SC ST Reservation: आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का बृजलाल ने किया स्वागत, बोले-वंचित लोगों को इसका लाभ मिलना चाहिए

SC ST Reservation: उन्होंने कहा, इस वर्ग के वे लोग जो आरक्षण का लाभ लेकर वरिष्ठ अधिकारी बन चुके है, उनकी कई पीढ़िया लाभ पाकर संपन्न हो चुकी हैं, उनको इसका लाभ नहीं मिलना चाहिए।

Ashish Kumar Pandey
Published on: 2 Aug 2024 2:20 PM GMT
Rajya Sabha MP and Uttar Pradesh Scheduled Caste and Tribe Commission Chairman Brijlal
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यूपी अनुसूचित जाति और जनजाति आयोग के अध्यक्ष बृजलाल ने आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का किया स्वागत: Photo- Social Media

SC ST Reservation: राज्यसभा सांसद और उत्तर प्रदेश अनुसूचित जाति और जनजाति आयोग के अध्यक्ष बृजलाल ने अनुसूचित जाति/जनजाति आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिये गये निर्णय का स्वागत किया। उन्होंने कहा, इस वर्ग के वे लोग जो आरक्षण का लाभ लेकर वरिष्ठ अधिकारी बन चुके है, उनकी कई पीढ़िया लाभ पाकर संपन्न हो चुकी हैं, उनको इसका लाभ नहीं मिलना चाहिये। इस वर्ग के वंचित लोगों को इसका लाभ मिलना चाहिए।

भारतीय पुलिस सेवा के उत्तर प्रदेश कैडर के अधिकारी बृजलाल पूर्व मुख्यमंत्री मायावती के शासनकाल में पहले सहायक पुलिस महानिदेशक कानून व्यवस्था और फिर पुलिस महानिदेशक भी रहे। उन्हें अक्टूबर 2011 में प्रदेश का डीजीपी बनाया था और वे नवंबर 2014 में सेवा निवृत्त हुए थे। 2015 में उन्होंने राजनीति में आने का फैसला लिया और बहुजन समाज पार्टी का दामन छोड़कर भारतीय जनता पार्टी में आ गए।



सुप्रीम कोर्ट का फैसला

राज्य को सरकारी नौकरियों में आरक्षण देने के लिए अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों का उप-वर्गीकरण करने का अधिकार है। सुप्रीम कोर्ट के सात जजों की संविधान पीठ ने गुरुवार को बहुमत से यह फैसला दिया। संविधान पीठ ने 2004 में ईवी चिन्नैया मामले में दिए गए पांच जजों के उस फैसले को पलट दिया, जिसमें कहा गया था कि एससी/एसटी में उप-वर्गीकरण नहीं किया जा सकता है।

सुप्रीम कोर्ट ने बहुमत से दिए एक फैसले में कहा कि राज्यों के पास अधिक वंचित जातियों के उत्थान के लिए अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति में उप-वर्गीकरण करने की शक्तियां हैं।

एक जज ने जताई असहमति

सुप्रीम कोर्ट ने एससी/एसटी के भीतर उप-वर्गीकरण को बरकरार रखा। भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली सात सदस्यीय पीठ ने 6-1 के बहुमत से फैसला सुनाया कि राज्यों को अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) में उप-वर्गीकरण करने की अनुमति दी जा सकती है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि इन समूहों के भीतर और अधिक पिछड़ी जातियों को आरक्षण दिया जाए।

जस्टिस बेला त्रिवेदी ने बाकी जजों से असहमति जताते हुए आदेश पारित किया। सीजेआई ने कहा कि "हमने ईवी चिन्नैया मामले में दिए गए फैसले को खारिज कर दिया है। उप वर्गीकरण अनुच्छेद 14 का उल्लंघन नहीं करता है, क्योंकि उपवर्गों को सूची से बाहर नहीं रखा गया है।"

Shashi kant gautam

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