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कोई तो सामने आया ! अहमदिया मुसलमानों ने तीन तलाक को कुरान के खिलाफ बताया
नई दिल्ली : देश में तीन तलाक पर जारी बहस के बीच अहमदिया संप्रदाय ने इसे कुरान और सुन्नत के खिलाफ बताते हुए कहा कि इसका समर्थन करने वाले मौलवियों पर कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए। जमाअत अहमदिया मुस्लिमा के प्रवक्ता के. तारिक अहमद ने कहा कि पति द्वारा पत्नी को एक ही बार में तीन तलाक बोल देने से तलाक नहीं होता। उन्होंने कहा कि इस्लाम की बुनियाद पवित्र कुरान, सुन्नत और हदीस (मुहम्मद साहब की बातों) पर टिकी है। हर मसला इन्हीं तीन के आधार पर हल किया जाना चाहिए। मुहम्मद साहब ने कहा था कि तलाक हलाल तो है लेकिन यह अल्लाह की निगाह में सबसे बुरी चीज है।
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तारिक अहमद ने कहा कि इस्लाम ने यह रास्ता दिया कि जब सुलह-सफाई के तमाम रास्ते बंद हो जाएं और साथ रहना नामुमकिन हो जाए तो पति और पत्नी में तलाक हो जाना चाहिए। पुरुषों को तलाक का अधिकार दिया तो महिलाओं को खुला का अधिकार मिला, जिसमें वह कुछ स्थितियों में पति से अलग होने की मांग कर सकती हैं।
उन्होंने कहा कि इस्लाम की इन बातों के आधार पर जमाअत अहमदिया मुस्लिमा का मानना है कि एक साथ तीन बार तलाक तलाक तलाक कहने पर भी इसकी गिनती एक ही मानी जाएगी। और, इसके लिए भी जरूरी है कि तलाक देने वाला पुरुष होश में हो, गुस्से में न हो और दो गवाह मौजूद हों।
उन्होंने कहा कि कुरान की आयत अलबकरा: 230 से स्पष्ट है कि तलाक तीन बार अलग-अलग ही देनी होगी। एक साथ तलाक देना कुरआन के आदेश का स्पष्ट उल्लंघन होगा। इसी तरह हदीस में आता है कि मुहम्मद साहब के सामने जब यह बात आई कि किसी ने एक ही बार में तीन तलाक दे दी है तो उन्होंने कहा कि इसे एक ही गिना जाएगा।
उन्होंने कहा कि एक तलाक और फिर दूसरी तलाक के बीच समय होता है जिसमें पति-पत्नी में सुलह-सफाई की गुंजाइश के लिए वक्त दिया जाता है। फिर जब निश्चित समय के बाद तीसरी बार तलाक बोला जाता है, तब तलाक पूर्ण हो जाता है और पति-पत्नी अलग हो जाते हैं।
अहमदिया संप्रदाय के प्रवक्ता ने साफ कहा कि इस्लाम में हलाला की कोई जगह नहीं है। यह इस्लामी शरीयत का स्पष्ट उल्लंघन और बड़ा गुनाह है।
उन्होंने कहा कि जमाअत अहमदिया मुस्लिमा भारत सरकार और न्यायपालिका से विनम्र निवेदन करती है कि कुरआन और इस्लामी शरीयत के बुनियादी नियमों में न तो कोई कमी है और न कोई त्रुटि है। कमी और त्रुटि इन आदेशों पर अनुकरण करने और करवाने वालों में है। आजकल के तथाकथित मौलवी कुरान की शिक्षाओं को गलत रंग में दुनिया के सामने पेश कर इस्लाम को बदनाम कर रहे हैं, उनके खिलाफ जरूरी कार्रवाई होनी चाहिए।