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Child Poverty: दुनिया में हर चौथा बच्चा भुखमरी का शिकार, भारत की हालत पाकिस्तान से भी बदतर

Child Poverty: दुनिया का हर चौथा बच्चा भुखमरी का शिकार है और अच्छे आहार के लिए संघर्ष कर रहा है। 181 मिलियन बच्चों में 65 फीसदी गंभीर भुखमरी में जीने को मजबूर हैं।

Neel Mani Lal
Written By Neel Mani Lal
Published on: 20 Jun 2024 3:55 PM IST
Child Poverty in India
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Child Poverty in India  (photo: social media )

Child Poverty: चाइल्ड पॉवर्टी यानी बच्चों में गरीबी की स्थिति के बारे में यूनिसेफ ने एक चौंकाने वाली रिपोर्ट जारी की है। रिपोर्ट के अनुसार भारत की स्थिति दुनिया के सबसे खराब देशों जैसी है। यहां बच्चों को उचित आहार नहीं मिलता है और भारत का हर चौथा बच्चा भुखमरी का शिकार होता है। रिपोर्ट के मुताबिक, भारत से अच्छी स्थिति पाकिस्तान की है। दक्षिण एशियाई देशों की बात करें तो चाइल्ड पॉवर्टी में भारत से खऱाब हालात अफगानिस्तान में हैं।

अच्छे आहार का संघर्ष

रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया का हर चौथा बच्चा भुखमरी का शिकार है और अच्छे आहार के लिए संघर्ष कर रहा है। 181 मिलियन बच्चों में 65 फीसदी गंभीर भुखमरी में जीने को मजबूर हैं। यूनिसेफ के आंकड़े बताते हैं कि विश्व स्तर पर 4 में से 1 बच्चा गंभीर श्रेणी में आता है और वह बहुत खराब आहार पर जीवन जी रहा है। यूनिसेफ ने 'चाइल्ड न्यूट्रीटन रिपोर्ट 2024' में 92 देशों पर रिसर्च किया। ये निष्कर्ष यूनिसेफ की वैश्विक 'बाल पोषण रिपोर्ट 2024' का हिस्सा हैं। उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार 92 देशों में गंभीर बाल खाद्य गरीबी में रहने वाले बच्चों का प्रतिशत बेलारूस में 1 फीसदी से लेकर सोमालिया में 63 फीसदी प्रतिशत तक है, जबकि भारत में यह प्रतिशत 40 फीसदीहै जिसे 'उच्च' श्रेणी में रखा गया है।

भारत, चीन, अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान उन 20 देशों में शामिल हैं, जहां "गंभीर बाल खाद्य गरीबी" है। यूनिसेफ बाल खाद्य गरीबी को बच्चों की जीवन के पहले 5 वर्षों में पौष्टिक और विविध आहार तक पहुंचने और उसका उपभोग करने में असमर्थता के रूप में परिभाषित करता है। गंभीर बाल खाद्य गरीबी को चलाने वाली ताकतों में "बच्चों के लिए खराब खाद्य वातावरण, खराब भोजन प्रथाएं और बच्चों और उनके परिवारों को प्रभावित करने वाली घरेलू आय गरीबी" शामिल हैं।


यूनिसेफ ने दी चेतावनी

रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि गंभीर बाल खाद्य गरीबी बाल कुपोषण को बढ़ावा दे रही है और गंभीर बाल खाद्य गरीबी में रहने वाले बच्चों का प्रतिशत स्टंटिंग (शरीर का विकास रुक जाना) के उच्च प्रसार वाले देशों में तीन गुना अधिक है। इस वैश्विक अध्ययन के निष्कर्ष भारत के लिए महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 (2019-21) में स्टंटिंग का प्रचलन 35.5 फीसदी पाया गया है। भले ही यह एनएफएचएस (2015-16) की तुलना में सुधार है, जब स्टंटिंग का प्रचलन 38.4 फीसदी था लेकिन कुपोषण चिंता का विषय बना हुआ है।

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि बचपन में अच्छे पोषण से वंचित बच्चे स्कूल में कम अच्छा प्रदर्शन करते हैं और वयस्कता में उनकी कमाई क्षमता कम होती है, जिससे वे गरीबी और अभाव के चक्र में फंस जाते हैं।


क्या है पैमाना

'बाल खाद्य गरीबी' को यूनिसेफ और डब्ल्यूएचओ आहार विविधता स्कोर का उपयोग करके मापा जाता है, जिसमें स्वस्थ विकास के लिए, बच्चों को आठ परिभाषित खाद्य समूहों में से कम से कम पांच खाद्य पदार्थों का सेवन करने की आवश्यकता होती है। खाद्य समूहों में सूचीबद्ध कुछ चीजों में स्तन का दूध, डेयरी, दालें, अनाज, अंडे, मांस, मुर्गी और मछली, विटामिन ए युक्त फल आदि शामिल हैं।



Monika

Monika

Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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