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अयोध्या- सुप्रीम कोर्ट में याचिका पर जावड़ेकर बोले, यह सरकार का कानूनी फैसला

अयोध्या विवाद पर केंद्र की पहल को पूरी तरह संवैधानिक बताते हुए बीजेपी के केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने सरकार की मंशा स्पष्ट की है। मंगलवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में जावड़ेकर ने कहा कि संवैधानिक बेंच ने ही यह कहा था कि सरकार को निर्णय करना है कि जो बाकी जमीन है उसका क्या किया जाए। ऐसे में सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से यथास्थिति के आदेश को बदलने का अनुरोध किया है।

Anoop Ojha
Published on: 29 Jan 2019 4:24 PM GMT
अयोध्या- सुप्रीम कोर्ट में याचिका पर जावड़ेकर बोले, यह सरकार का कानूनी फैसला
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नई दिल्ली: अयोध्या विवाद पर केंद्र की पहल को पूरी तरह संवैधानिक बताते हुए बीजेपी के केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने सरकार की मंशा स्पष्ट की है। मंगलवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में जावड़ेकर ने कहा कि संवैधानिक बेंच ने ही यह कहा था कि सरकार को निर्णय करना है कि जो बाकी जमीन है उसका क्या किया जाए। ऐसे में सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से यथास्थिति के आदेश को बदलने का अनुरोध किया है।

आपको बता दें कि केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी देकर 1993 में अधिग्रहीत 67 एकड़ जमीन को गैर-विवादित बताते हुए इसे इसके मालिकों को लौटाने की अपील की है। उन्होंने कहा, 'आज का सरकार का फैसला कानून के तहत है। यह केंद्र सरकार का ही अधिकार है कि गैरविवादित जमीन उसके मालिकों को वापस करे। यह जमीन मुक्त होने से बहुत सारा मार्ग प्रशस्त हो जाएगा।'

जावड़ेकर ने कहा कि केंद्र सरकार विवादित ढांचे वाले हिस्से को नहीं छू रही है। हम गैरविवादित भूमि को राम जन्मभूमि न्यास व अन्य को वापस करना चाहते हैं। उनकी जमीनें हैं, जो करना है वही करेंगे। उन्होंने कहा कि सरकार का कदम असंवैधानिक नहीं है। सुप्रीम कोर्ट से मंजूरी मिलने के बाद राम मंदिर बनाने की दिशा में न्यास आगे बढ़ सकता है। यह सरकार का निर्णय नहीं होगा।



वीएचपी और हिंदूवादी संगठनों ने स्वागत किया

राम जन्मभूमि विवाद मामले में केंद्र सरकार ने बड़ा दांव चला है। सरकार ने अयोध्या विवाद मामले में विवादित जमीन छोड़कर बाकी जमीन को लौटने और इस पर जारी यथास्थिति हटाने की मांग की है।सरकार ने अपनी अर्जी में 67 एकड़ जमीन में से कुछ हिस्सा सौंपने की अर्जी दी है। ये 67 एकड़ जमीन 2.67 एकड़ विवादित जमीन के चारो ओर स्थित है। सुप्रीम कोर्ट ने विवादित जमीन सहित 67 एकड़ जमीन पर यथास्थिति बनाने को कहा था। सरकार के इस कदम का वीएचपी और हिंदूवादी संगठनों ने स्वागत किया है।



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सुप्रीम कोर्ट ने जमीन केंद्र सरकार के पास ही रखने को कहा था

1993 में केंद्र सरकार ने अयोध्या अधिग्रहण ऐक्ट के तहत विवादित स्थल और आसपास की जमीन का अधिग्रहण कर लिया था और पहले से जमीन विवाद को लेकर दाखिल तमाम याचिकाओं को खत्म कर दिया था। सरकार के इस ऐक्ट को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। तब सुप्रीम कोर्ट ने इस्माइल फारुखी जजमेंट में 1994 में तमाम दावेदारी वाले सूट (अर्जी) को बहाल कर दिया था और जमीन केंद्र सरकार के पास ही रखने को कहा था और निर्देश दिया था कि जिसके फेवर में अदालत का फैसला आता है, जमीन उसे दी जाएगी। रामलला विराजमान की ओर से ऐडवोकेट ऑन रेकॉर्ड विष्णु जैन बताया था कि दोबारा कानून लाने पर कोई रोक नहीं है लेकिन उसे सुप्रीम कोर्ट में फिर से चुनौती दी जा सकती है।

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मुस्लिम पक्ष के वकील जफरयाब जिलानी का कहना

इस विवाद में मुस्लिम पक्ष के वकील जफरयाब जिलानी का कहना था कि जब अयोध्या अधिग्रहण ऐक्ट 1993 में लाया गया तब उस ऐक्ट को चुनौती दी गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने तब यह व्यवस्था दी थी कि ऐक्ट लाकर सूट को खत्म करना गैर संवैधानिक है। पहले अदालत सूट पर फैसला ले और जमीन को केंद्र तब तक कस्टोडियन की तरह अपने पास रखे। कोर्ट का फैसला जिसके भी पक्ष में आए, सरकार उसे जमीन सुपुर्द करे।

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मुस्लिम धर्मगुरु मौलाना सैफ़ अब्बास नक़वी ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। नक़वी ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दायर कर विवादित जगह पर यथास्थिति बनाये रखने को खत्म करने की अपील की है।

मौलाना सुफियान ने कहा कि जिस ज़मीन को लेकर रिट दाखिल हुआ है। उन पर पहले से सरकार का आर्डर है कि उस पर न तो कोई निर्माण कार्य कराया जा सकता है और न ही वहां पर कोई इबादत हो सकती है। ऐसे में सरकार एक नए विवाद को जन्म दे रही है।

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उधर शिया वक़्फ़ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिज़वी ने कहा कि केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में जो अर्ज़ी दाखिल की है। जो विवादित से अलग भूमि है। उस को वापस किया जाए। हम समझते हैं कि ये बहुत अच्छी पहल है क्योंकि उस भूमि का कोई विवाद नही है।

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महंत कन्हैया दास ने कहा कि श्रीराम जन्म भूमि न्यास की बहुत सी भूमि नरसिम्हा राव सरकार ने अधिग्रहण कर के1992 में सुप्रीम कोर्ट के हवाले कर दिया था। तभी से हमारी मांग थी कि हमें जो निर्विवाद भूमि है वो न्यायस को वापस कर दिया जाए ताकि वहां धार्मिक कार्यक्रम को कर सके। लेकिन ये हो नहीं सका। अब केंद्र सरकार इस कि मांग कर रही है। अयोध्या की संत समिति और सम्पूर्ण भारत के हिन्दू जनमानस इस का स्वागत कर रहा है। सरकार का कदम स्वागत योग्य है।

Anoop Ojha

Anoop Ojha

Excellent communication and writing skills on various topics. Presently working as Sub-editor at newstrack.com. Ability to work in team and as well as individual.

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