Tahawwur Rana Case Lawyers: तहव्वुर राणा मामला.. एक संवेदनशील मुकदमे में न्याय की मशाल थामे दयान कृष्णन व नरेंद्र मान

Tahawwur Rana Case Lawyers: नरेंद्र मान की विशेषज्ञता और अनुभव के कारण उन्हें तहव्वुर राणा जैसे संवेदनशील मामले में नियुक्त किया...

Jyotsna Singh
Published on: 11 April 2025 3:42 PM IST
Tahawwur Rana Case Update Lawyers Dayan Krishnan and Narendra Mann
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Tahawwur Rana Case Update Lawyers Dayan Krishnan and Narendra Mann 

Tahawwur Rana Case Lawyers: मुंबई पर 26/11 के भयावह आतंकवादी हमले ने पूरे देश को झकझोर दिया था। इस हमले के मुख्य साजिशकर्ताओं में से एक तहव्वुर राणा, को अमेरिका से प्रत्यर्पित कर भारत लाया गया है। इस महत्वपूर्ण मामले में न्याय सुनिश्चित करने के लिए गृह मंत्रालय ने वरिष्ठ अधिवक्ता नरेंद्र मान को विशेष सरकारी वकील नियुक्त किया गया है। आइए अधिवक्ता नरेंद्र मान के व्यतिगत और प्रोफेशनल उपलब्धियों पर नजर डालते हैं:-

नरेंद्र मानः एक परिचय

नरेंद्र मान भारतीय न्यायिक प्रणाली में एक प्रतिष्ठित नाम हैं। वह दिल्ली उच्च न्यायालय में वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में कार्यरत हैं और कई महत्वपूर्ण मामलों में सरकार का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। उनकी विशेषज्ञता और अनुभव के कारण उन्हें तहव्वुर राणा जैसे संवेदनशील मामले में नियुक्त किया।


तहव्वुर राणा मामलाः पृष्ठभूमि

तहव्वुर राणा, पाकिस्तानी मूल के कनाडाई नागरिक हैं, जिन पर 2008 के मुंबई हमलों में संलिप्तता का आरोप है। वह लश्कर-ए-तैयबा के सदस्य और डेविड हेडली के सहयोगी माने जाते हैं। अमेरिकी अदालत ने उन्हें 14 साल की सजा सुनाई थी, जिसे पूरा करने के बाद उन्हें भारत प्रत्यर्पित किया गया है।

नरेंद्र मान की नियुक्ति का महत्व

तहव्वुर राणा का मामला राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा हुआ है और इसमें अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद के पहलू शामिल हैं। नरेंद्र मान की नियुक्ति से यह स्पष्ट होता है कि भारत सरकार इस मामले में न्याय सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है। उनका अनुभव और कानूनी कौशल इस जटिल मामले में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने में सफल साबित होगा।


नरेंद्र मान का व्यक्तिगत जीवन

नरेंद्र मान एक अनुभवी और प्रतिष्ठित वकील हैं, जिन्होंने भारतीय न्यायिक प्रणाली में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उनकी नियुक्ति तहव्वुर राणा मामले में विशेष सरकारी वकील के रूप में उनकी विशेषज्ञता और समर्पण का प्रमाण है।

अपने पेशे में माहिर अधिवक्ता नरेंद्र मान ने अपनी विधि शिक्षा पूरी करने के बाद, दिल्ली उच्च न्यायालय में अपने करियर की शुरुआत की। अपने शुरुआती वर्षों में, उन्होंने विभिन्न कानूनी क्षेत्रों में अनुभव प्राप्त किया, जिससे उनकी बहुमुखी प्रतिभा विकसित हुई। नरेंद्र मान की लोकप्रियता एक अधिवक्ता के रूप में उनके लंबे और प्रभावशाली करियर, सरकार के लिए लड़े गए प्रमुख मामलों और न्यायिक क्षेत्र में उनकी विशेषज्ञता के कारण है। उनकी लोकप्रियता को निम्नलिखित बिंदुओं से समझा जा सकता है:

1. सरकारी मामलों में भरोसेमंद चेहरा:

भारत सरकार ने उन्हें कई बार संवेदनशील और उच्च-प्रोफ़ाइल मामलों में विशेष सरकारी वकील नियुक्त किया है। इससे उनकी प्रतिष्ठा और लोकप्रियता में वृद्धि हुई है।

2. वरिष्ठता और अनुभव:

उन्होंने करीब तीन दशकों तक दिल्ली उच्च न्यायालय और अन्य न्यायिक मंचों पर काम किया है। उनके पास कॉर्पोरेट, आपराधिक और संवैधानिक मामलों में गहन अनुभव है।

3. प्रशासकीय संस्थाओं के साथ कार्य:

CBI, प्रवर्तन निदेशालय (ED) और गृह मंत्रालय जैसे संस्थानों ने उन पर विश्वास जताया है। यह दर्शाता है कि वे कानूनी जगत में कितने सम्मानित हैं।

