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खाली रहने वाली ट्रेनें होंगी बंद, प्राइवेट ट्रेनों के लिए 50 रूट तय

raghvendra
Published on: 9 July 2023 4:37 AM GMT
खाली रहने वाली ट्रेनें होंगी बंद, प्राइवेट ट्रेनों के लिए 50 रूट तय
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नई दिल्ली: कमाई घटने और खर्चे बढऩे से भारतीय रेलवे के सामने पैसे की तंगी का संकट खड़ा हो गया है। करीब ३० हजार करोड़ रुपए की कमी को पाटने के लिए रेलवे बोर्ड ने कई तरह के उपाय अपनाने के सुझाव दिए हैं। इन उपायों में रेलवे स्टेशनों की सफाई के लिए प्रायोजक तलाशना और ५० फीसदी से कम सवारियां ढोने वाली ट्रेनें बंद करना शामिल है। एक रिपोर्ट के अनुसार इस वर्ष अगस्त तक ही रेलवे का खर्चा, आमदनी से कहीं आगे चला गया है। इस वित्तीय वर्ष में जहां आमदनी ३.४ फीसदी बढ़ी है वहीं खर्चा ९ फीसदी बढ़ा है।

खर्चा कम करने के लिए एक उपाय यह सुझाया गया है कि रेलवे स्टेशनों और ट्रेनों की सफाई का काम स्पांसरशिप और कार्पोरेट सोशल रिस्पांसबिलिटी (सीएसआर) के तहत कराया जाए। इससे सफाई के काम पर अपने स्टाफ और आउटसोर्स कंपनियों को दी जानी वाली धनराशि बचाई जा सकेगी। एक उपाय यह भी है कि जिन ट्रेनों में ५० फीसदी से कम सवारियां चलती हैं उन्हें बंद किया जाए या फेरे घटाए जाएं। इसके अलावा यह भी सुझाव है कि ३० साल से ज्यादा पुराने डीजल इंजनों को हटा दिया जाए। इससे डीजल की बचत होगी। रेलवे कर्मचारियों के आवासों की मरम्मत के लिए पैसा रेलवे की जमीन का व्यवसायिक इस्तेमाल करके जुटाया जाए। सभी रेलवे जोन से कहा गया है कि वे आमदनी बढ़ाने के अपने स्तर से उपाय करें। लेकिन इन उपाय में किराया बढ़ाना शामिल नहीं होगा।

कर्मचारियों पर सबसे ज्यादा खर्चा

रेलवे का सबसे ज्यादा पैसा कर्मचारियों की तनख्वाह और पेंशन में खर्च होता है। ४० फीसदी खर्च वेतन - भत्तों और २३ फीसदी पेंशन में चला जाता है। हर वेतन आयोग के बाद ये खर्च बढ़ता जाता है जबकि १३ लाख से ज्यादा कर्मचारियों की प्रोडक्टिविटी निचले स्तर पर ही बनी हुई है। रेलवे का बड़ा खर्च ईंधन पर होता है। कुल राजस्व का १६ से १९ फीसदी ईंधन के मद में ही चला जाता है।

रेलवे में अब डिजिटल टिकट लेना और भी आसान हो गया है। उत्तर पश्चिम रेलवे के १२ स्टेशनों पर ‘क्यू आर कोड’ वाला टिकट लांच किया गया है। इन स्टेशनों पर मोबाइल फोन पर यूटीएस एप से क्य आर कोड स्कैन करके अनारक्षित टिकट लिया जा सकेगा। पेपरलेस टिकट जयपुर, अजमेर, जोधपुर, बीकानेर, आबू रोड, उदयपुर सिटी, दुर्गापुरा, अलवर, रिवाड़ी, सांगानेर, लालगढ़ और गांधीनगर जयपुर स्टेशनों पर उपलब्ध होंगे।

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राघवेंद्र प्रसाद मिश्र जो पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के बाद एक छोटे से संस्थान से अपने कॅरियर की शुरुआत की और बाद में रायपुर से प्रकाशित दैनिक हरिभूमि व भाष्कर जैसे अखबारों में काम करने का मौका मिला। राघवेंद्र को रिपोर्टिंग व एडिटिंग का 10 साल का अनुभव है। इस दौरान इनकी कई स्टोरी व लेख छोटे बड़े अखबार व पोर्टलों में छपी, जिसकी काफी चर्चा भी हुई।

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