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Presidential Election 2022: राष्ट्रपति चुनाव ने बढ़ाई उद्धव की मुश्किलें, पार्टी सांसद द्रौपदी मुर्मू के समर्थन में
Presidential Election 2022: अगर उद्धव ठाकरे, यशवंत सिन्हा का समर्थन करने का फैसला लेते हैं तो पार्टी सांसदों की बगावत का सामना करना पड़ सकता है ।
Presidential Election 2022: महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद भी उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) का संकट खत्म होता नहीं दिख रहा है। अब शिवसेना (Shivsena) के सामने नया संकट राष्ट्रपति चुनाव (Presidential Election 2022) को लेकर पैदा हो गया है। पार्टी के सांसद राष्ट्रपति के चुनाव में एनडीए की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू (Draupadi Murmu) का समर्थन करना चाहते हैं। दूसरी ओर महाविकास अघाड़ी गठबंधन में शामिल एनसीपी और कांग्रेस की ओर से यशवंत सिन्हा (Yashwant Sinha) का समर्थन किया जा रहा है। एनसीपी के मुखिया शरद पवार (Sharad Pawar) के आवास पर आयोजित बैठक में ही यशवंत सिन्हा के नाम पर मुहर लगी थी।
ऐसे में उद्धव के सामने राष्ट्रपति चुनाव को लेकर नई मुसीबत पैदा हो गई है। अगर वे यशवंत सिन्हा का समर्थन करने का फैसला लेते हैं तो पार्टी सांसदों की बगावत का सामना करना पड़ सकता है जबकि द्रौपदी मुर्मू का समर्थन करने की स्थिति में सहयोगी दलों के नाराज होने का खतरा है। अब सबकी निगाहें उद्धव ठाकरे के फैसले पर टिकी हुई हैं।
शिवसेना सांसद ने लिखी उद्धव को चिट्ठी
शिवसेना में हाल में हुई बगावत के बाद पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे पार्टी पर अपनी पकड़ मजबूत बनाने की कोशिश में जुटे हुए हैं मगर उनकी मुश्किलें खत्म होती नहीं दिख रही हैं। पार्टी के लोकसभा सदस्य राहुल शेवाले ने राष्ट्रपति चुनाव के संबंध में चिट्ठी लिखकर उद्धव ठाकरे की मुश्किलें और बढ़ा दी हैं। उन्होंने ठाकरे से अनुरोध किया है कि वे पार्टी सांसदों को राष्ट्रपति चुनाव में द्रौपदी मुर्मू का समर्थन करने के लिए निर्देश जारी करें।
उन्होंने कहा कि मुर्मू के आदिवासी होने और सामाजिक क्षेत्र में किए गए उनके योगदान को देखते हुए उनका समर्थन किया जाना चाहिए। शेवाले ने अपने पत्र में राजनीति में आने से पहले द्रौपदी मुर्मू के शिक्षक के रूप में कार्य करने का उल्लेख भी किया है। उन्होंने कहा कि शिवसेना के लिए मुर्मू का समर्थन करना ही उपयुक्त होगा।
बाल ठाकरे के फैसले की दिलाई याद
शिवसेना सांसद ने उद्धव ठाकरे को याद दिलाया कि 2007 के राष्ट्रपति चुनाव में शिवसेना संस्थापक बाल ठाकरे ने कांग्रेस उम्मीदवार प्रतिभा पाटिल का समर्थन करने का फैसला किया था। प्रतिभा पाटिल के महाराष्ट्र का मूल निवासी होने के कारण बाल ठाकरे ने यह बड़ा फैसला किया था। 2007 के चुनाव में एनडीए की ओर से भी प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतारा गया था मगर बाल ठाकरे कांग्रेस उम्मीदवार के पक्ष में दिखे थे।
इसी तरह 2012 के राष्ट्रपति चुनाव में भी शिवसेना ने यूपीए के उम्मीदवार प्रणब मुखर्जी का समर्थन करने का फैसला किया था। शिवसेना सांसद ने कहा कि इसलिए इस बार के राष्ट्रपति चुनाव में शिवसेना प्रमुख को बड़ा दिल दिखाते हुए द्रौपदी मुर्मू का समर्थन करना चाहिए।
शिंदे गुट कर रहा मुर्मू का समर्थन
शिवसेना सांसद की चिट्ठी के बाद सबकी निगाहें उद्धव ठाकरे के फैसले पर टिकी हुई हैं। शिवसेना ने 2019 में एनडीए से नाता तोड़ने का बड़ा फैसला लिया था। शिवसेना के लोकसभा में 18 सांसद हैं जबकि राज्यसभा में भी पार्टी के पास तीन सांसदों की ताकत है। हाल में शिवसेना से बगावत करने वाला शिंदे ग्रुप राष्ट्रपति चुनाव में द्रौपदी मुर्मू का समर्थन कर रहा है।
बागी गुट के प्रवक्ता दीपक केसरकर ने इस बाबत आधिकारिक रूप से मुर्मू के समर्थन का ऐलान कर दिया है। उन्होंने कहा कि आदिवासी समुदाय की एक महिला को देश के सबसे बड़े संवैधानिक पद पर बिठाने के लिए सभी को एकजुट होना चाहिए।
उद्धव ठाकरे के लिए फैसला आसान नहीं
शिवसेना सांसद की चिट्ठी के बाद उद्धव ठाकरे की मुश्किलें बढ़ गई हैं। राष्ट्रपति चुनाव में यशवंत सिन्हा का समर्थन करने पर सांसदों के नाराज होने का खतरा पैदा हो गया है। दूसरी ओर एनसीपी के मुखिया शरद पवार खुलकर यशवंत सिन्हा के पक्ष में उतर गए हैं। पवार ने यशवंत सिन्हा के नामांकन कार्यक्रम में भी हिस्सा लिया था।
द्रौपदी मुर्मू का समर्थन करने की स्थिति में पवार और कांग्रेस नेताओं के नाराज होने का बड़ा खतरा भी है। अब ऐसे में उद्धव ठाकरे के लिए राष्ट्रपति चुनाव में फैसला लेना काफी मुश्किल काम माना जा रहा है।