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Turkey Earthquake: जानिए रिएक्टर स्केल पर 4 तीव्रता के भूकंप से क्या होता है, अगर 9 का आ जाए तो क्या होगा...!
Earthquake News: जमीनी प्लेटों के खिसकने से धरती पर छोटे-छोटे भूकंप आते रहते हैं। बहुत मामूली भूकंपों का तो पता भी नहीं चलता, पर 3 व 4 से लेकर इसके ऊपर की तीव्रता में इसका साफ असर महसूस होता है। भूकंप से होने वाला नुकसान उस क्षेत्र की भोगोलिक परिस्थितियों पर भी निर्भर करता है।
Earthquake News: हर भूकंप रिएक्टर स्केल के मुताबिक पहले से 10 गुना तेज होता है, यानी स्केल पर अगर 1 तीव्रता है तो 2 तीव्रता रिएक्टर स्केल तभी नापेगा जब दूसरे में पहले से 10 गुना तेजी बढ़ी होगी। भूकंप हमारे आसपास कितना नुकसान पहुंचाएगा यह इस पर निर्भर करता है कि इसका केंद्र कहां है। भूकंप के केंद्र की गहराई जितनी कम होगी पृथ्वी के ऊपर कंपन उतना ही ज्यादा होगा। जिससे नुकसान होने कि संभावना ज्यादा होगी।
ऐसे आता है भूकंप, जब धरती के ऊपर होता है अहसास
पृथ्वी जिन ठोस प्लेट्स पर टिकी है, जब यह प्लेटें हिलती हैं या एक-दूसरे से टकराती हैं तो धरती की सतह पर कंपन होता है। इसी को भूकंप कहा जाता है। आमतौर पर यह सामान्य प्राकृतिक प्रक्रिया चलती रहती है। यह इतनी मामूली स्तर पर होती है कि सतह पर इसका पता भी नहीं चलता। जब प्लेटें ज्यादा हिलतीं या तेज टकराती हैं तो धरती की सतह पर भूकंप का अहसास होता है, जिसे रिएक्टर पैमाने पर नापा जाता है।
इस तीव्रता पर दिखता है ऐसा असर, 8 के ऊपर दिख सकती है प्रलय जैसी विनाशलीला...
भूवैज्ञानिकों का मानना है कि धरती के अलग-अलग हिस्सों में मामूली भूकंपों की तीव्रता इतनी कम होती है कि सतह पर इसका कोई असर नहीं पड़ता, लेकिन रिएक्टर स्केल पर 2 से ऊपर के भूकंप का असर सतह पर मालूम चलने लगता है।
0-2 तक के भूकंप में आमतौर पर मालूम नहीं चलते। इनका पता सीस्मोग्राफ उपकरण से ही चलता है कि भूकंप आया था।
2-3 रिएक्टर स्केल पर भूकंप आने पर हल्का कंपन और कुछ लटकी हुई चीजें झूलती हुईं नजर आ सकती हैं।
3-4 रिएक्टर स्केल के भूकंप पर हल्के झटके महसूस होंगे।
4-5 के पैमाने पर मध्यम झटके महसूस होंगे, कांच आदि छोटे सामान टूट सकते हैं।
5-6 पर खिड़की दरवाजे हिलेंगे, दीवारों का प्लास्टर आदि टूटकर गिरकर सकता है।
6-7 की तीव्रता पर घर की नींव या इमारतों को नुकसान हो सकता है, कमजोर भवन गिर सकते हैं।
7-8 काफी खतरनाक पैमाना है। जमीन में दरार पड़ जाएगी, इमारतें गिर सकती हैं, जनहानि भी हो सकती है।
8-9 बेतहाशा तबाही हो सकती है। बड़ी जान-माल की हानि और विनाशकारी तस्वीरें सामने आएंगी। पुल-बड़े निर्माण आदि तक ढह सकते हैं।
9 से ऊपर में खुली आंखों से जमीन को लहराते हुए देखा जा सकता है। समुद्री इलाका है, तो सुनामी और इसके अलावा जगह-जगह प्रलय जैसी विनाशकारी व दर्दनाक तस्वीर सामने आएगी।
कभी भूकंप से हो सामना तो घबराएं नहीं, ये करें...
जानकारों का मानना है कि भूकंप की प्राकृतिक आपदा के दौरान सर्वाइवल का पहला नियम है कि आप जहां हैं, वहीं ठहर जाएं। इधर-उधर भागने से आसपास की चीजों जैसे तार, होर्डिंग, पेड़ या ट्रैफिक आदि से चोटिल हो जाने का खतरा बढ़ जाता है। हो सके तो कि एकदम खुले इलाक़े में चले जाएं और हालात स्थिर होने का इंतजार करें। इसी तरह अगर आप घर या किसी इमारत में हैं तो एक कमरे से दूसरे कमरे की तरफ़ भागने से बचें। जहां हैं वहीँ शरीर को घुटने और सिर से समेटकर नीचे लेट जाएं, छुपने की कोई और जगह न होने पर हो सके तो किसी मेज़ या डेस्क के नीचे छुपें या किसी मजबूत स्तंभ को पकड़े रहें, जब तक भूकंप के झटके शांत न हो जाएं। आपदा प्रबंधन से जुड़े लोग ये भी कहते हैं कि भूकंप के चलते अक्सर मकान की खिड़कियां और छज्जे सबसे पहले गिरते हैं। ऐसे में सलाह यही दी जाती है कि आप इन ख़तरनाक जगहों से दूर रहें।