TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

अब गडकरी दिलायेंगे इससे मुक्ति, कोर्ट ने की उनसे गुज़ारिश

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय परिवाहन मंत्री नितिन गडकरी को कोर्ट में किया तलब । आकर बताएं कि प्रदूषण को नियंत्रित करने में आखिर दिक्कत कहां आ रही है।

Aradhya Tripathi
Published on: 19 Feb 2020 5:50 PM IST
अब गडकरी दिलायेंगे इससे मुक्ति, कोर्ट ने की उनसे गुज़ारिश
X

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय परिवाहन मंत्री नितिन गडकरी को कोर्ट में तलब किया है। माननीय उच्चतम न्यायालय ने केंद्रीय सड़क परिवाहन मंत्री नितिन गडकरी को सार्वजनिक परिवहन और सरकारी वाहनों को इलेक्ट्रिक व्हीकल में बदलने की प्रक्रिया पर सुनवाई करते हुए कोर्ट में पेश होने का आदेश दिया।

गडकरी करेंगे प्रदूषण को नियंत्रित....

मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे ने सार्वजनिक परिवहन और सरकारी वाहनों को इलेक्ट्रिक व्हीकल में बदलने की प्रक्रिया पर सुनवाई करते हुए केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी को को र्ट में पेश होने को कहा। सीजीआई बोबडे ने कहा कि हम चाहते हैं कि गडकरी कोर्ट में आकर बताएं कि प्रदूषण को नियंत्रित करने में आखिर दिक्कत कहां आ रही है।

ये भी पढ़ें- मोदी कैबिनेट की आज सुबह 10.30 बजे बैठक

एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ने जताई नाराज़गी....

सीजीआई द्वारा केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी को कोर्ट में पेश होने को बुलाने पर एडिशनल सॉलिसिटर जनरल माधवी गराडिया ने विरोध जताया है।

एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ने नाराज़गी जताते हुए कोर्ट में कहा कि अगर केंद्रीय मंत्री को पेश होने को कहा गया तो इसका राजनीतिक असर पड़ेगा। जो कि किसी भी तरह से सही नहीं है।

ये भी पढ़ें- डिंपल यादव के वो राज! जो शायद अखिलेश भी नहीं जानते..

सीजीआई ने कहा आदेश नहीं, गुज़ारिश...

एडिशनल सॉलिसिटर जनरल के विरोध जताने पर मुख्य न्यायाधीश बोबडे ने कहा हम आदेश नहीं दे रहे हैं, इसे एक गुजारिश समझें। केंद्रीय मंत्री के पास इनोवेटिव आइडियाज़ हैं, जिससे प्रदूषण दूर करने में मदद मिल सकती है। देखिए वह कोर्ट में आ सकते हैं या नहीं।

सीजीआई ने कहा क्योंकि इलेक्ट्रिक गाड़ियों के बारे में दूसरों के बजाय परिवहन मंत्री को अच्छी समझ होगी। कोर्ट ने आगे कहा कि हम प्रदूषण को लेकर कोई समझौता नहीं कर सकते। ये सिर्फ दिल्ली-एनसीआर का नहीं, बल्कि देश का मामला है।

कोर्ट में दायर याचिका....

दरअसल इस विषय में कोर्ट में एक याचिका दायर है। कोर्ट में दायर याचिका में कहा गया कि सरकार ने सार्वजनिक और सरकारी वाहनों को इलेक्ट्रिक वाहनों में तब्दील करने के लिए पर्याप्त कोशिशें नहीं की।

याचिकाकर्ता के वकील प्रशांत भूषण ने कोर्ट में सुझाव दिया कि सरकार इस मामले में पेट्रोल-डीजल कार वालों से जुर्माना वसूल सकती है और इलेक्ट्रिक व्हीकल पर सब्सिडी दे सकती है। कोर्ट ने सरकार को चार हफ्तों में मीटिंग कर इलेक्ट्रिक वाहनों से संबंधित मामले में कोई फैसला लेने को कहा है।

ये भी पढ़ें- राम मंदिर पर बड़ी खबर: सरकार ने किया ऐलान, इनको मिली ये जिम्मेदारी

इलेक्ट्रिक गाड़ियों को बढ़ावा देने के लिए सरकार लाई है पॉलिसी....

इलेक्ट्रिक गाड़ियों के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए सरकार भी कई कदम उठा रही है। इलेक्ट्रिक गाड़ी खरीदने पर सरकार की ओर से सब्सिडी भी दी जा रही है। साथ ही सरकार लिथियम ऑयन बैटरी की मैन्युफैक्चरिंग पर भी सब्सिडी देने की योजना लेकर आई है। इसके लिए सरकार बैटरी मैन्युफैक्चरिंग पॉलिसी लाई है।

पॉलिसी के मुताबिक, सरकार प्रति किलोवॉट ऑवर 2,000 रुपये की सब्सिडी देगी। जिसका मतलब है कि एक इलेक्ट्रिक व्हीकल में एक बड़ा हिस्सा बैटरी खर्च को लेकर है। लिथियम बैटरी पर सब्सिडी से इलेक्ट्रिक व्हीकल की कीमत कम हो जाएगी। ये सब्सिडी इलेक्ट्रिक व्हीकल पर मौजूदा छूट के अलावा होगी।



\
Aradhya Tripathi

Aradhya Tripathi

Next Story