TRENDING TAGS :
हिंसा और युद्ध के चलते 6.5 करोड़ लोग विस्थापित जीवन जीने को अभिशप्त
योगेश मिश्र
लखनऊ। बड़े देशों का दिल छोटा हो गया है। यह बात प्रवासियों के मामले में बड़े देशों के स्टैण्ड को देखकर कही जा सकती है। हिंसा और युद्ध के चलते 6.5 करोड़ लोग विस्थापित जीवन जीने को अभिशप्त हैं।
ये भी देखें:बच्चो को लुभाने की बाजार की एक और चाल, अब जादुई मग
अमीर देशों के इस रवैये पर संयुक्त राष्ट्र संघ ने चिंता जाहिर की है। उसका मानना है कि राजनेताओं के बहकावे में आकर अमीर देश स्वार्थी हो गये है जिसके चलते प्रवासी और विस्थापितों की मुसीबतें और बढऩे वाली हैं।
ये भी देखें:रेल कर्मियों ने शुरू किया अभियान, अफसरों की पोल खोलेंगे
युनाइटेड नेशन्स हाई कमीश्नर फॉर रिफ्यूजीस के मुताबिक 6.5 करोड़ लोग दुनिया भर में विस्थापित हैं। इनमें 2.1 करोड़ शरणार्थी अकेले अफगानिस्तान, सीरिया और सोमालिया में हैं। एशिया प्रशांत क्षेत्र के देशों ने 14 फीसदी शरणाथियों को, अमेरिका ने 12 फीसदी शरणार्थियों को, यूरोप ने 6 फीसदी, अफ्रीका ने 29 फीसदी और खाड़ी देश तथा उत्तर अफ्रीका के देशों ने 38 फीसदी शरणार्थियों को अपने यहां जगह दी है।
लेकिन इनमें से तमाम देशों में शरणार्थी अच्छा जीवन नहीं जी पा रहे हैं। जबकि अमीर देश इन्हे अपने यहां जगह देते तो उनका जीवन स्तर कुछ अच्छा होता।
ये भी देखें:प्रदूषण और शहरीकरण के चलते 687 पौधों और जीवों की प्रजातियां संकट में
ये भी देखें:VIDEO: कंगना ने दिखाया वीडियो से बॉलीवुड का सच, किया तीखा वार
यूनाईटेड नेशंस के इस संगठन ने कहा है कि राजनेता प्रवासियों के लिये अपने देश के निवासियों के मन में नफरत पैदा कर रहे हैं। यही वजह है कि अमीर देश के निवासी शरणार्थियों को समस्या मानने लगे हैं। संगठन ने कहा है कि अमेरिका और यूरोपीय देशों में प्रवासी भेदभाव के ज्यादा शिकार हो रहे हैं।
अमीर देशों के सहयोग के बिना शरणार्थियों की समस्या का निदान कर पाना संभव नहीं है।