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तीन तलाक- बिल किसी धर्म के खिलाफ नहीं: रविशंकर प्रसाद
लोकसभा में गुरुवार को विपक्ष के दो बार हंगामे के बाद सदन में दोपहर दो बजे के बाद दोबारा कार्यवाही शुरू हो गई है। केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बहुचर्चित तीन तलाक बिल चर्चा के लिए पेश किया है।
नई दिल्ली : लोकसभा में गुरुवार को विपक्ष के दो बार हंगामे के बाद सदन में दोपहर दो बजे के बाद दोबारा कार्यवाही शुरू हो गई है। केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बहुचर्चित तीन तलाक बिल चर्चा के लिए पेश किया है। भारत में तीन तलाक प्रथा को खत्म करने के लिए कानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद में जोरदार मत रखा। उन्होंने कहा कि बीस इस्लामिक देशों में तीन तलाक बैन है, तो भारत जैसे धर्मनिरपेक्ष देश में ऐसा क्यों नहीं किया जा सकता?
तीन तलाक पर गैर जमानत का प्रावधान- मीनाक्षी लेखी
बिल पर भाजपा सांसद मीनाक्षी लेखी ने कहा कि बिल में गैर जमानत का प्रावधान है। हालांकि मजिस्ट्रेट को अधिकार होगा कि वह आरोपी को जमानत दे सकता है। हालांकि इसमें एक शर्त है। उन्होंने कहा कि कई इस्लामिक देशों में तीन तलाक गैर कानूनी है।
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इसके पहले लोकसभा में आज की कार्यवाही शुरू होते ही हंगामा होने लगा। कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे का कहना है कि उनकी पार्टी लोगों के धार्मिक मामलों में दखल नहीं देगी। ट्रिपल तलाक को लेकर लोकसभा में आज की कार्यवाही शुरू होते ही हंगामा हुआ। लोकसभा की कार्यवाही 2बजे तक स्थगित हो गई है। वहीं राज्यसभा दिनभर के लिए स्थगित हो गई है। पिछले सप्ताह सरकार और विपक्ष के बीच इस विधेयक पर सदन में चर्चा के लिए सहमति बनी थी। बीजेपी और कांग्रेस ने लोकसभा के अपने सदस्यों को व्हिप जारी करके चर्चा के दौरान सदन में उपस्थित रहने के लिए कहा चुकी हैं।
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दरअसल, पिछले हफ्ते जब लोकसभा में मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक- 2018 चर्चा के लिए लाया गया तो कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने सदन में सुझाव दिया कि इस पर अगले हफ्ते चर्चा कराई जाए। इस पर संसदीय कार्य मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने विपक्ष से आश्वासन मांगा कि उस दिन बिना किसी बाधा के चर्चा होने दी जाएगी। इस पर खड़गे ने कहा, 'मैं आपसे अनुरोध करता हूं कि इस विधेयक पर 27 दिसंबर को चर्चा कराइए। हम सभी इसमें हिस्सा लेंगे।
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गौरतलब है कि मोदी सरकार तीन तलाक बिल को पिछले साल लाई थी, बिल लोकसभा में चर्चा के बाद पास भी हो गया था. लेकिन कांग्रेस सहित कुछ विपक्षी दलों के विरोध के चलते वह बिल राज्यसभा में पास नहीं हो पाया था।
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