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तकनीकी से बदले हालात: कभी टीचर थे, आज हैं अरबपति व्यवसायी

raghvendra
Published on: 2 Aug 2019 9:36 AM GMT
तकनीकी से बदले हालात: कभी टीचर थे, आज हैं अरबपति व्यवसायी
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नई दिल्ली: भारत के नए नवेले अरबपति हैं एक भूतपूर्व टीचर जिन्होंने एक एजूकेशन एप बनाया जिसकी वैल्यू मात्र सात साल में ६ बिलियन डालर हो गई है। ये शख्स हैं ‘बाईज्यू’ एप के मालिक बाईज्यू रवीन्द्रन जिनकी बंगलुरु स्थित कंपनी ‘थिंक एंड लर्न प्राइवेट लिमिटेड’ ने इसी महीने १५० मिलियन डालर की फंडिंग पाई है। इस डील के बाद इस कंपनी की वैल्यू ५.७ बिलियन डालर हो गई है। कंपनी में २१ फीसदी शेयर इसके संस्थापक के पास हैं। बाईज्यू एप अब वाल्ट डिज्नी कंपनी के साथ भागीदारी कर रही है जिससे इस एप की सेवाएं वर्ष २०२० तक अमेरिका पहुंच जाएंगी।

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३७ वर्षीय रवीन्द्रन का कहना है कि वह भारतीय शिक्षा के वही करना चाहते हैं जैसा कि वाल्ट डिज्नी ने मनोरंजन के क्षेत्र में किया है। बाईज्यू के नए एप ‘अर्ली लर्न’ में लायन किंग के सिम्बा जैसे कैरेक्टर कक्षा एक से तीन तक की गणित पढ़ाते नजर आते हैं।

ऑनलाइन पढ़ाई में बूम का फायदा बाईज्यू बेहतरीन तरीके से उठा रहा है। भारत में इंटरनेट का इस्तेमाल बहुत तेजी से बढ़ा है। स्मार्टफोन की पैठ बढ़ती ही जा रही है। यही वजह है कि यहां ऑनलाइन पढ़ाई का बाजार वर्ष २०२० तक दोगुना हो कर ६ बिलियन डालर का हो जाने की संभावना है। ऑनलाइन शिक्षा क्षेत्र के स्टार्टअप ग्लोबल अवसर का लाभ उठाने के लिए सही दिशा में हैं। देश के इंटरनेट बाजार में केजी से १२वीं तक तक ऑनलाइन शिक्षा सबसे तेजी से बढ़ रही है। बाईज्यू की आय मार्च २०२० तक दोगुनी हो कर ३००० करोड़ रुपए हो जाने का अनुमान है। कंपनी की वृद्धि का संज्ञान विश्व के दिग्गज निवेशकों ने लिया है जिसमें टेन्सेंट होल्डिंग्स और मार्क जुकरबर्ग शामिल हैं।

गांव से निकले हैं रवीन्द्रन

बाईज्यू के संस्थापक रवीन्द्रन केरल के एक गांव में पैदा हुए। इनके पेरेंट्स वहां स्कूल टीचर थे। रवीन्द्रन का पढ़ाई में मन नहीं लगता था और वह अक्सर स्कूल छोड़ कर फुटबाल खेलने चले जाते थे। लेकिन अपनी पढ़ाई घर पर कर लेते थे। आगे चल कर रवीन्द्रन ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई की और फिर छात्रों को भारत के टॉप इंजीनियरिंग व मैनेजमेंट संस्थानों की प्रवेश परीक्षा की तैयारी करने में मदद करने लगे। रवीन्द्रन की कोचिंग बेहद सफल रही। एक समय ऐसा आया कि वह स्टेडियमों में हजारों छात्रों को एक साथ कोचिंग देने लगे। रवीन्द्रन एक सेलेब्रिटी ट्यूटर बन गए थे और वह अलग-अलग शहरों में लेक्चर देने जाने थे।

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२०११ में उन्होंने ‘थिंक एंड लर्न’ कंपनी बनाई जो ऑनलाइन शिक्षा देती थी। २०१५ में उन्होंने एप लांच किया। उनके एप पर साढ़े तीन करोड़ लोगों ने साइन अप किया जिसमें से २४ लाख ग्राहक सालाना १० से १२ हजार की फीस देने वाले लोग थे। यही वजह रही कि मार्च २०१९ तक ये कंपनी प्राफिट में आ गई थी। इसी मुकाम पर रवीन्द्रन ने दीर्घकालिक निवेशकों से संपर्क करना शुरू किया। बाईज्यू की नवीनतम फंडिंग में रवीन्द्रन ने अपनी कंपनी के शेयर खरीदे हैं और आज अपनी पत्नी व भाई के साथ उनके परिवार के पास ३५ फीसदी शेयर हैं।