4. मीडिया में उपस्थिति:

तहव्वुर राणा जैसे केस में उनकी नियुक्ति ने उन्हें राष्ट्रीय मीडिया में एक चर्चित नाम बना दिया है।

5. युवा वकीलों के लिए प्रेरणा:

वे अपने जूनियर अधिवक्ताओं के लिए एक मेंटर और प्रेरणा का स्रोत माने जाते हैं।

इस तरह, नरेंद्र मान एक लोकप्रिय, अनुभवी और भरोसेमंद अधिवक्ता के रूप में जाने जाते हैं जिनकी छवि न्याय, निष्पक्षता और कर्तव्यनिष्ठा से जुड़ी हुई है।

प्रमुख पेशेवर उपलब्धियां

अपने 28 वर्षों के करियर में, नरेंद्र मान ने कई महत्वपूर्ण मामलों में सरकार और निजी संस्थाओं का प्रतिनिधित्व किया है। अधिवक्ता नरेंद्र मान भारतीय न्यायिक प्रणाली में एक प्रतिष्ठित और वरिष्ठ वकील हैं। उन्होंने कई महत्वपूर्ण मामलों में सरकारी वकील के रूप में कार्य किया है, जिसमें 2018 का कर्मचारी चयन आयोग (SSC) पेपर लीक मामला भी शामिल है. हाल ही में, उन्हें तहव्वुर राणा मामले में विशेष सरकारी वकील नियुक्त किया गया है। उनकी कानूनी विशेषज्ञता और अनुभव के कारण, उन्हें न्यायिक समुदाय में एक सम्मानित और विश्वसनीय अधिवक्ता के रूप में जाना जाता है। उन्होंने कॉर्पोरेट कानून, विलय और अधिग्रहण, संयुक्त उद्यम, और कॉर्पोरेट पुनर्गठन जैसे क्षेत्रों में विशेषज्ञता हासिल की है। इसके अलावा, उन्होंने उत्तराधिकार योजना, पारिवारिक समझौते और परिवार ट्रस्ट संरचनाओं के निर्माण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। नरेंद्र मान अपने सहयोगियों और जूनियर वकीलों के लिए एक मार्गदर्शक के रूप में जाने जाते हैं। उनका मानना है कि न्याय के प्रति समर्पण और नैतिकता किसी भी वकील की सबसे बड़ी पूंजी होती है। अपने खाली समय में, वह कानूनी साहित्य पढ़ने और न्यायिक सुधारों पर विचार-विमर्श करना पसंद करते हैं। नरेंद्र मान की नियुक्ति तहव्वुर राणा मामले में विशेष सरकारी वकील के रूप में उनकी पेशेवर क्षमता का सबूत है।

नरेंद्र मान एक वरिष्ठ अधिवक्ता हैं जिन्हें केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 26/11 मुंबई आतंकवादी हमलों के आरोपी तहव्वुर राणा के मामले में विशेष लोक अभियोजक नियुक्त किया है। उनकी नियुक्ति तीन वर्षों के लिए की गई है या जब तक इस मामले का निपटारा नहीं हो जाता, जो भी पहले हो।

नरेंद्र मान का कानूनी करियर:

• केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) के साथ कार्य: जनवरी 2011 से अप्रैल 2019 तक, मान ने दिल्ली उच्च न्यायालय में सीबीआई के विशेष लोक अभियोजक के रूप में कार्य किया। इस दौरान, उन्होंने 2जी टेलीकॉम स्पेक्ट्रम घोटाले जैसे उच्च-प्रोफ़ाइल मामलों में सीबीआई का प्रतिनिधित्व किया।

• अन्य प्रमुख मामले: मान ने 1975 में भारत के मुख्य न्यायाधीश ए. एन. रे की हत्या के प्रयास से जुड़े मामले में भी सीबीआई का प्रतिनिधित्व किया, जिसमें दिल्ली उच्च न्यायालय ने 2014 में दोषसिद्धि को बरकरार रखा।

नरेंद्र मान, वरिष्ठ अधिवक्ता दयान कृष्णन के साथ मिलकर, राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (NIA) की ओर से इस मामले में अभियोजन का नेतृत्व करेंगे। कृष्णन ने पहले अमेरिकी अदालत में राणा के प्रत्यर्पण के लिए भारत का प्रतिनिधित्व किया था और अब दिल्ली में उनके खिलाफ मुकदमे का नेतृत्व करेंगे।

जानिये कौन हैं दयान कृष्णन

दयान कृष्णन एक वरिष्ठ अधिवक्ता हैं जिन्होंने भारत में कई महत्वपूर्ण और उच्च-प्रोफ़ाइल मामलों में अपनी विशेषज्ञता का प्रदर्शन किया है। वर्तमान में, वह राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (NIA) की ओर से तहव्वुर राणा के खिलाफ अभियोजन का नेतृत्व कर रहे हैं।


