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Employment Rate: कोरोना महामारी के पहले साल घट गई थी बेरोजगारी दर, NSO के आंकड़े ने चौंकाया

Employment Rate: केंद्रीय सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के मुताबिक, कोरोना महामारी के पहले (2020-21) जॉब मार्केट पर असर नहीं पड़ा है यह 2019 – 20 से बेहतर ही रहा है।

Krishna Chaudhary
Published on: 15 Jun 2022 8:44 PM IST
The unemployment rate had decreased in the first year of the Corona epidemic, NSO figures surprised
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भारत में बेरोजगारी दर: Photo - Social Media

Employment Rate: केंद्र सरकार (Central government) ने कोरोना महामारी (corona pandemic) के दौरान बेरोजगारी को लेकर चौंकाने वाला दावा किया है। केंद्रीय सांख्यिकी (central statistics) और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के मुताबिक, कोरोना महामारी के पहले साल (2020-21) जॉब मार्केट (job market) पर असर नहीं पड़ा है यह 2019 – 20 से बेहतर ही रहा है।

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के पीरियॉडिक लेबर फोर्स सर्वे (periodic Labour force survey) (पीएलएफएस) के ताजा आंकड़ों के अनुसार, 2019 – 20 में बेरोजगारी दर 4.8 प्रतिशत थी जो कि 2020-21 में गिरकर 4.2 प्रतिशत पर आ गई थी। इस सर्वे में जुलाई 2020 से जून 2021 की अवधि की बात की गई है।

इस आंकड़े का मतलब है कि इस अवधि में जितने लोग रोजगार के लिए निकले थे, उनमें से केवल 4.2 प्रतिशत लोगों को ही रोजगार नहीं मिला था। 2020 में कोरोना महामारी के कारण लगे देशव्यापी सख्त लॉकडाउन के मद्देनजर यह आंकड़े चौंकाने वाले हैं। 2020-21 (जुलाई-जून) में शहरी इलाकों में बेरोजगारी दर 6.7 प्रतिशत और ग्रामीण इलाकों में 3.3 प्रतिशत पाई गई।

एलएफपीआर में भी वृद्धि (LFPR also increased)

एनएसओ के आंकड़ों के मुताबिक, लेबर फोर्स पार्टिसिपेशन रेट (एलएफपीआर) बढ़कर 41.6 प्रतिशत पर पहुंच गई है। जिसे चार सालों में सबसे ऊंचा बताया जा रहा है। 2019 – 20 (जुलाई-जून) की अवधि में यह 40.1 प्रतिशत था। एलएफपीआर का मतलब उन लोगों की संख्या जो या तो किसी रोजगार में लगे हुए हैं या रोजगार के लिए उपलब्ध हैं। इसका ऊंचा होने का मतलब है कि लोग रोजगार की उपलब्धता को लेकर निराशाजनक नहीं हैं। वहीं वर्कर पॉपुलेशन रेशियो (डब्ल्यूपीआर) का मतलब होता है कि कुल आबादी में उन लोगों का प्रतिशत जिन्हें रोजगार उपलब्ध है। आंकड़े के मुताबिक, डब्ल्यूपीआर 2020-21 (जुलाई-जून) में 36.3 प्रतिशत था।

आंकड़ें पर क्यों हो रही हैरानी

दरअसल केंद्र सरकार के ये आंकड़े उन आंकड़ों से पूरी तरह विपरीत हैं जो राष्ट्रीय और अंतराष्ट्रीय स्तर की समीक्षा में आ चुके हैं। उन आंकड़ों में यही सामने आया है कि महामारी के पहले साल में लाखों लोगों की जीविका छिन गई थी। विश्व बैंक के अनुसार तो भारत में बेरोजगारी (Unemployment in India) दर 8 प्रतिशत पर पहुंच गई थी। खूद भारत सरकार स्वीकार कर चुकी है कि कोरोना महामारी की पहली लहर में 1.45 करोड़ लोगों की नौकरियां चली गई थी। दूसरी लहर में यह आंकड़ा 52 लाख और तीसरी लहर में 18 लाख है।



Shashi kant gautam

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