×

उलेमा ए हिंद के अध्यक्ष सैयद अरशद मदनी का बयान, अदालत के बाहर निकालें तीन तलाक का समाधान

By
Published on: 11 May 2017 3:25 AM GMT
उलेमा ए हिंद के अध्यक्ष सैयद अरशद मदनी का बयान, अदालत के बाहर निकालें तीन तलाक का समाधान
X

नई दिल्ली (आईएएनएस): जमीयत उलेमा ए हिंद के अध्यक्ष मौलाना सैयद अरशद मदनी ने बुधवार को 'मुस्लिमों के धार्मिक मामले में न्यायिक हस्तक्षेप' का विरोध करते हुए कहा कि तीन तलाक मसले का समाधान अदालत के बाहर निकाला जाना चाहिए। उन्होंने कहा, "धामिर्क मामलों में अदालती हस्तक्षेप की जगह तीन तलाक के मुद्दे पर इस्लामिक धर्मगुरुओं के बीच बहस के जरिए हल निकालना चाहिए।"

उन्होंने कहा कि शीर्ष स्तर की अदालत को धर्मगुरुओं के समक्ष तीन तलाक पर अपनी आपत्ति रखनी चाहिए और उन्हीं से इस विवादित मुद्दे का हाल निकालने के लिए कहना चाहिए।

उन्होंने सवालिया लहजे में कहा, "अदालत को कुछ बिंदुओं पर आपत्ति हो सकती है। उन्हें हमसे इसका समाधान निकालने के लिए कहना चाहिए। अगर सर्वोच्च न्यायालय यह कह सकता है कि विवादित बाबरी मस्जिद का मसला अदालत के बाहर निकाला जाना चाहिए, तो तीन तलाक के मुद्दे पर उलेमा समाधान क्यों नहीं निकाल सकते?"

मदनी ने कहा, "अगर वे कोई समाधान हासिल कर लेते हैं, तो यह अच्छा है..अगर वे नहीं कर पाते तो अदालत के दरवाजे तो हमेशा खुले ही हैं।"

उन्होंने यह भी कहा कि इस मुद्दे पर न तो अल्पसंख्यक समुदाय को और न ही किसी अन्य को राजनीति करनी चाहिए।

मदनी ने कहा, "मुझे आश्चर्य हुआ कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि मुस्लिम महिलाओं को न्याय नहीं मिल रहा। क्या यह राजनीति नहीं है? यह भी राजनीति है। आप मुस्लिमों के मुद्दों पर राजनीति कर रहे हैं।"

एक सर्वेक्षण का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि देश में मुस्लिमों की अपेक्षा हिंदुओं में अधिक तलाक होता है।

मदनी ने कहा, "मुस्लिम इस देश में 1,000 साल से भी अधिक समय से रहे हैं। क्या इतने लंबे समय से मुस्लिम महिलाओं का उत्पीड़न हो रहा है। इससे पहले भी लोग महिला अत्याचारों के खिलाफ आवाज उठा चुके हैं। ऐसी छवि बनाई जा रही है, जैसे हर मुस्लिम पुरुष अपनी पत्नी को तलाक देता है। मुस्लिमों की छवि खराब की जा रही है। यह सच नहीं है, यह गलत है। हजार विवाह संबंधों में किसी एक में तलाक होता है।"

उन्होंने कहा कि मुस्लिम समुदाय में तलाक एकतरफा नहीं होता, बल्कि महिला अपनी मर्जी से तलाक ले सके, इसका भी प्रावधान है।

जब उनसे पूछा गया कि क्या वह प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात करेंगे तो उन्होंने कहा, "अगर वह मुझे बुलाते हैं, तो मैं निश्चित तौर पर जाऊंगा..लेकिन मैं अपनी मर्जी से नहीं जाऊंगा।"

असम में राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर के मुद्दे पर मदनी ने कहा कि असम सरकार को असम समझौते का सम्मान करना चाहिए और उसके नियम एवं शर्तो का सख्ती से पालन करना चाहिए।

उन्होंने कहा कि नागरिकता के लिए आधार वर्ष 1951 न होकर 25 मार्च 1971 होना चाहि

Next Story