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सरकार उज्ज्वला योजना में अब 5 किलोग्राम का सिलेंडर आवंटित करेगी
नई दिल्ली। सरकार उज्ज्वला योजना के तहत उन क्षेत्रों में 14.2 किलोग्राम के सिलेंडर की बजाय अब 5 किलोग्राम का सिलिंडर आवंटित करेगी, जहां गैस भराने (रिफिल) की दर कम रही है। सरकार ने यह निर्णय उन शिकायतों के बाद लिया है कि कुछ क्षेत्रों में गरीब जनता इस योजना के तहत मिले रसोई गैस सिलिंडर में दोबारा गैस नहीं भरवा पाती है। इस समय बिना सब्सिडी वाले 14.2 किलोग्राम के रसोई गैस सिलिंडर की कीमत दिल्ली में 737.50 रुपए है। जिन लोगों को सब्सिडी मिलती है, उन्हें एक सिलिंडर के लिए 497.37 रुपए देने पड़ते हैं। इसके मुकाबले सब्सिडी पर मिलने वाला 5 किलोग्राम का सिलिंडर 175.10 रुपये में मिलता है, जिससे खरीदना थोड़ा सस्ता होता है।
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उज्ज्वला योजना के तहत आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों को रसोई गैस की सुविधा दी जाती है। माना जा रहा है कि नरेंद्र मोदी सरकार की दोबारा वापसी में इस योजना की अहम भूमिका रही है। सरकार के समक्ष एक बड़ी चुनौती यह थी कि उपभोक्ता प्रति वर्ष औसतन 7 सिलिंडर गैस भरवाते थे लेकिन उज्ज्वला योजना के लाभान्वित लोग औसतन महज 3.28 सिलेंडर ही भरवाते थे। अब अपनी दूसरी पारी में मोदी सरकार इस मुद्दे पर खासा ध्यान दे रही है। अधिकारियों ने कम से कम ऐसे 10 जिलों की पहचान की है, जहां सिलेंडर दो बार ही भरे जाते हैं। इन क्षेत्रों में केवल 5 किलोग्राम वाला सिलेंडर आवंटित होगा। औसत से कम रीफिल करवाने वाले इन क्षेत्रों में पाकुड़, पश्चिमी सिंहभूम और गोड्डा (झारखंड), कोरिया, सूरजपुर, नारायणपुर, बामतारा (छत्तीसगढ़) अरवल, जहानाबाद व शेखपुरा (बिहार) शामिल हैं। 5 किलो के सिलेंडर के आवंटन के अलावा जागरूकता अभियान भी चलाया जाएगा। उज्ज्वला योजना के तहत पिछले तीन वर्षों में 7.19 करोड़ रसोई गैस उपभोक्ता जोड़े गए हैं। इनमें 2 करोड़ उपभोक्ता 2016-17 में जोड़े गए औैर 1.56 करोड़ उपभोक्ता 2017-18 में जुड़े। शेष 3.63 करोड़ उपभोक्ता 2018-19 में इस योजना की दायरे में आए। योजना की शुरुआत 1 मई 2016 को हुई थी।
घरेलू हवा जहरीली
भारत सरकार की उज्ज्वला योजना के बावजूद भारतीय रसोईघरों की हवा अब भी साफ नहीं है। यूनीवर्सिटी ऑफ कैलीफोर्निया, कॉर्नवेल यूनीवर्सिटी, मैक्स प्लांक इंस्टीट्यूट, आईआईटी दिल्ली द्वारा किए एक रिसर्च के अनुसार करीब १६ करोड़ परिवार आज भी ठोस ईंधन (लकड़ी, पत्ते, कंडे आदि) का इस्तेमाल करते हैं। ठोस ईंधन के इस्तेमाल से जो प्रदूषण पैदा होता है वह वाहनों के धुंए या पराली जलाने के धुंए से कहीं ज्यादा होता है। ठोस ईंधन जलाने से कार्बन मोनोऑक्साइड, फाइन पार्टिकुलेट मैटर समेत तमाम अन्य जहरीले तत्व पैदा होते हैं। रिपोर्ट बताती है कि वायु प्रदूषण के कारण हर साल ११ लाख भारतीयों की असमय मौत हो जाती है। इनमें से ८० फीसदी लोग घरेलू वायु प्रदूषण के शिकार होते हैं।