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जीएसटी के लिए व्यापारियों ने कसी कमर, 1 जुलाई से होना है लागू

व्यापारियों के शीर्ष संगठन, कॉन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने शुक्रवार को कहा कि 01 जुलाई से देश भर में लगने वाले जीएसटी कानून को अपनाने के लिए व्यापारी तैयारियों में जुट गए हैं और अपनी प्रणाली को आवश्यक सॉफ्टवेयर एवं प्रौद्योगिकी से जोड़ रहे हैं।

tiwarishalini
Published on: 30 Jun 2017 10:04 PM IST
जीएसटी के लिए व्यापारियों ने कसी कमर, 1 जुलाई से होना है लागू
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जीएसटी के लिए व्यापारियों ने कसी कमर, 1 जुलाई से होना है लागू

नई दिल्ली: व्यापारियों के शीर्ष संगठन, कॉन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने शुक्रवार को कहा कि 01 जुलाई से देश भर में लगने वाले जीएसटी कानून को अपनाने के लिए व्यापारी तैयारियों में जुट गए हैं और अपनी प्रणाली को आवश्यक सॉफ्टवेयर एवं प्रौद्योगिकी से जोड़ रहे हैं।

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कैट ने सरकार से आग्रह किया है कि कपड़ा, ऑटो स्पेयर पार्ट्स, अनाज, हाउसिंग सेक्टर से संबंधित व्यापारियों की कुछ चिंताएं हैं, जिन पर ध्यान देकर उनका निराकरण करना उचित होगा। कैट ने यह भी कहा कि चूंकि कपड़ा व्यापारी अभी तक अप्रत्यक्ष कर के दायरे में नहीं थे, इसलिए यदि उन्हें कर प्रणाली को समझने के लिए कुछ समय दिया जाए और बाद में उन्हें जीएसटी में लाया जाए तो अच्छा होगा।

कैट ने एक बयान में कहा कि उसने सरकार को यह भी सुझाव दिया है कि जीएसटी के मूल बिंदु और कर पालना को लेकर आसान शब्दों में एक परिपत्र यदि जीएसटी नेटवर्क द्वारा सभी पंजीकृत व्यापारियों को मेल द्वारा भेज दिया जाए तो जीएसटी के बारे में फैली भ्रांतियां काफी हद तक दूर हो सकती हैं। जीएसटी नेटवर्क पर अब तक लगभग 65 लाख व्यापारी पंजीकृत हो चुके हैं।

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कैट के अध्यक्ष बी.सी.भरतिया एवं महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल ने कहा, "जीएसटी सरकार एवं व्यापारी दोनों के लिए बिल्कुल नई कर प्रणाली है और शुरुआती दौर में स्वाभाविक रूप से कुछ परेशानियां आएंगी, नए सवाल उठेंगे और चुनौतियां भी आएंगी। सरकार और व्यापारी दोनों के लिए यह एक सीखने की अवधि होगी। ऐसे में जीएसटी की प्रक्रिया में कुछ समय के लिए छूट देने से व्यापारियों का जीएसटी में प्रवेश सुगमता से हो सकेगा और जीएसटी में समयानुकूल संशोधन की प्रक्रिया जारी रहेगी।"

भरतिया एवं खंडेलवाल का अनुमान है की जीएसटी लागू होने के लगभग छह महीने तक सुधार का यह क्रम जारी रहेगा और उसके बाद ही जीएसटी एक स्थायी कर प्रणाली के रूप में विकसित होगी।

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कैट ने केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली से आग्रह किया है कि जीएसटी को सरलता से अपनाने की दिशा में कदम उठाते हुए सरकार एचएसएन कोड, ईवे बिल और रिवर्स चार्ज के प्रावधानों को फिलहाल स्थगित रखे, क्योंकि बड़ी संख्या में व्यापारियों के लिए यह नए कांसेप्ट हैं और एक बार इनकी पूरी जानकारी के बाद इनको लागू किया जा सकता है।

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यदि कोई पंजीकृत व्यापारी किसी गैर पंजीकृत व्यापारी से कोई सामान खरीदेगा तो रिवर्स चार्ज के अंतर्गत पंजीकृत व्यापारी को स्वयं के नाम से बिल बनाना होगा और खरीदे हुए सामान का कर भी जमा करना होगा, जिसका बाद में इनपुट क्रेडिट मिल जाएगा।

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भरतिया एवं खंडेलवाल ने सरकार से आग्रह किया है कि 28 प्रतिशत वाले कर स्लैब की पूर्ण समीक्षा की जाए, क्योंकि इसमें शामिल अनेक वस्तुएं विलासिता की श्रेणी में नहीं आती हैं।

-- आईएएनएस

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tiwarishalini

Excellent communication and writing skills on various topics. Presently working as Sub-editor at newstrack.com. Ability to work in team and as well as individual.

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