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अहमद वानी ने देश के लिए दे दी जान, कभी थे खूंखार आतंकी
श्रीनगर: कश्मीर के कई युवाओं ने आतंक की राह पकड़ ली है। उन्हीं में से एक थे नजीर अहमद वानी, लेकिन वह आतंक की राह छोड़ देश के लिए अपनी जान कुर्बान कर दी। कई साल पहले वानी भी खूंखार आतंकी थी, लेकिन बाद में उन्होंने आतंक की राह छोड़ खुद को देश सेवा के लिए समर्पित कर दिया। वह भारतीय सेना में शामिल हो गए। सोमवार को भारतीय सीमा और लोगों की सुरक्षा के लिए अपना बलिदान दे दिया। सेना के अधिकारियों ने कहा है कि वानी का बलिदान बेकार नहीं जाएगा।
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शहीद नजीर अहमद वानी थे खुंखार आतंकी शहीद नजीर अहमद वानी कुलगाम के चक अशमुजी गांव के रहने वाले थे। देश के लिए बलिदान देने वाले लांस नायक नजीर अहमद वानी को पूरे गांव ने अश्रुपूर्ण विदाई दी। सेना और आतंकियों के बीच हुए मुठभेड़ में वह शहीद हो गए। इस मुठभेड़ में सेना ने 6 आतंकवादियों को भी ढेर कर दिया था। सैनिक का पार्थिव शरीर तिरंगे में लपेट कर कुलगाम में उनके पैतृक गांव चक अशमुजी लाया गया और उनके परिजनों को सौंपा गया। पार्थिव शरीर के साथ आए सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने जानकारी देते हुए कहा कि वानी शुरूआत में एक आतंकवादी थे, लेकिन बाद में हिंसा की निरर्थकता महसूस करने के बाद वे सेना में शामिल हो गए थे।
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सामान्यतौर पर लोगों यही मानना है कि आतंक का अपना कोई ईमान नहीं होता, लेकिन शहीद लांस नायक नाजिर अहमद वानी उनमें से नहीं थे। उन्होंने आतंक की राह छोड़ खुद को देश सेवा के लिए समर्पित कर दिया।
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दो बार सेना ने किया था सम्मानित बता दें कि नजी अहमद वानी 2004 में सेना में शामिल हुए थे। सेना में रहते हुए उनको दो बार अगस्त 2017 और 2018 में सेना मेडल से सम्मानित किया गया था। वानी के घर में पत्नी और दो बच्चे हैं। उन्हें कल सुपुर्द ए खाक करते समय 21 तोपों की सलामी दी गई। इस मौके पर सैकड़ों लोग मौजूद थे। उनका गांव आतंकी गतिविधियों के लिए कुख्यात है। लेकिन जैसे की वानी की मौत की खबर लगी गांव में मातम छा गया। उनकी शहादत को वतन हमेशा याद रखेगा।