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भारत-पाकिस्तान की बैठक- ढाई साल बाद आमने-सामने, इस मुद्दे पर होगी वार्ता
भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु जल बंटवारे को लेकर आज मंगलवार दो दिवसीय बैठक होगी। पाकिस्तान के सिंधु आयुक्त सैयद मुहम्मद मेहर अली शाह के नेतृत्व में सात सदस्यीय पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल स्थायी सिंधु आयोग की वार्षिक बैठक के लिए सोमवार को यहां पहुंचे थे।
नई दिल्ली: भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु जल बंटवारे को लेकर आज मंगलवार दो दिवसीय बैठक होगी। पाकिस्तान के सिंधु आयुक्त सैयद मुहम्मद मेहर अली शाह के नेतृत्व में सात सदस्यीय पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल स्थायी सिंधु आयोग की वार्षिक बैठक के लिए सोमवार को यहां पहुंचे थे।
इस वजह से रद्द हुई थी बैठक
भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व प्रदीप कुमार सक्सेना करने वाले है। जिनके साथ केंद्रीय जल आयोग, केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण और राष्ट्रीय जलविद्युत निगम के उनके सलाहकार होंगे। दोनों देशों के बीच 1960 की जल संधि के तहत स्थायी सिंधु आयोग की स्थापना की गई थी।
सिंधु जल संधि (आईडब्ल्यूटी) में दोनों आयुक्तों के साल में कम से कम एक बार बैठक करने का प्रावधान है और यह बैठक एक बार भारत में तथा एक बार पाकिस्तान में होती है। पिछले साल भी यह बैठक नई दिल्ली में आयोजित की गई थी जो कोरोना वायरस महामारी के चलते रद्द कर दी गयी थी।
कई पनबिजली परियोजनाओं को मंजूरी दी
आपको बता दें, कि भारत ने तब से इस क्षेत्र के लिए कई पनबिजली परियोजनाओं को मंजूरी दी है जिनमें डरबक श्योक (19 मेगावाट), शांकू (18.5 मेगावाट), निमू चिलिंग (24 मेगावाट), रोंगडो (12 मेगावाट) और रतन नाग (10.5 मेगावाट) लेह में हैं तथा मंगदूम सांगरा (19 मेगावाट), कारगिल हंडममैन (25 मेगावाट) और तमशा (12 मेगावाट) कारगिल से जुड़ी हैं।
2018 लाहौर में आयोजित हुई थी बैठक
बता दें, पीआईसी की बैठक इसे पहले 29-30 अगस्त 2018 लाहौर में आयोजित हुई थी। इस दौरान पाक डल और लोअर कलनई परियोजनाओं पर भी चर्चा की गई थी। इस बैठक के बाद, सिंधु जल के पाकिस्तान के आयुक्त ने 28-31 जनवरी, 2019 को चिनाब बेसिन में पाक डल, लोअर कलनई, चूहा और अन्य जल विद्युत परियोजनाओं का निरीक्षण किया था।
इस कारण बातचीत गई बंद
2019 पुलवामा कांड और कश्मीर में अनुच्छेद 370 के हटने के बाद बनी स्थितियों के बाद भारत-पाकिस्तान के बीच कई मुद्दों पर बात चीत बंद हो गई थी। जिसके चलते सिंधु जल आयोग की बैठक भी नहीं हो सकी। जिसके बाद अब यह बैठक ढाई साल से अधिक समय के बाद आयोजित की जा रही है।
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