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Desh Ke Gaddar Maharaja-Nawaab: सत्ता हासिल करने के लिए अपनों से की गद्दारी, जानें कौन हैं वो महाराजा और नवाब
Desh Ke Gaddar Maharaja-Nawaab: इतिहास के पन्नों में कई ऐसे जिक्र भी है कि जिनमें कई बार इन पदों पर आसीन लोगों ने अपने राजा या फिर नवाब के साथ ही गद्दारी की। कुछ ने अंग्रेजों का तो कुछ मुगलों के साथ जा मिले।
Traitor Maharaja-Nawab
Desh Ke Gaddar Maharaja-Nawaab: भारत में पूर्व काल में कई रियासतें हुआ करती थीं। जिनका अपने-अपने इलाके में रसूख हुआ करता था। इन रियासतों ने अपने दूर-दराज तक फैले क्षेत्रों पर नजर रखने के लिए सूबेदार और गवर्नर जैसे पद सृजित किये थे। इस पद पर तैनात शख्स का काम था जनता से वसूली करना और राज खजाने में जमा कराना। लेकिन इस पदों पर काबिज लोग जनता को जमकर प्रताड़ित भी करते थे। लेकिन उनकी इस हरकत की षिकायत राजा तक पहुंचाने वाला कोई भी नहीं होता था।
इतिहास के पन्नों में कई ऐसे जिक्र भी है कि जिनमें कई बार इन पदों पर आसीन लोगों ने अपने राजा या फिर नवाब के साथ ही गद्दारी की। कुछ ने अंग्रेजों का तो कुछ मुगलों के साथ जा मिले। उस समय रियासत से गद्दारी देश से गद्दारी मानी जाती थी। ऐसे कई मातहतों को जेल भेजा गया तो कुछ को फांसी तक चढ़ा दिया गया। मातृभूमि से गद्दारी करने वाले कुछ मातहतो को तो इतिहास आज तक नहीं भुला सका। इनमें जयचंद, मीर जाफर समेत कई नाम शामिल हैं।
जयचंद की गद्दारी से पृथ्वी राज चौहान की हुई हार
पृथ्वीराज चौहान का नाम सुनते ही गौरव की अनुभूति होती है। लेकिन उनका नाम लेते ही एक नाम और भी जरूर याद आता है और वह है राजा जयचंद का। पृथ्वीराज चौहान जयचंद की बेटी संयोगिता को स्वयंवर से उठा ले गये थे। जिसके बाद से जयचंद पृथ्वीराज से बदला लेना चाह रहा था। साथ ही जयचंद को पृथ्वीराज के दिल्ली के सिंहासन पर आसीन होना भी नहीं रास आ रहा था। बदला लेने की फिराक में जयचंद ने खौफनाक साजिश रच डाली।
जब मोहम्मद गोरी ने दिल्ली पर हमला किया तब जयचंद ने उसका साथ दिया। जयचंद ने अपनी मातृभूमि से गद्दारी करते हुए मुगल का साथ दिया। जिससे मोहम्मद गोरी की जीत भी हुई। लेकिन मातृभूमि का गद्दारी का भुगतान जयचंद को अपनी जान देकर चुकाना पड़ा। मोहम्मद गोरी ने ही जयंचद को मार डाला। शायद मोहम्मद गोरी के मन में यही बात रही होगी कि जो अपनी मातृभूमि का न हो सका। वह उसका साथ आगे क्या देगा।
मान सिंह पर गद्दारी के आरोप लगे
मेवाड़ के राजा महाराणा प्रताप की बहादुरी के किस्से आज भी युवाओं को प्रोत्साहित करते हैं। वह देष का गौरव हैं। लेकिन पृथ्वीराज चौहान की ही तरह महाराणा प्रताप के साथ ही गद्दारी की गयी। उनके साथ गद्दारी आमेर के कछवाहा राजपूत राजा मान सिंह ने की थी। जब महाराणा प्रताप मातृभूमि की रक्षा के लिए संघर्ष भरा जीवन बिता रहे थे और सेना तैयार कर रहे थे। उस समय राजा मान सिंह अकबर का साथ दिया। जब महाराणा प्रताप का अकबर के साथ युद्ध हुआ उस समय मान सिंह अकबर की सेना की ओर से खड़े हुए थे। हालांकि बाद में महाराणा प्रताप ने मान सिंह को इस गद्दारी का सबक सिखाया और सजा देकर मातृभूमि का कर्ज उतारा।
मीर जाफर ने बंगाल के नवाब से की गद्दारी
बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला की उनकी सेना में मीर जाफर कमांडर था। वह बहादुर होने के साथ ही बेहद चालाक भी था। वह खुद बंगाल का नवाब बनने का सपना देख रहा था। 1757 में प्लासी के युद्ध में नवाब सिराजुद्दौला की हार हुई और हार की वजह था मीर जाफर। क्योंकि उस नवाब को धोखा दिया था। बाद में अंग्रेजों ने उसे बंगाल का नवाब तो बना दिया। लेकिन उसे अपना कठपुतली बना रखा। मीर जाफर के कारण ही भारत में अंग्रेजों के शासन की शुरूआत हुई थी।
अंग्रेजों से मिल पटियाला नरेश ने बहाया अपनों का खून
1857 की क्रांति के समय जब हर तरफ अंग्रेजों के खिलाफ बगावत चरम पर था। उस समय पंजाब में सिख समुदाय भी देश की आजादी के लिए अंग्रेजों के खिलाफ लड़ रहा था। तब अंग्रेजों ने पटियाला नरेश नरेंद्र सिंह को अपनी तरफ कर लिया। जिसके बाद नरेंद्र सिंह ने अंग्रेजों का साथ दिया और अपनी मातृभूमि के साथ गद्दारी की। उन्होंने सिख आंदोलन को कुचलने के लिए अपने ही लोगों को खून बहाया। इतिहास में ऐसी एक-दो बल्कि कई ऐसी घटनाएं हैं। जिनमें सत्ता हासिल करने के लिए मातृभूमि से गद्दारी करने वालों के नाम का जिक्र है।