टीम इंडिया की जर्सी पर होगा बाईज्यू

भारतीय क्रिकेट टीम की जर्सी का स्पॉंसर अब बाईज्यू होगा। सितम्बर से ओप्पो की जगह बाईज्यू का लोगो नजर आएगा। २०१७ में चीनी कंपनी ओप्पो ने बीसीसीआई के साथ टीम इंडिया की जर्सी के लिए पांच साल का करार किया जो १० अरब ७९ करोड़ रुपए का था। बताया जाता है कि बाईज्यू ने इसी कीमत पर बाकी बची अवधि यानी मार्च २०२२ तक के लिए करार कर लिया है। बाईज्यू का लोगो क्रिकेट के तीनों फार्मेट में टीम इंडिया की जर्सी पर नजर आएगा।

विदेशी कंपनी का टेकओवर

६ महीने पूर्व ‘थिंक एंड लर्न’ कंपनी ने अमेरिका की ‘ओस्मो’ कंपनी का १२० मिलिन डालर में अधिग्रहण किया है। ओस्मो छोटे बच्चों के लिए शैक्षिक गेम्स बनाती है। इस टेकओवर से ‘थिंक एंड लर्न’ को आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस व मशीन लर्निंग के एक्सपटर््स मिल गए हैं। ओस्मो कंपनी की स्थापना गूगल के पूर्व कर्मचारी प्रमोद शर्मा ने २०१३ में की थी।

खुशहाल कर्मचारी

बाईज्यू रवीन्द्रन अपनी कंपनी के कर्मचारियों का खूब ख्याल रखते हैं। पिछले साल वह कंपनी १०० टॉप परफार्मर्स को फुटबाल वल्र्ड कप दिखाने रूस ले गए थे। इस साल कर्मचारियों को विश्व कप क्रिकेट के लिए इंग्लैंड ले जाया गया था। लंदन गए कर्मचारियों में से ७० फीसदी लोग २५ वर्ष से कम आयु के थे।

जेब में क्लासरूम

ऑनलाइन युग में आज तमाम चीजें स्मार्टफोन में समा गई हैं। इनमें शिक्षा भी शामिल है। जिन लोगों में शिक्षा पाने, जानकारी हासिल करने और सीखने की ललक है उनके लिए आज का समय सर्वोत्तम है। शिक्षा के लिए कई एप मौजूद हैं जिनसे कहीं पर और किसी भी समय पढ़ाई की जा सकती है। ज्यादातर एप फ्री में पढ़ाई का अवसर देते हैं जबकि कुछ में फीस ली जाती है। एप के अलावा कई वेब साइट्स भी छात्रों को पढ़ाई के उम्दा अवसर देती हैं जिनमें ईडीएक्स, कोर्सेरा विश्वविख्यात हैं।

मेरिट नेशन : इस एप से सीबीएसई और आईसीएसई की कक्षा ६ से १२ तक की स्कूली पढ़ाई में मदद ली जा सकती है। इस एप में १६ लाख सवाल और ४० लाख से ज्यादा जवाब भरे पड़े हैं। जिसे मुफ्त में पाया जा सकता है। इसके अलावा इंजीनियरिंग, मेडिकल, सीए, एनडीए आदि की प्रवेश परीक्षा से संबंधित सहायता भी इसमें उपलब्ध है।

माई सीबीएसई गाइड : इस एप से एनसीईआरटी सवाल-जवाब, सीबीएसई पाठ्यक्रम, सैंपल पेपर, रिवीजन नोट्स, एनसीईआरटी के सॉल्यूशन, वीडियो, ऑनलाइन प्रैक्टिस व टेस्ट आदि किया जा सकता है। इसमें कक्षा ३ से १२ तक का नवीनतम सीबीएसई पाठ्यक्रम दिया गया है।

खान एकेडमी : यह भी काफी लोकप्रिय एप है जिसमें हर विषय की क्लासरूम जैसी पढ़ाई, सवाल-जवाब, मॉक टेस्ट आदि दिए हुए हैं। इसके जरिए कोई भी किसी भी विषय की पढ़ाई मुफ्त में कर सकता है। एप में दस हजार वीडियो दिए गए हैं जिससे गणित, साइंस, इकोनॉमिक्स, इतिहास आदि की पढ़ाई की जा सकती है।

टॉप रैंकर्स : २०१४ में लांच किए गए इस एप के जरिए स्टेट व नेशनल लेवल की परीक्षाओं की तैयारी की जा सकती है। एप में स्टडी मैटेरियल कौर प्रैक्टिस टेस्ट दिए हुए हैं।

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राघवेंद्र प्रसाद मिश्र जो पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के बाद एक छोटे से संस्थान से अपने कॅरियर की शुरुआत की और बाद में रायपुर से प्रकाशित दैनिक हरिभूमि व भाष्कर जैसे अखबारों में काम करने का मौका मिला। राघवेंद्र को रिपोर्टिंग व एडिटिंग का 10 साल का अनुभव है। इस दौरान इनकी कई स्टोरी व लेख छोटे बड़े अखबार व पोर्टलों में छपी, जिसकी काफी चर्चा भी हुई।

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