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Delhi Liquor Scam: दिल्ली शराब घोटाले में साबित हो गया 338 करोड़ का लेनदेन? सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी बढ़ाएगी आप की मुश्किलें!
Delhi Liquor Scam: शीर्ष अदालत ने जेल में बंद आम आदमी पार्टी नेता और दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका सोमवार को खारिज कर दी। सुप्रीम कोर्ट ने माना कि अस्थायी रूप से यह बात साबित होती है कि दिल्ली शराब घोटाले में 338 करोड़ रुपये का लेनदेन हुआ है।
Delhi Liquor Scam: दिल्ली शराब घोटाला मामले में आप की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। कोर्ट से उन्हें एक के बाद एक झटके लग रहे हैं। वहीं सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी आप की परेशानी बढ़ा सकती है। पिछले 8 महीनों से जेल में बंद दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को सुप्रीम कोर्ट से भी राहत नहीं मिली है। सिसोदिया की याचिका पर सोमवार को सुनवाई करते हुए शीर्ष कोर्ट ने उन्हें जमानत देने से इनकार कर दिया। दिल्ली शराब नीति में कथित भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों के चलते इसी साल 26 फरवरी 2023 को मनीष सिसोदिया को अरेस्ट किया गया था। सिसोदिया को जमानत नहीं मिलना जांच एजेंसियों-प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के लिए बड़ी जीत माना जा रहा है। सूत्रों के मुताबिक, जांच एजेंसियां इस आदेश को जमानत की सुनवाई के दौरान उनकी दलीलों और शीर्ष अदालत के समक्ष पेश किए गए सबूतों की स्वीकृति के रूप में देख रहे हैं।
क्यों खारिज होती रही सिसोदिया की जमानत?
दिल्ली शराब घोटाला मामले में नंबर एक आरोपी बनाए गए मनीष सिसोदिया को सीबीआई ने फरवरी में गिरफ्तार किया था। सिसोदिया पर इस मामले में सबूत नष्ट करने और अन्य आरोपियों के साथ मिलकर कुछ शराब कारोबारियों के लिए मौद्रिक लाभ के बदले में एक नीति लागू करने की साजिश रचने के आरोप हैं। इसके बाद ईडी ने मार्च में मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में सिसोदिया को गिरफ्तार किया था। बता दें कि मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका सुप्रीम कोर्ट से पहले ट्रायल कोर्ट और दिल्ली हाई कोर्ट ने भी खारिज कर दी थी।
हम यहां आपको वो पांच कारण बताएंगे जिससे सिसोदिया की जमानत अर्जी खारिज हुई-
सबूत नष्ट करना-
जिन आरोपों के आधार पर अदालत ने सिसोदिया की जमानत अर्जी खारिज की उनमें से एक सबूतों को नष्ट करना भी है। जांच एजेंसी के सूत्रों के अनुसार, जनवरी 2020 से अगस्त 2022 के बीच मनीष सिसोदिया ने तीन मोबाइल हैंडसेट का उपयोग किया। सीबीआई ने उनका आखिरी फोन 19 अगस्त, 2022 को जब्त कर लिया, जब्त किया गया फोन 22 जुलाई 2022 से ही सिसोदिया द्वारा इस्तेमाल किया जा रहा था, जिस दिन गृह मंत्रालय ने इस मामले को सीबीआई को भेजा था। अधिकारियों को संदेह है कि सिसोदिया को इस बात की भनक लग गई कि इस मामले की जांच सीबीआई करेगी तो उन्होंने अपना पुराना फोन नष्ट कर दिया और नया फोन इस्तेमाल करना शुरू कर दिया। अधिकारियों को संदेह है कि मनीष सिसोदिया ने मामले में डिजिटल सबूतों से छेड़छाड़ करने के लिए फोन को नष्ट कर दिया। ईडी ने अपने पहले आरोप पत्र में आरोप लगाया था कि अपराध की अवधि के दौरान सिसोदिया ने एक दर्जन से अधिक मोबाइल फोन का इस्तेमाल किया और उनसे डिजिटल सबूत नष्ट कर दिए थे।
338 करोड़ का लेनदेन साबित!-
शीर्ष अदालत ने माना कि दिल्ली शराब घोटाला मामले में जांच एजेंसियों ने 338 करोड़ रुपये के लेन देन को अस्थायी रूप से साबित किया है। यह मनीष सिसोदिया के लिए बड़ा झटका है क्योंकि आम आदमी पार्टी दावा कर रही थी कि इस मामले में पैसे का कोई लेन-देन नहीं हुआ है।
सिसोदिया की 'ताकतवर' स्थिति-
एजेंसियों ने कोर्ट के सामने यह भी तर्क दिया था कि दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया शराब नीति मामले में गवाहों को धमका सकते हैं। एजेंसियों ने कहा कि और अगर उन्हें जमानत पर रिहा किया गया तो वो गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं तो वे फिर मुकरने का प्रयास करेंगे।
आरोपियों से संबंध मामले में-
अन्य मुख्य आरोपियों के साथ मनीष सिसोदिया का कथित जुड़ाव भी उनके खिलाफ गया है। सरकारी गवाह बने आरोपी दिनेश अरोड़ा ने एजेंसियों को दिए अपने बयान में आरोप लगाया था कि जब वह आबकारी मंत्री थे तब उनकी मुलाकात सिसोदिया से हुई थी। अरोड़ा मनीष सिसोदिया के अलावा आप सांसद संजय सिंह सहित मामले के कुछ अन्य आरोपियों को भी जानते थे।
सिसोदिया तत्कालीन उत्पाद शुल्क मंत्री
जब कथित घोटाला हुआ तब मनीष सिसोदिया उत्पाद मंत्री थे। एजेंसियों ने आरोप लगाया है कि जब मनीष सिसोदिया मंत्रालय का नेतृत्व कर रहे थे तब अनुकूल नीति लाई गई थी और यह असंभव है कि उन्हें अपनी नाक के नीचे हो रहे घोटाले की जानकारी नहीं थी।
सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी से आप नेता मनीष सिसोदिया, राज्यसभा सांसद संजय सिंह ही नहीं बल्कि आम आदमी पार्टी की मुश्किलें भी बढ़नी तय मानी जा रही है।