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तीस्ता नदी विवाद: भारत को होगी बड़ी दिक्कत, जानिए क्या है बांग्लादेश का फायदा
तीस्ता नदी के पानी का इस्तेमाल दोनों राज्य कई बांध और विद्युत जल परियोजना के लिए कर रहे हैं। इसके अलावा भारत का कहना है कि जब नदी में पानी ही नहीं बचा है तो इसको आधा-आधा कैसे कर सकते हैं, जबकि बांग्लादेश का कहना है कि जितना भी पानी बचा है उसका सही से बंटवारा करना चाहिए।
नई दिल्ली: तीस्ता नदी ने हमेशा भारत और बांग्लादेश के बीच विवाद पैदा किए हैं। तीस्ता नदी को लेकर भारत और बांग्लादेश के बीच विवाद पुराने हैं। ऐसे में आज होने वाली बैठक से उम्मीद है कि इस विवाद का हल शायद निकाल आए। वैसे दोनों देश लगातार तीस्ता नदी के विवाद को हल करने में लगे हैं, लेकिन आज तक किसी नतीजे पर नहीं पहुंच पाए हैं।
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भारत के सिक्किम राज्य से निकल कर पश्चिम बंगाल होते हुए तीस्ता नदी बांग्लादेश की जमुना (ब्रह्मपुत्र) नदी में मिल जाती है। इस नदी पर सिक्किम और उत्तरी पश्चिम बंगाल के पांच ज़िलों के तकरीबन एक करोड़ लोग निर्भर हैं। बांग्लादेश की एक बड़ी आबादी भी इसपर निर्भर है।
भारत-बांग्लादेश के बीच बहती हैं 54 नदियां
54 नदियां भारत और बांग्लादेश के बीच बहती हैं। ऐसे में लंबे समय से बांग्लादेश मांग कर रहा है कि कि इन सभी नदियों पर एक व्यापक समझौता होना चाहिए। इसलिए आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना बैठक करने वाले हैं। इस बैठक से उम्मीद है कि बरसो से चले आ रहे तीस्ता नदी विवाद को आज सुलझाया जा सकता है।
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कयास लगाए जा रहे हैं कि आज होने वाली मुलाक़ात में इस जल विवाद को लेकर सैद्धांतिक तौर पर कोई सहमति बन सकती है। उम्मीद ये भी है कि तीस्ता नदी के साथ आज सभी नदियों पर समझौते होंगे। बता दें, तीस्ता नदी को लेकर पीएम मोदी और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी कुछ दिन पहले मुलाक़ात की थी।
कैसे सुलझेगा तीस्ता नदी का विवाद?
वहीं, दोनों के देशों के तमाम नेता इस विषय पर चर्चा कर रहे हैं कि तीस्ता नदी का विवाद कैसे सुलझाना है। हालांकि, अगर ये मामला सुलझ जाता है तो इसके बाद सिक्किम और बंगाल अपनी मर्जी से नदी के पानी का इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे क्योंकि नदी का जलस्तर काफी कम हो गया है।
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यही नहीं, तीस्ता नदी के पानी का इस्तेमाल दोनों राज्य कई बांध और विद्युत जल परियोजना के लिए कर रहे हैं। इसके अलावा भारत का कहना है कि जब नदी में पानी ही नहीं बचा है तो इसको आधा-आधा कैसे कर सकते हैं, जबकि बांग्लादेश का कहना है कि जितना भी पानी बचा है उसका सही से बंटवारा करना चाहिए।
बांग्लादेश को होगा फायदा
यह समझौता बांग्लादेश के लिए बड़ी राहत होगी क्योंकि ये नदी सिक्किम से शुरू होकर बंगाल के रास्ते से बांग्लादेश जाती है। ऐसे में अगर इसका पानी आधा-आधा बंटता है तो इससे पड़ोसी मुल्क को फायदा होगा।