन्नों में हमेशा के लिए दर्ज हो गया। जब उन्होंने ये भाषण दिया था को पूरे सभागार कई मिनटों तक तालियों की गूंज हर तरफ गूंजती रही जिसके बाद भारत को पूरी दुनिया के सामने आध्यात्म के केंद्र तौर पर देखा जाने लगा।

स्‍वामी विवेकानंद के विचारों ने युवाओं को सफलता का रास्‍ता दिखाया है। आज के युवा भी स्‍वामी विवेकानंद के विचारों से काफी प्रभावित रहते हैं। आईए हम बताते हैं स्‍वामी विवेकानंद के कुछ ऐसे ही विचार।

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-ताकत ही जीवन है और कमजोरी मौत है।

-एक नायक की तरह जिएं। हमेशा कहें मुझे कोई डर नहीं, सबको यही कहें कोई डर नहीं रखो।

-उठो और जागो और तब तक रुको नहीं जब तक कि तुम अपना लक्ष्य प्राप्त नहीं कर लेते।

-एक विचार चुनिए और उस विचार को अपना जीवन बना लिजिए। उस विचार के बारे में सोचें उस विचार के सपने देखें. अपने दिमाग, अपने शरीर के हर अंग को उस विचार से भर लें बाकी सारे विचार छोड़ दें। यही सफलता का रास्ता हैं।

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-आप जो भी सोचेंगे। आप वही हो जाएंगे। अगर आप खुद को कमजोर सोचेंगे तो आप कमजोर बन जाएंगे। अगर आप सोचेंगे की आप शक्तिशाली हैं तो आप शाक्तिशाली बन जाएंगे।

-ब्रह्मांड की सारी शक्तियां पहले से ही हमारे भीतर मौजूद हैं। हम ही मूर्खतापूर्ण आचरण करते हैं, जो अपने हाथों से अपनी आंखों को ढक लेते हैं और फिर चिल्लाते हैं कि चारों तरफ अंधेरा है, कुछ नजर नहीं आ रहा है।

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-अगर आप पौराणिक देवताओं में यकीन करते हैं और खुद पर यकीन नहीं करते हैं तो आपको मुक्ति नहीं मिल सकती है। अपने में विश्वास रखो और इस विश्वास पर खड़े हो जाओ, शक्तिशाली बनो, इसी की हमें जरूरत है।



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Dharmendra kumar

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