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जांच रिपोर्ट के बाद मुसीबत में बादल परिवार

raghvendra
Published on: 14 Sep 2018 8:39 AM GMT
जांच रिपोर्ट के बाद मुसीबत में बादल परिवार
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दुर्गेश पार्थसारथी

अमृतसर: अक्टूबर 2015 में पंजाब के फरीदकोट के बहिबल कलां में हुई श्री गुरुग्रंथ साहिब की बेअदबी के मामले को बेशक तीन साल गुजर चुके हैं, लेकिन इसकी आग अब भी धधक रही है। इसकी लपटें कितनी ऊंची उठ रही हैं, इस बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता हैं सूबे में सत्ता परिवर्तन के करीब डेढ़ साल बाद भी तत्कालीन शिरोमणि अकाली दल बादल सरकार के मुखिया रहे प्रकाश सिंह बादल व उनके परिवार को इसकी तपिश महसूस हो रही है।

उल्लेखनीय है कि उस समय बेअदबी के विरोध में सिख संगठनों के लोग जिले के बरगाड़ी में धरने पर बैठे थे। यह धरना करीब एक माह तक चला था और इस दौरान लोगों द्वारा जगह-जगह हाईवे व नेशनल हाईवे पर धरना प्रदर्शन करने के कारण यातायात व्यवस्था बुरी तरह चरमरा गई थी। यही नहीं उग्र प्रदर्शनकारियों को नियंत्रित करने के लिए की गई पुलिस फायरिंग में कुछ लोगों की मौत भी हो गई थी। उस समय बादल सरकार ने मामाले की जांच भी करवाई थी और बेअदबी के आरोप में कुछ लोगों की गिरफ्तारियां भी हुई थीं। लेकिन 2017 के विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष और अब सूबे के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने जांच का आश्वासन दिया था। राज्य में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद उन्होंने पूर्व सरकार की जांच रिपोर्ट खारिज कर जस्टिस रणजीत सिंह आयोग का गठन कर बेअदबी मामले की जांच सौंपी। अब जांच रिपोर्ट आ चुकी है, जिसे विधानसभा में पेश किए जाने के बाद से ही शिरोमणि अकाली दल बैकफुट पर है।

रिपोर्ट में बादल परिवार आरोपी

जस्टिस रणजीत सिंह आयोग की रिपोर्ट में तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल, उपमुख्यमंत्री व शिअद अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल व पूर्व डीजीपी सुमेध सिंह सैनी को आरोपी बनाया गया है। रिपोर्ट पेश होने के बाद से ही सिख संगठनों में शिअद के खिलाफ बेहद रोष है। हालांकि जस्टिस रणजीत सिंह आयोग को अपना बयान दर्ज करवाने वाले एक गवाह के अपने बयान से मुकरने के बाद शिअद ने इस रिपोर्ट को राजनीति से प्रेरित बताते हुए इसका विरोध किया और विधानसभा से वाकआउट कर गई। शिअद अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल का कहना है कि यह रिपोर्ट जस्टिस रणजीत सिंह ने कैप्टन अमरिंदर सिंह के घर में बैठकर उनके कहने पर तैयार की है। इस रिपोर्ट में लेश मात्र भी सच्चाई नहीं है।

आक्रामक हुआ सिख समाज

बेअदबी के मामले में शिअद व प्रकाश सिंह बादल का नाम आने के बाद सिख समाज जगह-जगह बादल परिवार का विरोध करने लगा है। यही नहीं सिख धर्म की सर्वोच्च संस्था अकाल तख्त के जत्थे ज्ञानी गुरबचन सिंह का भी विरोध होने लगा है। यहां तक सिख संगठनों के सदस्य गुरबचन सिंह को अकाल तख्त के जत्थेदार पद से हटाने की मांग भी करने लगे हैं। उनका आरोप है कि गुरबचन सिंह बादलों के इशारे पर काम करते हैं। इसलिए उन्हें धार्मिक संस्था अकाल तख्त में बने रहने का अधिकार नहीं है। चौतरफा विरोधा का सामना कर रहे अकाली दल का कहना है कि वह कांग्रेस की घटिया राजनीति का मुहंतोड़ जवाब देंगे। इसके लिए सुखबीर सिंह बादल ने फरीदकोट से सूबे में पोल खोल रैली की शुरुआत की है। इस मुद्दे को लेकर इस समय सूबे की सियासत गरमाई हुई है और आकली दल को भारी विरोध का सामना करना पड़ रहा है।

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राघवेंद्र प्रसाद मिश्र जो पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के बाद एक छोटे से संस्थान से अपने कॅरियर की शुरुआत की और बाद में रायपुर से प्रकाशित दैनिक हरिभूमि व भाष्कर जैसे अखबारों में काम करने का मौका मिला। राघवेंद्र को रिपोर्टिंग व एडिटिंग का 10 साल का अनुभव है। इस दौरान इनकी कई स्टोरी व लेख छोटे बड़े अखबार व पोर्टलों में छपी, जिसकी काफी चर्चा भी हुई।

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