TRENDING TAGS :
तीस्ता सीतलवाड़ के परदादा थे हंटर कमीशन के सदस्य, जिसने जनरल डायर को दोषी पाने के बावजूद नहीं सुनाई थी सजा
साल 2002 में हुए गुजरात दंगे को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ अभियान चलाने वाली सामाजिक कार्यकर्ता और पत्रकार तीस्ता सीतलवाड़ अहमदाबाद पुलिस के हिरासत में हैं।
Teesta Setalvad: साल 2002 में हुए गुजरात दंगे को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) के खिलाफ अभियान चलाने वाली सामाजिक कार्यकर्ता और पत्रकार तीस्ता सीतलवाड़ (Journalist Teesta Setalvad) फिलहाल अहमदाबाद पुलिस (Ahmedabad Police) के हिरासत में हैं। दरअसल 9 दिसंबर 2021 को सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी, जिसमें एसआईटी द्वारा पीएम मोदी (PM Modi) और 59 अन्य नेताओं को मिली क्लीन चिट को चुनौती दिया गया था। इस याचिका को जाकिया जाफरी ने दायर किया था, जबकि तीस्ता सीतलवाड़ सह याचिकाकर्ता थीं।
24 जून 2022 को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने इस याचिका को खारिज करते हुए कहा था कि इस अपील में कोई मेरिट नहीं है, लिहाजा हम इसे खारिज करते हैं। जस्टिस एएम खानविलकर (Justice AM Khanwilkar) की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस दौरान तीस्ता सीतलवाड़ को लेकर भी तल्ख टिप्पणी की थी। इसके बाद से सीतलवाड़ निशाने पर हैं। इस फैसले के अगले ही दिन उन्हें अहमदाबाद क्राइम ब्रांच उन्हें एक एफआईआर के सिलसिले में अपने साथ ले गई। इस प्रकरण के बाद से सीतलवाड़ सुर्खियों में है।
तीस्ता के परदादा के थे मेंबर हंटर कमीशन
सीतलवाड़ परिवार से इस देश में कई जाने – माने वकील हुए हैं। तीस्ता सीतलवाड़ के दादा मोतीलाल चिमनलाल सीतलवाड़ (Grandfather Motilal Chimanlal Setalvad) देश के पहले अटार्नी जनरल थे। इनके परदादा चिमनलाल हरिलाल सीतलवाड़ हंटर कमिशन के तीन सदस्यों में से एक थे। ये वही हंटर कमीशन है, जिसने जालियांवाला बाग हत्याकांड (Jallianwala Bagh Massacre) की जांच की थी। हंटर कमीशन को लेकर देश में काफी विवाद है। क्योंकि इसपर जालियांवाला बाग नरसंहार के मुख्य आरोपी कर्नल रेगिनाल्ड डायर को दोषी पाने के बावजूद, कोई आपराधिक सजा नहीं देने का आरोप है। नियमानुसार उसे इतने बड़े नरसंहार के लिए फांसी की सजा होनी थी मगर पहले हंटर कमीशन और फिर ब्रिटिश सरकार ने उसे ऐसे ही छोड़ दिया।
हंटर कमीशन का उद्देश्य डायर को बचाना था
जालियावाला बाग हत्याकांड (Jallianwala Bagh Massacre) की जांच के लिए ब्रिटिश सरकार ने लॉर्ड विलियम हंटर की अध्यक्षता में एक जांच कमेटि बनाया था। उनके नाम पर इस कमेटि को हंटर कमीशन कहा गया। उनके साथ इस कमीशन में जस्टिस रैकन और तीस्ता के परदादा सर चिमनलाल हरिलाल सीतलवाड़ भी शामिल थे। 19 नवंबर 1919 को डायर आयोग के सामने पेश हुआ और अपने हर अपराध को सही ठहराता रहा।
उसके बाद भी उसे सजा नहीं सुनाई गई। इस कमेटी में शामिल तीस्ता के परदादा सर चिमनलाल ने भी जनरल डायर से काफी सवाल जवाब किए थे, उन्होंने तीखी जिरह करते हुए डायर को यह कहने पर मजबूर कर दिया कि उसने जो किया, वो खुद उसके दिमाग की उपज ही नहीं थी बल्कि उसने जानबूझकर ऐसा किया था।
दरअसल कमेटी के सभी अंग्रेज सदस्यों की शुरू से ही कोशिश थी कि डायर को निर्दोष साबित किया जाए। डायर को नौकरी से हटाया गया जरूर गया मगर ये उसके द्वारा किए गए खूनी कृत्य की तुलना में बहुत हल्की सजा थी। यहां तक की ब्रिटिश राज के कुछ अफसर उसे अपना हीरो भी मानते थे। डायर की 62 साल की उम्र में 27 जुलाई 1927 को मौत हो गई थी। आपको बता दें कि जालियावाला बाग हत्याकांड में 1500 से अधिक लोग मारे गए थे।