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लिटरेचर फेस्ट‍िवल में बोले साहित्यकार, देश में हिंदी साहित्य को महत्व नहीं दिया जाता

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Published on: 12 Nov 2016 7:50 AM GMT
लिटरेचर फेस्ट‍िवल में बोले साहित्यकार, देश में हिंदी साहित्य को महत्व नहीं दिया जाता
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नई दिल्ली: शायरी, कविताएं, कहानियां और उपन्यास के शौकीन लोगों के लिए आज 12 नवंबर से लिटरेचर फेस्ट‍िवल 'साहित्य आज तक' शुरु हो गया। फेस्टिवल कल 13 नवंबर तक चलेगा। 'साहित्य आज तक' की शुरुआत ग्रुप एडोटोरियल निदेशक कला पुरी ने की। उन्होंने इंदिरा गांधी नेशनल सेंटर फॉर द आर्ट्स में कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए दुख व्यक्त किया कि देश में हिंदी साहित्य को महत्व नहीं दिया जाता।

उनकी कोशिश है कि हिंदी साहित्य की परंपरा को आने वाली पीढ़ी संभाल ले। उन्होंने जय हिंद जय हिंदी बोलकर अपना संबोधन खत्म किया। आयोजन की शुरुआत जावेद अख्तर से हुई।उन्होंने हर मुद्दे पर खुलकर अपनी बात रखी। ट्रिपल तलाक पर उन्होंने तत्काल प्रतिबंध लगाने की बात कही। उनका कहना था कि देश का संविधान सबसे ऊपर है।

नोटबंदी पर कहा कि देश के लिए एक दो दिन तकलीफ उठाने में कोई नुकसान नहीं है। दो दिनों में भारतीय साहित्य जगत के तमाम दिग्गज एक ही मंच पर जुटेंगे। सांस्कृतिक कार्यक्रमों के अलावा उभरते लेखकों को यहां अपनी कृतियों को पेश करने का मौका भी मिलेगा।

दो दिन चलने वाले इस कार्यक्रम में 32 सत्र रखे गए हैं। इसमें बाॅलीवुड के कई दिग्गज जैसेे, जावेद अख्तर, अनुराग कश्यप, आशुतोष राणा, नंदिता दास, अनुपम खेर आदि शामिल होंगे। इसी के साथ रेडियो की दुनिया में अपना नाम करने आरजे रौनक और आरजे साइमा भी लोगों से रू-ब-रू होंगे।

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