×

TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

संगीत का अनमोल सितारा थे ओंकारनाथ ठाकुर, जानिए अनसुनी बातें

शुरुआती शिक्षा के बाद पंडित ओमकारनाथ ठाकुर को पढ़ाई छोड़नी पड़ी और मां का हाथ बटाने में जुट गए, लेकिन आफत तब और बढ़ गई, जब अचानक पिता का निधन हो गया। इसके बाद ओंकार नाथ ठाकुर ने परिवार चलाने के लिए रसोइये से लेकर मिलों में काम किया।

Newstrack
Published on: 29 Dec 2020 12:59 PM IST
संगीत का अनमोल सितारा थे ओंकारनाथ ठाकुर, जानिए अनसुनी बातें
X
संगीत का अनमोल सितारा थे ओंकारनाथ ठाकुर, जानिए अनसुनी बातें

लखनऊ: भारतीय शास्त्रीय संगीत की बात हो और पं. ओंकारनाथ ठाकुर का जिक्र न हो. ऐसा हो ही नहीं सकता। 50 और 60 के दशक में देश के मंचों पर महफ़िलों में जलवा बिखरने वाले पं. ओंकारनाथ ठाकुर ने वंदेमातरम और 'मैया मोरी मैं नहीं माखन खायो' जैसी गीतों से लोगों का दिलों में एक अलग ही छाप छोड़ गई। बता दें कि भारतीय शास्त्रीय संगीतज्ञ पं. ओंकारनाथ ठाकुर की आज पुण्यतिथि हैं।

पं. ओमकार ने आजादी पर किया वंदे मातरम् का प्रसारण

15 अगस्त 1947 यानी देश की आजादी का दिन, उस दिन पूरे देश में वंदे मातरम् का प्रसारण किया। सरदार वल्लभ भाई पटेल के न्योते पर एक नामी और प्रसिद्ध कलाकार ने मुंबई के ऑल इंडिया रेडियो में वंदे मातरम की रिकॉर्डिंग की उस कलाकार ने एक शर्त रखी कि इस रचना को भूल तभी देंगे, जब उन्हें रचना पूरी गाने दी जाएगी, जिसके लिए सभी लोग तैयार हो गए। यह कलाकार कोई और नहीं बल्कि पंडित ओमकारनाथ ठाकुर थे।

गुजरात के बड़ौदा से थे पं. ओमकारनाथ

पंडित ओमकारनाथ ठाकुर का जन्म 24 जून 18 सो 97 को गुजरात के बड़ौदा में हुआ था। परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी। दादाजी ने नवाब साहब पेशवा के लिए और पिता ने बड़ौदा की महारानी की सेना में काम किया था। परिवार की आर्थिक स्थिति तब और बिगड़ गई, जब ओमकारनाथ ठाकुर के पिता गौरी शंकर ठाकुर काम धाम छोड़कर एक सन्यासी की शरण में चले गए। सन्यासी के शरण में जाने के बाद पिता लगातार ओंकार का ही जाप किया करते थे। कुछ ही समय बाद उन्होंने घर भी छोड़ दिया और दूर जाकर छोटी सी कुटिया में रहने लगे।

मां का हाथ बटाने में जुटे पं. ओंकार

अब मां के सामने बच्चों को पालने संघर्ष आ खड़ा हुआ। मां ने उसको संघर्ष को स्वीकार किया और दूसरों के घरों में जाकर काम करने लगी। और जब जद्दोजहद हो खाने पीने की, तो पढ़ाई-लिखाई करने का तो सवाल ही नहीं उठता। बहुत ही शुरुआती शिक्षा के बाद पंडित ओमकारनाथ ठाकुर को पढ़ाई छोड़नी पड़ी और मां का हाथ बटाने में जुट गए, लेकिन आफत तब और बढ़ गई, जब अचानक पिता का निधन हो गया। इसके बाद ओंकार नाथ ठाकुर ने परिवार चलाने के लिए रसोइये से लेकर मिलों में काम किया। कुछ समय बाद उन्होंने एक रामलीला कंपनी में भी काम किया।

ओमकार के गले में सरस्वती का था वास

जैसा कि पंडित ओमकारनाथ ठाकुर के गले में सरस्वती का वास तो था ही, गायकी में उनका मन बहुत लगता था। संगीत सीखने की ललक भी थी। इस ललक में वह यहां वहां आते-जाते रहे, मगर स्थितियां विपरीत थी। आखिकार एक रोज एक पैसे वाले सेठ डुंगाजी ने पंडित ओमकारनाथ ठाकुर का गायन सुना। सेठ जी को गायन का शौक भी था, उन्होंने तुरंत यह फैसला किया कि ओमकारनाथ ठाकुर ग्वालियर घराने के पंडित विष्णु दिगंबर पलुस्कर से शास्त्री संगीत की तालीम लेंगे।

Pt Omkaranath Thakur

पलुस्कर जी ओमकार के प्रतिभा के हो गए कायल

बहुत जल्द ही विष्णु दिगंबर पलुस्कर जी ओमकार ठाकुर के प्रतिभा के कायल हो गए। उन्होंने पंडित ओंकार को अपने साथ मंच पर बैठाना शुरू कर दिया। गुरु के इस विश्वास का पंडित ओंकारनाथ ठाकुर पर गहरा असर पड़ा। 21-22 साल की उम्र रही होगी जब उन्हें पहली अपना कार्यक्रम प्रस्तुत करने को मिला होगा। पंडित विष्णु दिगंबर पलुस्कर जब तक जीवित रहें, तब तक पंडित ओंकारनाथ ठाकुर उनसे तालीम लेते रहें।

राष्ट्रपिता ने भी की ओंकार की तारीफ

आपको बता दें कि पंडित ओंकारनाथ ठाकुर का नाम बड़े ही सम्मान से लिया जाता है। वे ऐसे संगीतज्ञ थे जिसकी तारीफ राष्ट्रपिता महात्मा गांधी भी करते थे। महामना मदनमोहन मालवीय भी उनसे बेहद प्रभावित थे। ओंकारनाथ ठाकुर पहले ऐसे संगीतज्ञ थे, जिन्होने संगीतज्ञों को उनका पारितोषिक दिलाना शुरू किया। संगीतज्ञों की हकों को वह मुखर होकर उठाते थे। सरदार पटेल भी उनकी गायकी को पंसद करते थे।

अनेक भाषाओं में अपनी गायकी जलबा बिखेरा

आपको बता दें कि पं. ओंकारनाथ ठाकुर जर्मनी, इटली, फ्रांस, इंग्लैंड, स्विट्जरलैंड और रूस में भी अपनी गायकी जलबा बिखेरा। इतना ही नहीं, जब वे बीस वर्ष के थे, उन्हें लाहौर के गंधर्व संगीत विद्यालय का प्रिंसिपल बनाया गया। इसके अलावा मदन मोहन मालवीय ने उन्हें एक बार काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में शामिल होने का न्यौता दिया, काशी आकर उन्हें इतना अच्छा लगा कि वे यहीं बस गए।

दोस्तों देश दुनिया की और खबरों को तेजी से जानने के लिए बनें रहें न्यूजट्रैक के साथ। हमें फेसबुक पर फॉलों करने के लिए @newstrack और ट्विटर पर फॉलो करने के लिए @newstrackmedia पर क्लिक करें।



\
Newstrack

Newstrack

Next Story