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UPA GOVT में हर महीने टेप होती थीं 9000 कॉल्स, चेक किये जाते थे 500 ई-मेल: RTI

आरटीआई रिपोर्ट के मुताबिक, मनमोहन सिंह के पीएम पद पर रहने के दौरान हर माह नौ हजार फोन कॉल्स रिकार्ड की जाती थी। इतना ही नहीं लगभग 500 ई-मेल्स की हर महीने चेकिंग की जाती थी। अब बताया जा रहा है की ये आरटीआई भी मनमोहन सरकार के समय की ही है।

Aditya Mishra
Published on: 22 Dec 2018 8:32 PM IST
UPA GOVT में हर महीने टेप होती थीं 9000 कॉल्स, चेक किये जाते थे 500 ई-मेल: RTI
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नई दिल्ली: कंप्यूटर और संचार उपकरणों की मानिटरिंग के मुद्दे पर राजनीति गरमाने लगी है। विपक्ष इस मुद्दे पर केंद्र सरकार पर हमलावर रुख अपनाएं हुए है। वहीं एक आरटीआई में खुलासा हुआ है कि इस मामले पर मोदी सरकार का सबसे ज्यादा विरोध करने वाली कांग्रेस पार्टी के सत्ता में रहने के दौरान भी कुछ इसी तरह के हालात थे।

आरटीआई रिपोर्ट के मुताबिक, मनमोहन सिंह के पीएम पद पर रहने के दौरान हर माह नौ हजार फोन कॉल्स रिकार्ड की जाती थी। इतना ही नहीं लगभग 500 ई-मेल्स की हर महीने चेकिंग की जाती थी। अब बताया जा रहा है की ये आरटीआई भी मनमोहन सरकार के समय की ही है। गृह मंत्रालय ने तब एक आरटीआई के उत्तर में यह माना था कि केंद्र सरकार हर माह औसतन 7500 से 9000 फोन कॉल्स को टेप करने के आदेश जारी करती है।

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बता दें कि, 6 अगस्त 2013 को प्रसेनजीत मंडल द्वारा दाखिल एक आरटीआई के जवाब में गृह मंत्रालय ने कहा था कि केंद्र सरकार हर महीने औसतन 7500 से 9000 फोन कॉल्स इंटरसेप्ट करने के आदेश जारी करती है। इसके साथ ही हर महीने औसतन 300 से 500 ई-मेल संदेशों के इंटरसेप्शन के आदेश दिए जाते हैं।

वहीं, दिसंबर 2013 को अमृतानंद देवतीर्थ द्वारा दाखिल एक आरटीआई के जवाब में गृह मंत्रालय ने जानकारी दी थी कि टेलिग्राफ ऐक्ट के तहत तमाम एजेंसियों को फोन कॉल्स और ईमेल इंटरसेप्शन के अधिकार दिए गए हैं। गृह मंत्रालय ने बताया था कि इंडियन टेलिग्राफ ऐक्ट के सेक्शन 5 (2) के प्रावधानों के तहत कानून प्रवर्तन एजेंसियों के पास कॉल्स व इमेल्स इंटरसेप्ट करने का अधिकार है। गृह मंत्रालय ने बताया था कि 10 एजेंसियों को यह अधिकार है।

आरटीआई के जवाब में इंटरसेप्शन के लिए अधिकृत एजेंसियों में आईबी, नार्कोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो, ईडी, सीबीडीटी, डायरेक्टोरेट ऑफ रेवेन्यू इंटेलिजेंस, सीबीआई, एनआईए, रिसर्च ऐंड ऐनालिसिस विंग, डायरेक्टोरेट ऑफ सिग्नल इंटेलिजेंस और दिल्ली पुलिस कमिश्नर का नाम शामिल है।

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ये है विवाद की वजह

20 दिसंबर 2018 को गृह मंत्रालय ने एक अधिसूचना जारी की थी जिसमें 10 एजेंसियों को यह अधिकार देने को कहा गया था कि वह किसी भी कंप्यूटर का डाटा एक्सेस कर सकती हैं। यह कार्य इंटरसेप्शन,मॉनिटरिंग व डिक्रिप्शन के मकसद से किया जाना है। इस मुद्दे पर कांग्रेस समेत पूरे विपक्ष ने सरकार को घेरते हुए जासूसी करने का आरोप लगाया है।

इसके जवाब में सरकार ने तर्क दिया कि ताजा आदेश में कुछ नया नहीं है। पूर्व की मनमोहन सरकार ने ही एजेंसियों को इसका अधिकार दिया था। विशेष बात यह है कि केंद्र सरकार के आदेश में जिन 10 एजेंसियों को अधिकृत किया गया है, 2013 की आरटीआई के जवाब में गृह मंत्रालय ने भी उन्हीं 10 एजेंसियों का जिक्र किया था।

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Aditya Mishra

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