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Train Accident: फिर कहां हुई चूक? जब हादसे वाले रूट पर सुबह से ही खराब था सिग्नल

Train Accident: एक मालगाड़ी सुबह 8.42 बजे रंगपानी रेलवे स्टेशन से रवाना हुई और सिग्नल फेल होने के कारण ट्रैक पर खड़ी कंचनजंगा एक्सप्रेस को पीछे से टक्कर मार दी।

Ashish Kumar Pandey
Published on: 17 Jun 2024 1:40 PM GMT (Updated on: 17 Jun 2024 2:14 PM GMT)
Train Accident: फिर कहां हुई चूक? जब हादसे वाले रूट पर सुबह से ही खराब था सिग्नल
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Train Accident: पश्चिम बंगल में सोमवार को हुए रेल हादसे ने एक बार फिर रेलवे की सुरक्षा प्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। पश्चिम बंगाल में सोमवार सुबह उस समय एक बड़ा रेल हादसा हो गया जब रानीपतरा रेलवे स्टेशन और छत्तरहाट जंक्शन के बीच कंचनजंगा एक्सप्रेस को एक मालगाड़ी ने पीछे से टक्कर मार दी। हादसे में 9 यात्रियों की मौत हो गई और 50 से अधिक घायल हो गए। टक्कर के कारण जहां मालगाड़ी के कुछ वैगन बेपटरी हो गए तो वहीं कंचनजंगा एक्सप्रेस में पीछे की ओर लगे कई कोच क्षतिग्रस्त हो गए।

अब यहां यह सवाल उठ रहा है कि जब हादसे वाले रूट पर सुबह से ही सिग्नल खराब था, 10 किमी की स्पीड से ट्रेन चलानी थी तो फिर ये हादसा कैसे हो गया? रेलवे सूत्रों के मुताबिक हादसे वाले रूट पर ऑटोमेटिक सिग्नलिंग सिस्टम सुबह 5.50 बजे से खराब था। एक न्यूज ऐजेंसी ने रेलवे सूत्र के हवाले से अपनी रिपोर्ट में बताया, ट्रेन नंबर 13174 (सियालदह कंचनजंघा एक्सप्रेस) सुबह 8.27 बजे रंगपानी स्टेशन से रवाना हुई और सुबह 5.50 बजे ऑटोमेटिक सिग्नलिंग सिस्टम खराब होने के कारण रानीपतरा रेलवे स्टेशन और छत्तरहाट जंक्शन के बीच रुक गई।


कंचनजंघा एक्सप्रेस को जारी हुआ था TA-912

एक अन्य रेलवे अधिकारी के अनुसार, जब ऑटोमेटिक सिग्नलिंग सिस्टम में खराबी आ जाती है, तो स्टेशन मास्टर TA-912 नाम से एक लिखित नोट जारी करता है, जो लोको पायलट (ट्रेन का ड्राइवर) को सिग्नलिंग सिस्टम काम नहीं करने की स्थिति में सभी रेड सिग्नल क्रॉस करने के लिए अधिकृत करता है।


स्टेशन मास्टर ने टीए-912 जारी किया था

सूत्र ने कहा, रानीपतरा के स्टेशन मास्टर ने ट्रेन नंबर 1374 (सियालदह कंचनजंघा एक्सप्रेस) को टीए-912 जारी किया था। रेलवे सूत्र ने आगे कहा, एक मालगाड़ी सुबह 8.42 बजे रंगपानी रेलवे स्टेशन से रवाना हुई और सिग्नल फेल होने के कारण ट्रैक पर खड़ी कंचनजंगा एक्सप्रेस को पीछे से जोरदार टक्कर मार दी। टक्कर के कारण कंचनजंगा एक्सप्रेस का गार्ड कोच, दो पार्सल कोच और एक जनरल सीटिंग कोच पटरी से उतर गए।वहीं रेलवे बोर्ड की अध्यक्ष जया वर्मा सिन्हा ने अपने शुरुआती बयान में कहा कि मालगाड़ी के ड्राइवर ने सिग्नल का उल्लंघन किया था।



खराब सिग्नल होने की स्थिति में क्या हैं नियम?

यह तो जांच के बाद ही पता चल सकता है कि क्या मालगाड़ी को खराब सिग्नल पार करने के लिए रंगपानी के स्टेशन मास्टर ने TA-912 नोट जारी भी किया था या फिर लोको पायलट ने खुद ही रेड सिग्नल का उल्लंघन किया। अगर TA-912 जारी भी किया जाता है, तो भी ड्राइवर को प्रत्येक खराब सिग्नल पर ट्रेन को एक मिनट के लिए रोकना होता है और 10 किमी प्रति घंटे की गति से ही आगे बढ़ाना होता है। वहीं लोको पायलट संगठन ने रेलवे के इस बयान पर सवाल उठाया है कि ड्राइवर ने रेड सिग्नल का उल्लंघन किया, इस कारण से हादसा हुआ। इंडियन रेलवे लोको रनिंगमेन ऑर्गनाइजेशन (IRLRO) के कार्यकारी अध्यक्ष संजय पांधी ने कहा, हादसे में लोको पायलट की मौत हो चुकी है और अभी सीआरएस जांच लंबित है। जांच पूरी होने से पहले ही लोको पायलट को हादसे के लिए जिम्मेदार घोषित करना बेहद आपत्तिजनक है। हादसे के बाद अब सवाल तो उठेंगे ही। हादसे की असली वजह क्या थी यह तो जांच के बाद ही सामने आएगा। लेकिन उन निर्दोष लोगों का क्या दोष था जो अपनी जान गवा बैठे।

Shalini Rai

Shalini Rai

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