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The Holocaust and Kashmir Files: क्या है द होलोकॉस्ट, जिसकी कश्मीर फाइल्स की आलोचना के बाद हो रही है चर्चा
The Holocaust: नदव लैपिड जो कि एक यहूदी हैं, एक ऐसे धर्म से आते हैं, जिसे दुनिया में सबसे ज्यादा सताई हुई कौम मानी जाती है। यही वजह है कि लोगों को उनके बयान पर अचरज हो रहा है।
The Holocaust: 'द कश्मीर फाइल्स' (The Kashmir files) मूवी पर IFFI जूरी हेड के बयान को लेकर बवाल खड़ा हो गया है। इजरायली फिल्मकार और IFFI जूरी हेड नदव लैपिड (Nadav Lapid ) ने फिल्म पर तल्ख टिप्पणी कर एक बार फिर से कश्मीरी पंडितों के उस दर्दनाक अतीत को जिंदा कर दिया है, जिसके जख्म अभी भी नहीं भरे हैं। लैपिड के बयान से नाराज भारत में कुछ लोग उन्हें 'द होलोकॉस्ट' की याद दिला रहे हैं। दरअसल, यह टर्म नाजियों के हाथों यहूदियों के हुए नरसंहार के लिए कहा जाता है।
नदव लैपिड जो कि एक यहूदी हैं, एक ऐसे धर्म से आते हैं, जिसे दुनिया में सबसे ज्यादा सताई हुई कौम मानी जाती है। यही वजह है कि लोगों को उनके बयान पर अचरज हो रहा है। एक यहूदी इजरायली फिल्मकार द्वारा कश्मीर फाइल्स की आलोचना के बाद द होलोकॉस्ट' शब्द चर्चा का विषय बन गया है।
क्या है द होलोकॉस्ट
जर्मन तानाशाह एडॉल्फ हिटलर यहूदियों से बेइतहां नफरत करता था। वह मानता था कि यहूदी इंसानों से कमतर हैं और इस नस्ल के एक भी व्यक्ति को जीवित रहने का अधिकार नहीं है। 1940 के दशक में जब यूरोप सेकेंड वर्ल्ड वॉर की आग में जल रहा था, तब वहां यहूदियों का नरसंहार चरम पर था। हिटलर यूरोप के जीते हुए इलाकों से चुन चुन कर यहूदियों को लाता और उसे 'कंसन्ट्रे शन कैंप में रखकर खूब यातनाएं देता। 1941 में शुरू हुआ यह नरसंहार 1945 जब तक खत्म होता, 60 लाख से अधिक यहूदी मारे जा चुके थे। इस समय तक यूरोप के अधिकतर यहूदी मारे जा चुके थे।
द होलोकॉस्ट में यहूदियों पर कैसा जुल्म हुआ, इसकी दास्तान बचकर निकले कई लोगों ने सुनाई। नाजियों के दमन का शिकार हुए एक यहूदी लड़की ऐनी फ्रैंक की डायरी जर्मनी की बर्बरता का लिखित दस्तावेज बनी। ऐनी दो साल तक अपने परिवार के साथ नाजियों के गिरफ्त से छिपती और भागती रहीं। एक गद्दार ने उनके परिवार के बारे एक जर्मन सैनिक को बता दिया। नतीजतन पूरे परिवार को यातना शिविर में डाल दिया गया। ऐनी फ्रैंक और उसका परिवार मार दिया गया लेकिन उसकी डायरी नाजियों के हाथ नहीं लगी।
इजरायली राजनयिक कर रहे नदव लैपिड की आलोचना
फिल्मकार और IFFI जूरी हेड नदव लैपिड 'द कश्मीर फाइल्स' फिल्म पर टिप्पणी कर अपने ही लोगों के निशाने पर आ चुके हैं। भारत में इजरायल के राजदूत के अलावा कई पूर्व राजनयिकों ने उन्हें लताड़ लगाई है। इजरायल के महा वाणिज्यदूत कोब्बी शोशानी ने कहा, जब मैंने फिल्म देखी तो मेरे आंखों में आंसू आ गए। यह फिल्म देखना आसान नहीं था। हम यहूदी हैं, जो भयानक चीजों से पीड़ित रहे हैं और हमें लगता है कि दूसरों की पीड़ा को साझा करना होगा। वहीं, भारत और श्रीलंका में इजरायल के पूर्व राजदूत डेनियल कारमोन ने नदव लैपिड की आलोचना करते हुए कहा कि उन्हें बिना किसी संवेदनशीलता के ऐतिहासिक तथ्यों पर अपनी निजी टिपप्णियों के लिए माफी मांगनी चाहिए।
इससे पहले वर्तमान में भारत में इजरायल के राजदूत नाओर गिलोन ने नदव लैपिड को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि आपका यह बयान असंवेदनशील और अभिमान से भरा हुआ है। आपको शर्म आनी चाहिए। गिलोन ने कहा कि भारत की मेजबानी और दोस्ती के बदले मैं लैपिड के बयान पर शर्मिंदा हूं।