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Kashmiri Pandits: कश्मीरी पंडितों पर फिर आफत, समुदाय में बेचैनी

Kashmiri Pandits: 90 के दशक की शुरुआत में बड़े पैमाने पर पलायन के बावजूद, लगभग 350 परिवार घाटी में रह रहे हैं। ये उन लोगों के अतिरिक्त हैं जो पुनर्वास पैकेज के तहत लौट आये थे।

Neel Mani Lal
Written By Neel Mani LalPublished By Shashi kant gautam
Published on: 16 May 2022 5:33 PM GMT
Trouble again on Kashmiri Pandits, community unrest
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कश्मीरी पंडितों पर फिर आफत, समुदाय में बेचैनी: Photo - Social Media

Kashmiri Pandits: 1990 के दशक की शुरुआत में जब आतंकवाद (terrorism) की पहली लहर शुरू हुई, तब तीन लाख कश्मीरी पंडितों या हिंदुओं (Exodus of three lakh Kashmiri Pandits or Hindus) ने कश्मीर घाटी छोड़ दी थी। बरसों बाद चंद हजार वापस लौट आये क्योंकि सरकार ने उनके पुनर्वास के वादे किए थे, योजनायें बनाईं थीं। लेकिन अब जिस तरह इस समुदाय को निशाना बनाया जा रहा है और धमकियां दीं जा रही हैं उससे इन लोगों में बेचैनी है, भविष्य को लेकर भारी चिंता है। आंकड़ों से पता चलता है कि 2019 में जम्मू और कश्मीर के विशेष दर्जे को निरस्त करने के बाद से आतंकवादियों द्वारा कम से कम 14 कश्मीरी पंडित और गैर-स्थानीय लोगों की हत्या कर दी गई है।

लगभग 350 परिवार अब भी घाटी में रह रहे हैं

1990 के दशक की शुरुआत में बड़े पैमाने पर पलायन के बावजूद, लगभग 350 परिवार अब भी घाटी में रह रहे हैं। ये उन लोगों के अतिरिक्त हैं जो पुनर्वास पैकेज के तहत लौट आये थे। इनमें से ज्यादातर परिवार गांवों में रहते हैं जहां उनके पास जमीन है। जो कश्मीर लौट आये वे घाटी के विभिन्न हिस्सों में ट्रांजिट कैंपों में रह रहे हैं। चारदीवारी के भीतर इन कैम्पों में सुरक्षा व्यवस्था रहती है।

पहले क्या हुआ था

2008 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने घाटी में कश्मीरी पंडितों के पुनर्वास के लिए 1,614 करोड़ रुपये के रोजगार और पुनर्वास पैकेज की घोषणा की। पैकेज के हिस्से के रूप में, हिन्दू समुदाय को राज्य सरकार की 3000 नौकरियों की पेशकश की गई। सरकार ने कश्मीर में उनके स्थायी बसने की सुविधा के वादे के साथ उनके लिए अस्थायी ट्रांजिट आवास भी बनाये।

दो दशकों तक शरणार्थियों की तरह शिविरों में रहने के बाद, एक स्थिर सरकारी नौकरी ने कुछ लोगों को वापस लौटने के लिए राजी कर लिया। पिछले एक दशक में, पंडित समुदाय के 4000 से अधिक सदस्य घाटी में लौट आए। राहुल भट उनमें से एक थे जिनकी हाल में हत्या कर दी गई। वह 2011 में लौटे थे। पुनर्वास पैकेज को हजारों पंडितों की कश्मीर वापसी की दिशा में एक कदम के रूप में देखा जा रहा था।

लेकिन अब मारे जाने के डर ने कश्मीर में स्थानांतरित होने वाले 3800 कश्मीरी पंडितों को बेचैन कर दिया है। श्रीनगर (Srinagar) में कश्मीरी पंडित कर्मचारियों के एक समूह ने मांग की है कि उन्हें कश्मीर घाटी के बाहर सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित कर दिया जाए। इन सरकारी कर्मचारियों ने सामूहिक इस्तीफे की भी चेतावनी दी है। इस पर उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने कहा है कि पंडितों को सुरक्षित जिलों में पोस्ट किया जाएगा।

कश्मीरी पंडितों द्वारा राहुल भट की हत्या का विरोध करने के बाद, लश्कर-ए-इस्लाम नाम के एक आतंकवादी संगठन ने इस समुदाय को एक धमकी पत्र जारी किया है, जिसमें कहा गया है कि वे कश्मीर छोड़ दे अन्यथा उन्हें मार दिया जाएगा। सोशल मीडिया पर सर्कुलेट पत्र पर लश्कर-ए-इस्लाम के कमांडर द्वारा हस्ताक्षर किए गए हैं और कहा गया है कि "प्रवासियों और आरएसएस एजेंटों" को क्षेत्र छोड़ने की जरूरत है या उन्हें मार दिया जाएगा। अब सरकार ने कश्मीरी पंडितों को सुरक्षा देने की बात कही है।

Shashi kant gautam

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