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Shinde Vs Thackeray: उद्धव गुट को एक और झटका, सुप्रीम कोर्ट ने EC के फैसले पर स्टे से किया इनकार
Shinde Vs Thackeray: सुप्रीम कोर्ट से आज भी उद्धव ठाकरे गुट को कोई राहत नहीं मिली। कोर्ट ने चुनाव आयोग के फैसले को बरकरार रखा है। शिवसेना और धनुष बाण दोनों ही शिंदे के पास रहेंगे।
Shinde vs Thackeray: सर्वोच्च न्यायालय से से उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) गुट को आज (22 फरवरी) को भी कोई राहत नहीं मिली। चुनाव आयोग (Election Commission) के फैसले को शीर्ष अदालत ने बरकरार रखा है। कहने का मतलब है कि, शिवसेना (Shiv Sena) और उसका निशान धनुष-बाण दोनों ही एकनाथ शिंदे गुट (Eknath Shinde faction) के पास ही रहने वाले हैं। सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग के फैसले पर स्टे से इनकार कर दिया। इस बीच, NCP चीफ शरद पवार ने कहा, कि 'ऐसा पहले कभी नहीं हुआ, जब चुनाव आयोग ने एक पार्टी से पूरा नियंत्रण छीन लिया।'
कोर्ट ने ये भी कहा कि, निर्वाचन आयोग की ओर से उद्धव खेमे को 'टॉर्च' और 'मशाल' वाला जो चुनावी चिन्ह दिया गया था, आगे भी वही जारी रह सकता है। इसके अतिरिक्त, सुप्रीम कोर्ट ने दोनों गुट यानी उद्धव और शिंदे खेमे को नोटिस जारी किया है। गौरतलब है कि, हाल ही में चुनाव आयोग ने एकनाथ शिंदे गुट को शिवसेना का चुनाव चिन्ह दिया था। आयोग के इस फैसले के खिलाफ उद्धव ठाकरे ने एक याचिका सुप्रीम कोर्ट में दी थी। जिस पर बुधवार (22 फरवरी) को सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने आज एकनाथ शिंदे गुट को नोटिस जारी कर उनसे दो हफ्ते में जवाब मांगा है।
क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने?
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने आज की सुनवाई में चुनाव आयोग (EC) के फैसले पर किसी प्रकार की रोक नहीं लगाई गई। शीर्ष अदालत ने कहा कि, उद्धव खेमा अभी मिले अस्थायी नाम और चुनाव निशान का इस्तेमाल जारी रख सकता है। साथ ही ये भी कहा कि, शिंदे गुट फिलहाल ऐसा कोई व्हिप नहीं जारी करेगा, जिसे न मानने से उद्धव पक्ष के सांसद और विधायक अयोग्य हो जाएं। इस मामले की अगली सुनवाई 3 सप्ताह बाद होगी।
उद्धव को कोर्ट से भी निराशा ही मिली
गौरतलब है कि, कुछ दिन पहले ही चुनाव आयोग ने उद्धव ठाकरे गुट को बड़ा झटका दिया था। निर्वाचन आयोग ने शिंदे खेमे को ही असली शिवसेना मानते हुए 'धनुष-बाण' वाला चिन्ह दिया था। इसी फैसले को उद्धव ठाकरे ने शीर्ष अदालत में चुनौती दी थी। मगर, उन्हें भी वहां से भी निराशा ही हाथ लगी। अदालत ने चुनाव आयोग के फैसले को ही बरकरार रखा।
कोर्ट में सिब्बल की दलील
उद्धव ठाकरे गुट की ओर से सीनियर लॉयर कपिल सिब्बल (Kapil Sibal) ने कोर्ट में दलीलें पेश की। सिब्बल ने कहा, 21 जून 2022 से पहले शिवसेना के अंदर किसी बात को लेकर असहमति या मतभेद नहीं था। असहमति की बात तब सामने आई, जब शिंदे गुट असम जाकर बयानबाजी करने लगे। कपिल सिब्बल ने सवाल उठाया कि, बागी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ते हैं। बहुमत का आनंद लेते हैं। फिर पाला बदल लेते हैं। सदन की सदस्यता किसी की निजी संपत्ति नहीं है, जो वह व्यापार करने में लग जाए?
सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई के दौरान सिब्बल ने ये तर्क भी दिया कि, इलेक्शन कमीशन के फैसले का आधार तो ये था कि लेजिस्लेटिव विंग (Legislative Wing) में बहुमत परीक्षण हो सकती है। उन्हें उस ट्रेंड पर ही कई सवाल हैं।
उद्धव के सामने कई चुनौतियां
आपको बता दें, वर्तमान समय में उद्धव खेमे के सामने कई चुनौतियां हैं। पहली, महाराष्ट्र में उन्हें नए सिरे से सियासत शुरू करनी होगी। वो भी बिना शिवसेना के नाम और निशान के। मगर, सबसे बड़ी परीक्षा बीएमसी चुनाव के रूप में सामने खड़ी है। बीएमसी में अर्से से शिवसेना का दबदबा रहा है। लेकिन, इस बार चूंकि शिवसेना एकनाथ शिंदे के पास चली गई है, ऐसे में उद्धव ठाकरे को नए सिरे से सियासी बिसात बिछानी होगी। ये उनके लिए मुख्य समस्या है।
'ऐसा कभी नहीं हुआ, EC ने एक पार्टी से पूरा नियंत्रण छीन लिया'
शिवसेना के उद्धव गुट और एकनाथ शिंदे खेमें जारी जंग के बीच राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) चीफ शरद पवार (Sharad Pawar) की प्रतिक्रिया सामने आई है। पवार ने कहा कि, 'ऐसा पहले कभी देखने को नहीं आया जब चुनाव आयोग ने एक पार्टी से पूरा नियंत्रण छीन लिया। शरद पवार ने एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) के नेतृत्व वाले गुट को असली शिवसेना मानने तथा 'धनुष और तीर' चुनाव चिन्ह आवंटित करने के चुनाव आयोग के फैसले पर जोरदार निशाना साधा है।