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JRD Tata: पायलट का लाइसेंस हासिल करने वाले पहले भारतीय, इसलिए करते हैं याद

उन्होंने इस्पात, इंजीनियरिंग, होटल, वायुयान और अन्य उद्योगों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनकी उल्लेखनीय सेवाओं के कारण ही उन्हें 1955 में पद्म विभूषण सम्मान दिया गया जबकि 1992 में उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया।

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Published on: 29 Nov 2020 11:05 AM IST
JRD Tata: पायलट का लाइसेंस हासिल करने वाले पहले भारतीय, इसलिए करते हैं याद
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JRD Tata: पायलट का लाइसेंस हासिल करने वाले पहले भारतीय, इसलिए करते हैं याद (Photo by social media)

नई दिल्ली: देश के मशहूर उद्योगपतियों में जेआरडी टाटा का नाम काफी सम्मान के साथ लिया जाता है। उनका पूरा नाम जहांगीर रतनजी दादाभाई टाटा था। वे देश के पहले लाइसेंसी पायलट थे और उन्होंने देश में पहली कमर्शियल एयरलाइन की नींव रखी थी।

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उन्होंने इस्पात, इंजीनियरिंग, होटल, वायुयान और अन्य उद्योगों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनकी उल्लेखनीय सेवाओं के कारण ही उन्हें 1955 में पद्म विभूषण सम्मान दिया गया जबकि 1992 में उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया। उनका जन्म 1996 में 29 जुलाई को पेरिस में हुआ था जबकि आज ही के दिन 1993 में स्विटजरलैंड के जेनेवा शहर में 89 वर्ष की उम्र में उनका निधन हुआ था।

फ्रांस में बीता था अधिकांश बचपन

जेआरडी टाटा अपने पिता रतनजी दादाभाई टाटा व मां सुजैन ब्रियरे की दूसरी संतान थे। उनके पिता देश के अग्रणी उद्योगपति जमशेदजी टाटा के चचेरे भाई थे। मां के फ्रांसीसी होने के कारण जेआरडी का बचपन का अधिकांश समय फ्रांस में ही बीता। यही कारण था कि फ्रेंच भाषा पर उनका अच्छा कमांड था।

मुंबई में प्रारंभिक शिक्षा के बाद उन्होंने इंजीनियरिंग की पढ़ाई कैंब्रिज विश्वविद्यालय से की। उन्होंने फ्रांसीसी सेना में एक वर्ष का अनिवार्य सैन्य प्रशिक्षण भी लिया था और उनकी इच्छा सेना में ही कार्य करने की थी मगर पिता की अनुमति न मिलने के कारण उन्हें सेना को छोड़ना पड़ा।

टाटा समूह का इस तरह किया विस्तार

उन्होंने बतौर इंटर्न टाटा एंड संस में 1925 में काम शुरू किया और अपनी मेहनत और लगन के बल पर 1938 में देश के सबसे बड़े औद्योगिक समूह टाटा एंड संस के अध्यक्ष बन गए। 14 उद्योगों के साथ समूह का नेतृत्व संभालने वाले जेआरडी की लगन और मेहनत को इसी बात से समझा जा सकता है कि जब 26 जुलाई 1988 को उन्होंने अध्यक्ष का पद छोड़ा तब टाटा समूह 95 उद्यमों का एक विशाल समूह बन चुका था।

व्यापारिक क्षेत्र में सफलता हासिल करने के साथ ही टाटा उच्च नैतिक मानकों के लिए भी जाने जाते थे। वे कर्मचारियों के कल्याण और सामाजिक सुरक्षा से जुड़ी नीतियों को लागू करने में भी हमेशा आगे रहे।

jrd tata jrd tata (PC: social media)

विमानन के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान

जेआरडी टाटा के नेतृत्व में ही 1945 में टाटा मोटर्स की स्थापना हुई और उन्होंने 1948 में भारत की पहली अंतरराष्ट्रीय एयरलाइन के रूप में एयर इंडिया इंटरनेशनल का शुभारंभ किया।

नेहरू सरकार ने उन्हें 1953 में एयर इंडिया का अध्यक्ष और इंडियन एयरलाइंस के बोर्ड का निदेशक नियुक्त किया था। अगले 25 वर्षों तक उन्होंने इस महत्वपूर्ण पद की जिम्मेदारी संभाली।

कई महत्वपूर्ण संस्थानों की स्थापना

देश में राष्ट्रीय महत्व के कई महत्वपूर्ण संस्थानों की स्थापना में भी उनकी भूमिका को याद किया जाता है। टाटा सामाजिक विज्ञान संस्थान (टीआईएसएस), टाटा मूलभूत अनुसंधान संस्थान (टीएफआर) और टाटा मेमोरियल सेंटर (एशिया का पहला कैंसर अस्पताल), इन सभी संस्थानों की स्थापना में जेआरडी का महत्वपूर्ण योगदान था।

विमानन क्षेत्र में उनकी उल्लेखनीय सेवाओं के लिए भारतीय वायुसेना ने किया था सम्मानित

भारतीय वायुसेना ने उन्हें ग्रुप कैप्टन की मानद उपाधि से सम्मानित किया था और बाद में उन्हें एयर कमोडोर के पद पर पदोन्नत किया गया। 1974 में उन्हें एयर वाइस मार्शल पद से सम्मानित किया गया था। विमानन के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए उन्हें कई अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार भी मिले।

1992 में मिला भारत रत्न

उनकी उल्लेखनीय सेवाओं के कारण भारत सरकार ने उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित किया था और बाद में 1992 में उन्हें भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया था।

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औद्योगिक और विमानन क्षेत्र में महत्वपूर्ण सेवाओं के बाद उन्होंने 29 नवंबर 1993 को जेनेवा शहर में आखरी सांसे लीं। संयोग से उनके जन्म और मृत्यु दोनों की तारीख 29 ही थी। अपनी सरलता, सौम्यता, शिष्टाचार, साफगोई और उदार व्यवहार के लिए उन्हें आज भी याद किया जाता है।

रिपोर्ट- अंशुमान तिवारी

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