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छोटा राजन ने अपनी दुश्मनी को बना दिया धर्मयुद्ध, 24 पॉइंट में जानिए डॉन का सफर
माफिया डॉन की बात हो और छोटा राजन की चर्चा न हो ऐसा हो नहीं सकता। मुंबई का एक टपोरी कैसे इंटरनेशनल डॉन बन बैठा और कैसे उसने कई देशों में अपना काला साम्राज्य बसा लिया। आज हम आपके सामने उसका काला चिट्ठा खोलने वाले हैं।
मुंबई : माफिया डॉन की बात हो और छोटा राजन की चर्चा न हो ऐसा हो नहीं सकता। मुंबई का एक टपोरी कैसे इंटरनेशनल डॉन बन बैठा और कैसे उसने कई देशों में अपना काला साम्राज्य बसा लिया। आज हम आपके सामने उसका काला चिट्ठा खोलने वाले हैं।
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राजेंद्र सदाशिव निखलजे मुंबई का एक टपोरी, जो फिल्म के टिकट ब्लैक किया करता था। पैसा और ताकत कमाने निकला तो पहला नाम मिला छोटा राजन। उसके बाद नाना, सेठ या फिर अन्ना जिसे जो मन में आया नाम दे दिया।
- राजेंद्र 1960 में चेम्बूर की तिलक नगर बस्ती में पैदा हुआ। उसके मां बाप को नहीं पता था कि जिसने जन्म लिया है, वो एक दिन देश और दुनिया को आतंक का नया पाठ पढ़ना सिखा देगा। सिर्फ 10 साल की उम्र में राजेंद्र ने टिकट ब्लैक करना शुरू किया। कुछ बड़ा हुआ तो वो राजन नायर ‘बड़ा राजन’ के गैंग में शामिल हो गया। राजेंद्र अपने तेज दिमाग और शातिराना हरकतों के चलते नायर के करीब आता गया और उसे नाम मिला छोटा राजन।
- बड़ा राजन की मौत छोटा राजन के लिए वरदान बन आई। उसने गैंग पर अपनी पकड़ मजबूत कर ली। मुंबई पर उसके कब्जे की तरफ ये उसका पहला कदम था। इसी दौरान उसको साथ मिला डॉन दाऊद इब्राहिम का।
- ये वो दौर था जब मुंबई में सिर्फ ये दो ही माफिया डॉन थे। डी कंपनी को इन दोनों ने हर उस धंधे में उतारा जहां से पैसा आ सकता था।
- वसूली, हत्या और तस्करी से शुरु हुआ सफर फिल्म फाइनेंस तक जा पहुंचा था। 1988 में पुलिस के दबाव के बाद ये दोनों दुबई भाग गए और वहां से मुंबई के साथ ही देश के अन्य हिस्सों में भी इनका धंधा चलता रहा। इसके साथ ही दुनिया के कई देशों में इन्होने अपना कारोबार फैलाया।
- दुबई में दाऊद और राजन को नया धंधा मिला क्रिकेट के सट्टे का। इसके बाद दाऊद और राजन ने दुनिया भर के सभी छोटे-बड़े माफिया सरगना को अपने साथ मिला हर देश में अपने पैर जमाए।
- 1993 तक इन्होनें दुनिया भर में लगभग 50 हजार करोड़ का साम्राज्य खड़ा कर लिया। इस दौरन दाऊद के संबंध कुछ आतंकी ग्रुप्स से भी बन चुके थे। ये ग्रुप्स भारत में उसकी मदद लेते और बदले में डालरों से पेमेंट करते थे।
- 1993 में ही दाऊद ने मुंबई में सीरियल बम ब्लास्ट करवाए। जब राजन को ये पता चला तो उसने दाऊद से अलग होकर अपना नया गैंग बना लिया। और जो दुश्मनी शुरू हुई वो आज भी चली आ रही।
दाऊद नहीं चाहता था कि राजन उससे अलग हो। इसका एक कारण ये भी हो सकता है कि दाऊद की मुहं बोली बहन सुनीता राजन की पत्नी है और ये शादी उसने ही करवाई थी।
- छोटा शकील और अन्य ने दाऊद को राजन के खिलाफ भड़का दिया और दोनों जानी-दुश्मन बन बैठे। दाऊद और उसके एक-दो साथी जो राजन को पसंद करते थे उन्होंने सुलह का प्रयास किया। लेकिन छोटा शकील ने छोटा राजन पर कई बार जानलेवा हमला करवाया, किस्मत थी की वो बच जाता था।
- कुछ का ये भी कहना है, कि दाऊद ही राजन के लोगों को हमलों के बारे में बता देता था। लेकिन छोटा शकील और अन्य के चलते वो खुल कर कुछ नहीं बोलता था।
- डी कंपनी के अंदर हिंदू-मुस्लिम को लेकर जड़ें गहरी हो चुकी थीं। दुबई में बैठा छोटा शकील किसी भी कीमत पर छोटा राजन को मारना चाहता था। उसने अपने सबसे खास शूटर शरद शेट्टी के साथ मिल राजन कि मौत की साजिश रची।
- साल 2000 में पिज्जा डिलीवरी ब्वॉय बनकर आए छोटा शकील के फंटरों ने बैंकॉक के एक होटल में राजन पर जानलेवा हमला किया। राजन पर कई राउंड फायरिंग हुई। लेकिन किसी तरह वो मौत को धोखा देने में कामयाब हो गया। इस हमले के बाद कहा गया, कि वर्तमान सुरक्षा सलाहाकार अजित डोभाल ने छोटा राजन को बचाने में अपनी ताकत लगा दी थी। लेकिन राजन ने बाद में इस बात से इंकार कर दिया था।