शिक्षा और प्रारंभिक करियर

• शिक्षा: दयान कृष्णन ने नेशनल लॉ स्कूल ऑफ़ इंडिया यूनिवर्सिटी (NLSIU), बेंगलुरु से 1993 में स्नातक किया।

• प्रारंभिक अनुभव: स्नातक के बाद, उन्होंने वरिष्ठ अधिवक्ता और पूर्व सर्वोच्च न्यायालय न्यायाधीश संतोष हेगड़े के साथ काम किया, जिसके बाद 1999 में उन्होंने अपनी स्वतंत्र प्रैक्टिस शुरू की।

प्रमुख कानूनी अनुभव

• विशेष लोक अभियोजक: दिसंबर 2012 में दिल्ली में हुए निर्भया गैंगरेप और हत्या मामले में उन्होंने विशेष लोक अभियोजक के रूप में कार्य किया, जिसमें अभियुक्तों को मृत्यु दंड दिया गया।


• अन्य महत्वपूर्ण मामले: उन्होंने 2001 संसद हमले और कावेरी नदी जल विवाद जैसे मामलों में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

प्रत्यर्पण मामलों में भूमिका

• डेविड कोलमैन हेडली: दयान कृष्णन ने डेविड कोलमैन हेडली के प्रत्यर्पण मामले में विशेष लोक अभियोजक के रूप में कार्य किया और शिकागो में चार सदस्यीय टीम के साथ हेडली से पूछताछ में शामिल थे।

• रवि शंकरन: उन्होंने रवि शंकरन के यूके से प्रत्यर्पण में सीबीआई के विशेष वकील के रूप में भारत सरकार का प्रतिनिधित्व किया।

तहव्वुर राणा का मामला

तहव्वुर राणा, जो 26/11 मुंबई आतंकवादी हमलों के मुख्य साजिशकर्ता डेविड कोलमैन हेडली के सहयोगी हैं, को अमेरिका से भारत प्रत्यर्पित किया गया है। दयान कृष्णन ने अमेरिकी अदालत में राणा के प्रत्यर्पण के लिए भारत की ओर से तर्क प्रस्तुत किए और अब दिल्ली में उनके खिलाफ मुकदमे का नेतृत्व कर रहे हैं।

अन्य योगदान

• सरकारी एजेंसियों के साथ कार्य: वर्तमान में, दयान कृष्णन विभिन्न सरकारी एजेंसियों जैसे दिल्ली पुलिस और रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया के लिए भी प्रैक्टिस करते हैं।

• एमिकस क्यूरी के रूप में भूमिका: उन्होंने दिल्ली उच्च न्यायालय में अनाथ बच्चों की संपत्ति के अधिकारों को सुरक्षित करने के लिए दिशानिर्देश तैयार करने में एमिकस क्यूरी के रूप में भी कार्य किया है।

दयान कृष्णन की कानूनी विशेषज्ञता और प्रत्यर्पण मामलों में उनकी गहरी समझ, तहव्वुर राणा के खिलाफ मजबूत अभियोजन सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।

नरेंद्र मान की कानूनी विशेषज्ञता और अनुभव, विशेष रूप से उच्च-प्रोफ़ाइल मामलों में, तहव्वुर राणा के खिलाफ मजबूत अभियोजन सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका

तहव्वुर राणा केस में सरकारी वकील के रूप में चुनौतियां और अपेक्षाएं

इस मामले में विशेष सरकारी वकील के रूप में, नरेंद्र मान के सामने कई चुनौतियां होंगी:

1.अंतरराष्ट्रीय कानूनी प्रक्रियाएं:राणा का प्रत्यर्पण और उनके खिलाफ सबूतों का संग्रह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हुआ है, जिससे कानूनी प्रक्रियाएं जटिल हो सकती हैं।

2. मीडिया और सार्वजनिक ध्यानःयह मामला राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मीडिया का केंद्र रहेगा, जिससे निष्पक्षता और गोपनीयता बनाए रखना आवश्यक होगा।

3. न्याय सुनिश्चित करना: 166 निर्दोष लोगों की जान लेने वाले इस हमले के दोषियों को सजा दिलाना न्याय प्रणाली की प्राथमिकता है और नरेंद्र मान पर यह जिम्मेदारी होगी कि वे मजबूत पैरवी करें।

दयान कृष्णन व नरेंद्र मान की नियुक्ति तहव्वुर राणा मामले में विशेष सरकारी वकील के रूप में उनकी पेशेवर क्षमता और अनुभव का प्रमाण है। उनका करियर और जीवन न्याय के प्रति उनकी प्रतिबद्धता और समर्पण की कहानी है, जो आने वाली पीढ़ियों के वकीलों के लिए प्रेरणा का स्रोत है।

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