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यासीन मलिक पर टाडा कोर्ट ने किया आरोप तय, जानें पूरा मामला

अभियोजन की ओर से सीबीआई जांच में सामने आए सबूतों और तथ्यों को कोर्ट के सामने रखा गया। अभियोजन के अनुसार आरोपी शौकत अहमद बख्शी वारदात से पूर्व अप्रैल-मई 1989 और सितंबर-अक्तूबर 1989 में पाकिस्तान गया। वहां उसने आरोपी अमान उल्ला खान से मिलकर वायुसैनिकों समेत सुरक्षा बलों पर हमले की साजिश रची।

SK Gautam
Published on: 14 March 2020 4:56 PM GMT
यासीन मलिक पर टाडा कोर्ट ने किया आरोप तय, जानें पूरा मामला
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नई दिल्ली: तीस साल पुराने आतंकी हमले के मामले में जेकेएलएफ के चीफ यासीन मलिक समेत अन्य पर टाडा कोर्ट ने आरोप तय कर किया है। सीबीआई की चार्जशीट पर अभियोजन और बचाव पक्ष की बहस सुनने के बाद कोर्ट के प्रीसाइडिंग अफसर सुभाष गुप्ता ने शनिवार को यासीन मलिक, अली मोहम्मद मीर, मंजूर अहमद सोफी उर्फ मुस्तफा, जावेद मीर उर्फ नलका, नाना जी उर्फ सलीम, जावेद अहमद जरगर और शौकत अहमद बख्शी पर आरपीसी की धारा 302, 307,120-बी, टाडा एक्ट 1987 की धारा 3 (3), आर्म्स एक्ट की धारा 7/27 के तहत आरोप तय कर दिए। इस मामले पर 30 वर्ष से बहस न हो पाने के कारण आरोप तय करने की प्रक्रिया लंबित चल रही थी।

वायुसैनिकों समेत सुरक्षा बलों पर हमले की साजिश

अभियोजन की ओर से सीबीआई जांच में सामने आए सबूतों और तथ्यों को कोर्ट के सामने रखा गया। अभियोजन के अनुसार आरोपी शौकत अहमद बख्शी वारदात से पूर्व अप्रैल-मई 1989 और सितंबर-अक्तूबर 1989 में पाकिस्तान गया। वहां उसने आरोपी अमान उल्ला खान से मिलकर वायुसैनिकों समेत सुरक्षा बलों पर हमले की साजिश रची।

पाकिस्तान से लौटने पर शौकत ने यासीन मलिक, जावेद अहमद मीर उर्फ नलका, मुश्ताक अहमद लोन, नाना जी उर्फ सलीम, मोहम्मद रफीक डार उर्फ गुलाम हसन, मंजूर अहमद सोफी उर्फ मुस्तफा, जावेद अहमद जरगर और अन्यों के साथ हमले की साजिश साझा की।

डॉ. गुलाम कादिर सोफी ने हमले को अंजाम देने के लिए हकम बाग रावलपोरा में अपना घर आतंकी ठिकाने के लिए उपलब्ध करवा दिया। पूरे हमले की तैयारी और हथियारों का इंतजाम यहीं से किया गया। आरोपियों ने नीले रंग की मारुति कार जेकेई-3575 को अली मोहम्मद मीर से हासिल किया।

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इसके बाद 25 जनवरी 1990 की सुबह 7.30 बजे यासीन मलिक और जावेद अहमद मीर उर्फ नलका बाइक नंबर जेकेडी-3705 पर पीछे बैठे। वे एके राइफल से लैस थे। बाइक को मुश्ताक अहमद लोन चला रहा था। यह तीनों हमले के लिए निर्धारित जगह रावलपोरा की ओर निकले। वहीं अन्य आरोपी मारुति कार के जरिये हमले वाली जगह पर पहुंच गए।

ऐसे किया गया था हमला

हमलावरों ने कार का इंजन स्टार्ट रखा। बाइक सवार आतंकियों ने पहुंचते ही वायुसैनिकों पर अंधाधुंध फायरिंग कर दी। सात वायुसैनिक इसकी चपेट में आए जिनमें से एयरमैन ए अहमद, वीयू शेखर और बीएस धोनी की मौत हो गई। वहीं पास में ही घात लगाकर बैठे दूसरे ग्रुप ने 10 से 15 वायुसैनिकों पर फायरिंग शुरू कर दी। इसमें एक महिला समेत तीन वायुसैनिक घायल हो गए। इसी दौरान यासीन मलिक ने एके राइफल की एक मैग्जीन को गोलियां दागकर खत्म किया और फिर मैग्जीन बदल कर फिर से गोलियां दागीं। भागते समय यासीन मलिक को दो और वायुसेना अफसर नजर आए जिन पर मलिक ने फिर से फायरिंग की। इनमें से आरके खन्ना ने दम तोड़ दिया।

सुबूतों से मिला आधार

टाडा कोर्ट में अभियोजन पक्ष ने मामले में आरोपी बनाए गए शौकत अहमद बख्शी, अली मोहम्मद मीर, जावेद अहमद जरगर और मोहम्मद रफीक डार के इकबालिया बयान और सुबूतों को अभियोजन का आधार बताया। इस पर कोर्ट ने कहा कि आरोपियों के सीआरपीसी की धारा 164 और टाडा एक्ट की धारा 15 के तहत बयान दर्ज हैं। इस प्रक्रिया के तहत दर्ज बयानों को आरोप तय करने के लिए पर्याप्त आधार माना जाता है।

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इसी तरह से धारा 161 के तहत दर्ज बयानों में भी सीबीआई ने प्रथम दृष्टया मामले का आधार तैयार कर दिया है, जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने कहा कि बचाव पक्ष की दलीलें यह साबित करने में नाकाफी हैं कि उनके मुवक्किलों पर लगाए गए आरोप आधार नहीं रखते।

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