- मुंबई में बैठे छोटा राजन के भाई रवि और विमल शरद से बदला लेने के लिए तड़प रहे थे। 2003 में दुबई के एक क्लब में शरद शेट्टी की हत्या हुई और नाम आया इन दोनों का।
- 2003 के बाद राजन ने दुबई में अपना काम बंद कर मलेशिया का रुख किया। उसने वहां के सभी बड़े शहरों में डांस बार, डिस्को और नाइट क्लब खोले। इसके बाद उसने थाईलैंड के साथ ही युगांडा, कीनिया, साऊथ अफ्रीका सहित यूरोप में अपना कारोबार फैलाया। मजे की बात ये है, कि जिस डॉन के लिए इंटरपोल ने रेड कार्नर नोटिस ज़ारी किया था वो कई देशों में सम्मानित कारोबारी बना बैठा था।
- सुरक्षा एजेंसी के उच्चपदस्थ सूत्रों के मुताबिक आज दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में उसके पास 1 लाख करोड़ की नामी बेनामी संपत्ति है। मलेशिया में रहने के दौरान भी उसका मुंबई प्रेम कम नहीं हुआ वो हर साल वहां गणपति पूजन बड़ी धूमधाम से करवाता रहा और उसके कहने पर कई न्यूज़ चैनेल इसका लाइव भी दिखाते जो वो वहां बैठ कर देखता।
- अप्रैल, 2014 में सभी न्यूज़ चैनेल खबर दे रहे थे कि छोटा राजन की मौत किडनी ख़राब होने की वजह से हो गयी है। इसके बाद सामने आया राजन और उसने कहा मैं जिंदा हूं।
- देश में छोटा राजन पर लगभग 70 आपराधिक मामले दर्ज हैं। इनमें सबसे अधिक हत्या के मामले हैं। 2011 में मुंबई के पत्रकार ज्योतिर्मय डे (जेडे) की हत्या में भी उसका हाथ माना जाता है। राजन को शक था कि जेडे दाऊद का मुखबिर है।
मुंबई ब्लास्ट के बाद उसने अपनी छवि हिंदूवादी माफिया की बना ली थी। इसमें कुछ हद तक मीडिया का भी हाथ रहा है। छोटा राजन ने अपने शूटरों की खेप यूपी से तैयार की। क्योंकि तब तक यहां के लड़कों का कोई रिकार्ड मुंबई में नहीं था। वो वहां काम अंजाम देते और वापस आ जाते थे। राजन ने अपनी व्यक्तिगत लड़ाई को धर्मंयुद्ध बना दिया था।
- बाराबंकी,इलाहाबाद, अकबरपुर, सीतापुर, आजमगढ़ सहित पूर्वांचल के जिलों में उसने अपना जाल फैला लिया था। जहां लड़कों को बहला फुसला कर मुंबई ले जाया जाता। उनसे अपराध करवाया जाता था। इस काम के लिए उसने यूपी में राजेश यादव को लगा रखा था। राजेश किसी बड़ी कंपनी के अधिकारी की तरह पेश आता और शूटर मुंबई भेजता था।
- इनमें से जो अच्छा काम करते उनको दुनिया के कई और देश में भेज दिया जाता था। राजेश ने भी मुंबई में राजन के कहने पर कई हत्याकांड अंजाम दिए। यूपी का एक और माफिया डॉन बबलू श्रीवास्तव उसके करीब था। बबलू राजन के लिए भारत और नेपाल में काम करता था और उसने उसके कई दुश्मनों को ठिकाने भी लगाया।
- पिछले 15 वर्षों में छोटा राजन ने दाऊद के कई करीबियों को या तो मरवा दिया या फिर उनकी टिप सुरक्षा एजेंसियों को दी। ऐसा नहीं कि दाऊद और छोटा शकील ने उसको नुकसान नहीं दिया। उसे भी काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। अधिकतर करीबी या तो मार दिए गए या फिर वो जेल में हैं। नए लड़कों पर अब उसे विश्वास नहीं है उसे खबर मिली थी कि दाऊद उसे किसी भी हाल में मारना चाहता है। फिर चाहे इसके लिए 100-50 और को ही क्यों न मौत के घाट उतारा जाए।
- सूत्रों के मुताबिक अपनी जान बचाने के लिए उसने एक बार फिर अजीत से बात की। और योजना के तहत 25 अक्टूबर 2015 को इंडोनेशिया के बाली से उसकी गिरफ़्तारी हुई। इस दौरान वो एक बार भी परेशान नजर नहीं आया और उसे देख ऐसा लग रहा था कि जैसे उसे सुकून मिल रहा हो।
- सूत्र बताते हैं कि डोभाल में और उसके बीच डील ये हुई कि उसे मौत की सजा नहीं दी जाएगी। जेल में उसे आम कैदियों की तरह नहीं रहना होगा। उसके लिए जेल में सभी ज़रूरत की चीजें मौजूद होंगी। उसकी सुरक्षा विशेष कमांडों करेंगे। इसके बदले में वो दाऊद के बारे में सभी जानकारी साझा करेगा। उसके परिवार की सुरक्षा और उनसे किसी तरह का कोई सवाल जवाब नहीं होगा।
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