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नहीं दिया बड़े डिपॉजिट का हिसाब तो लगेगा 50% टैक्स, 4 साल तक नहीं निकलेगा पैसा

पीएम मोदी के नोटबंदी के ऐलान के बाद भ्रस्ताचारियों की दूसरों के बैंक अकाउंट के जरिए ब्लैकमनी को व्हाइटमनी में तब्दील करने की कोशिशों को तगड़ा झटका लग सकता है। केंद्र सरकार ऐसी ही तैयारी में है। इस क्रम में अध्यादेश लाकर इनकम टैक्स लॉ में संसोधन किया जा सकता है। जिसके तहत अकाउंट में 30 दिसंबर 2016 तक जमा हुई बेहिसाब रकम पर कम से कम 50 फीसदी इनकम टैक्स लगेगा। इनकम टैक्स लॉ में संसोधन के प्रस्ताव पर गुरुवार शाम पीएम मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की मीटिंग में मंजूरी दी गई।

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Published on: 25 Nov 2016 3:57 PM GMT
नहीं दिया बड़े डिपॉजिट का हिसाब तो लगेगा 50% टैक्स, 4 साल तक नहीं निकलेगा पैसा
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नई दिल्ली: पीएम मोदी के नोटबंदी के ऐलान के बाद भ्रस्ताचारियों की दूसरों के बैंक अकाउंट के जरिए ब्लैकमनी को व्हाइटमनी में तब्दील करने की कोशिशों को तगड़ा झटका लग सकता है। केंद्र सरकार ऐसी ही तैयारी में है। इस क्रम में अध्यादेश लाकर इनकम टैक्स लॉ में संसोधन किया जा सकता है। जिसके तहत अकाउंट में 30 दिसंबर 2016 तक जमा हुई बेहिसाब रकम पर कम से कम 50 फीसदी इनकम टैक्स लगेगा। इनकम टैक्स लॉ में संसोधन के प्रस्ताव पर गुरुवार शाम पीएम मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की मीटिंग में मंजूरी दी गई।

सूत्रों के अनुसार, अगर कोई व्यक्ति पुराने नोटों की शक्ल में जमा की गई अघोषित राशि का खुलासा इनकम टैक्स ऑफिसर के समक्ष कर देता है तो उससे 50 फीसदी इनकम टैक्स वसूला जाएगा। 50 फीसदी टैक्स के बाद बची राशि में से आधी रकम यानी 25 फीसदी राशि पर चार साल की लॉक-इन पीरियड की भी बाध्यता होगी।

अगर अघोषित रकम का खुलासा नहीं किया गया और इनकम टैक्स डिपार्टमेंट इसका पता लगता है तो उस पर कुल 90 फीसदी टैक्स-पेनाल्टी वसूला जाएगा। इसका लॉक-इन पीरियड में लंबा हो सकता है।

सरकार एक बॉन्ड लाने पर भी विचार कर रही है। पुराने नोटों से यह बॉन्ड खरीदा जा सकता है। इसमें 25 फीसदी राशि के लिए चार साल की लॉक-इन पीरियड की बाध्यता होगी।

सूत्रों के मुताबिक नोटबंदी के बाद बैंकों में डिपॉजिट की जाने वाली रकम में काफी इजाफा हुआ है। जन-धन खातों में नोटबंदी के दो हफ्तों के अंदर ही 21 हजार करोड़ रुपए जमा हो गए। इतनी जल्दी इतनी बड़ी रकम जमा होने के बाद सरकार और इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की नजरें इस ओर भी हैं। ऐसी आशंका जताई जा रही है कि इन जन-धन खातों का इस्तेमाल ब्लैक मनी को व्हाइट करने मेें किया जा रहा है।

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