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Monkeypox in India: केरल में मंकीपॉक्स का तीसरा मामला आया सामने, स्वास्थ्य मंत्री ने की पुष्टि
Monkeypox in India: केरल में शुक्रवार को देश के इस दक्षिणी राज्य में एक और मंकीपॉक्स का मामला सामने आया है। सीपीएम सरकार में स्वास्थ्य मंत्री वीना जार्ज (स्वास्थ्य मंत्री वीना जार्ज) ने इसकी पुष्टि की है।
Monkeypox in India: केरल में मंकीपॉक्स (Monkeypox Case In kerala) के नए मामलों में बढ़ोतरी जारी है। शुक्रवार को देश के इस दक्षिणी राज्य में एक और मामला सामने आया है। सीपीएम सरकार (cpm government) में स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज (Health Minister Veena George) ने इसकी पुष्टि की है। इस प्रकार राज्य में अब मंकीपॉक्स के तीन मामले हो चुके हैं। राज्य में 14 जुलाई को पहला और 18 जुलाई को दूसरा केस मंकीपॉक्स का सामने आया था।
विदेश से लौटा था संक्रमित व्यक्ति
केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीणा जॉर्ज (Health Minister Veena George) ने बताया कि संक्रमित व्यक्ति जुलाई के पहले हफ्ते में यूएई से लौटा था। उसकी उम्र 35 वर्ष है। मल्लपुरम का रहने वाला यह युवक वहां के किसी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में रह चुका था। उसका राजधानी तिरुवनंतपुरम के मंजेरी मेडिकल कॉलेज में इलाज चल रहा है। युवक की हालत स्थिर है। स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि संपर्क में रह रहे लोगों पर करीब से नजर रखी जा रही है। बता दें कि अब तक केरल में जितने भी मामले सामने आए हैं, उनमें सभी की ट्रेवल हिस्ट्री एक समान है। सभी यूएई से लौटे हैं।
क्या है मंकीपॉक्स
मंकीपॉक्स बीमारी एक ऐसे वायरस के कारण होती है, जो स्मॉल पॉक्स यानी चेचक के वायरस के परिवार का ही सदस्य है। मंकीपॉक्स 1958 में पहली बार एक बंदर में पाया गया था, जिसके बाद 1970 में यह अफ्रीका के 10 देशों में फैल गया था। इस साल यानी 2022 में इसका पहला केस ब्रिटेन में 6 मई को पाया गया, जिसके बाद इसका संक्रमण दुनिया के 60 से अधिक देशों में फैल गया।
मंकीपॉक्स के लक्षण
मंकीपॉक्स के सामान्य शुरूआती लक्षणों में तेज बुखार, सूजी हुई लिम्फ नोड्स, शरीर पर चेचक जैसे दाने, सिरदर्द, कमरदर्द, ठंड लगना/पसीना आना, शरीर में दर्द, गले में खराश और खांसी शामिल है। ये संक्रमण आमतौर पर अपने आप ठीक हो जाता है और 14 से 21 दिनों तक रहता है।
संक्रमण कहां से फैलता है ?
किसी संक्रमित व्यक्ति के नजदीकी संपर्क में आने से मंकीपॉक्स हो सकता है। इसका वायरस हमारी त्वचा पर किसी कट से या आंख, नाक या मुंह के रास्ते शरीर में जा सकता है। सेक्स के दौरान भी ये वायरस एक शख्स से दूसरे शख्स के बीच जा सकता है। इसके अलावा ये संक्रमित जानवरों जैसे गिलहरियों, बंदरों और चूहों से भी फैल सकता है। इसके अलावा यदि बिस्तर कपड़ों पर वायरस है तो उनके संपर्क में आने से भी ये फैल सकता है।
क्या करें और क्या नहीं करें
संक्रमित व्यक्ति की किसी भी चीज जैसे बिस्तर, बर्तन, कपड़े, तौलिये के संपर्क में आने से बचें। संक्रमित मरीजों को आइसोलेट करें। संक्रमित इंसानों और जानवरों के संपर्क में आने के बाद अच्छी तरह से हाथों को साफ करें। अल्कोहल आधारित हैंड सैनेटाइजर का इस्तेमाल करें। मंकीपॉक्स के मरीजों की देखभाल करते समय उपयुक्त व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (पीपीई) जैसे कवर ऑल/गाउन, एन-95 मास्क, फेस शील्ड/सुरक्षा चश्मे और दस्ताने का प्रयोग करें। संक्रमित को ट्रिपल लेयर मास्क पहनाएं। त्वचा के घावों को जहां तक हो सके ढंग कर रखें। पालतू जानवर को संक्रमिक व्यक्ति के वातावरण से दूर रखें। उस समय तक आइसोलेट रहें जब तक कि सभी घाव दूर न हो जाएं और पपड़ी पूरी तरह से गिर न जाए।
मंकीपॉक्स का इलाज
मंकीपॉक्स की रोकथाम और उपचार के लिए एक बहुराष्ट्रीय स्तर पर मंजूरी पा चुकी वैक्सीन JYNNEOSTM भी उपलब्ध है, जिसे इम्वाम्यून या इम्वेनेक्स के नाम से भी जाना जाता है। इस कंपनी को डेनिश दवा कंपनी बवेरियन नार्डिक बनाती है। अफ्रीका में इसके इस्तेमाल के पिछले आंकड़े बताते हैं कि यह मंकीपॉक्स को रोकने में 85 प्रतिशत प्रभावी है। इसके अलावा एक चेचक का टीका है जिसका नाम ACAM2000 है। स्वास्थ्य अधिकारी मानते हैं कि ये वैक्सीन मंकीपॉक्स वायरस के खिलाफ भी प्रभावी होता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन भी कह चुका है कि चेचक के टीके लगवाने वाले लोग काफी हद तक मंकीपॉक्स वायरस से सुरक्षित रहते हैं।