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Health : टायफाइड में डॉक्टर की सलाह पर लें पूरा इलाज
लखनऊ : गर्मी शुरू होते कई बीमारियां तेजी से फैलती हैं। उनमें टायफाइड भी एक है। यह बीमारी साल्मोनेला टाइफी नामक बैक्टीरिया से होती है। तेज बुखार से शुरू होने वाली यह बीमारी अल्सर या आंतों के फटने की वजह भी बन सकती है, इसलिए सही समय पर टायफॉइड का इलाज होना जरूरी है। कई मरीजों में यह बीमारी ड्रग रेसिस्टेंस (रोगी पर दवाइयों का असर नहीं होता) भी होने लगी है, जिसकी वजह से डॉक्टर को ओरल दवाइयों की जगह इंजेक्शन देने पड़ते हैं। 10-15 मरीजों में से एक में इस तरह की समस्या सामने आ रही है। टायफाइड को छोटी बीमारी नहीं समझना चाहिए। बुखार खत्म होने जाने के बाद भी डॉक्टर की सलाह पर पूरा इलाज लेना चाहिए। बीच में दवा छोड़ देने से बीमारी गंभीर हो सकती है।
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टायफाइड के लक्षण
टायफाइड के मरीजों को 100 डिग्री सेल्सियस से ऊपर लगातार बुखार रहता है। इसके साथ ही पेट दर्द, भूख ना लगना, सिर दर्द व गले में खराश, सुस्ती या कमजोरी महसूस होना, शरीर पर हल्के गुलाबी चकत्ते दिखाई देना भी इसके लक्षण होते हैं। कुछ मरीजों में अधिक कमजोरी के कारण बेहोशी जैसे लक्षण भी दिखते हैं।
जांच और इलाज
अगर किसी मरीज में टायफाइड जैसे लक्षण दिखते है एक सप्ताह के अंदर डॉक्टर से जांच कर लेना चाहिए। इलाज में देरी होने पर मरीज बेहोशी की हालत में जा सकता है और उसे आंतों संबंधी समस्याएं भी हो सकती हैं। मुख्य रूप से ब्लड टेस्ट, स्टूल टेस्ट, यूरिन टेस्ट और विडाल टेस्ट होते हैं। दवाइयों के साथ परहेज जरूरी है। इलाज के दौरान कब्ज और गैस संबंधी परेशानी में मरीज को हल्का भोजन लेना चाहिए और खूब पानी पीना चाहिए। इसका इलाज बीमारी की गंभीरता के अनुसार एक सप्ताह से एक महीने तक होता है।
इस तरह करें बचाव
- दूषित खाद्य व पेय पदार्थों से बचें।
- जहां तक हो सके पानी उबालकर पीएं।
- गर्मी के मौसम में सड़क के किनारे बिकने वाले जूस से दूर रहें।
- ठेलों पर बिकने वाले बर्फ के गोले और ड्रिंक्स अधिक नुकसान करते हैं।
- बासी भोजन ना खाएं, फल धोकर खाएं और सब्जियां अच्छे से पकाएं।
- टायफाइड के टीके किस भी उम्र में लगवाए जा सकते हैं, इनसे लगवाने के बाद दो साल तक बचाव होता है।