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UPSC Lateral Entry: पीएम मोदी के निर्देश पर लेटरल एंट्री भर्ती का विज्ञापन रद्द

UPSC Lateral Entry: यूपीएससी ने हाल ही में केंद्र सरकार के भीतर विभिन्न वरिष्ठ पदों पर लेटरल भर्ती के लिए "प्रतिभाशाली और प्रेरित भारतीय नागरिकों" की मांग करते हुए एक विज्ञापन जारी किया था।

Neel Mani Lal
Published on: 20 Aug 2024 1:49 PM IST
UPSC Lateral Entry
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पीएम मोदी (Pic: Social Media)

UPSC Lateral Entry: पीएम मोदी के निर्देश पर केंद्र सरकार में लेटरल एंट्री का प्रस्ताव रद्द कर दिया गया है। केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने आज संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) के प्रमुख को पत्र लिखकर लेटरल एंट्री के लिए अपना विज्ञापन रद्द करने को कहा है। जितेंद्र सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देशों का हवाला देते हुए लेटरल एंट्री को संविधान में निहित समानता और सामाजिक न्याय के सिद्धांतों के साथ संरेखित करने की आवश्यकता पर बल दिया, विशेष रूप से आरक्षण के प्रावधान के संबंध में।

यूपीएससी ने हाल ही में केंद्र सरकार के भीतर विभिन्न वरिष्ठ पदों पर लेटरल भर्ती के लिए "प्रतिभाशाली और प्रेरित भारतीय नागरिकों" की मांग करते हुए एक विज्ञापन जारी किया था। इन पदों में 24 मंत्रालयों में संयुक्त सचिव, निदेशक और उप सचिव शामिल हैं, कुल 45 पद रिक्त हैं।

विपक्ष ने किया है विरोध

विपक्ष ने इस कदम को आरक्षण और कोटा प्रणाली पर हमला बता रहा है। कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, 'संविधान को तार-तार करने वाली भाजपा ने आरक्षण पर दोहरा हमला किया है। एक सुनियोजित साजिश के तहत, भाजपा जानबूझकर नौकरियों में ऐसी भर्तियां कर रही है, ताकि एससी, एसटी, ओबीसी वर्गों को आरक्षण से दूर रखा जा सके। तेजस्वी यादव ने भी इसे आरक्षण प्रणाली और डॉक्टर अंबेडकर की ओर से तैयार संविधान पर गंदा मजाक बताया। कांग्रेस नेता राहुल गांधी और सपा नेता अखिलेश यादव ने भी इसकी काफी आलोचना की गई। जिसका जवाब भाजपा ने यह कहकर दिया है कि इस अवधारणा को शुरू में कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार के तहत विकसित किया गया था।

क्या लिखा है पत्र में

अब केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह के पत्र में लिखा है, "2014 से पहले की अधिकांश प्रमुख पार्श्व प्रविष्टियाँ एड हॉक तरीके से की गई थीं, जिनमें कथित पक्षपात के मामले भी शामिल हैं। लेकिन हमारी सरकार का प्रयास प्रक्रिया को संस्थागत रूप से संचालित, पारदर्शी और खुला बनाना रहा है। प्रधानमंत्री का दृढ़ विश्वास है कि लेटरल एंट्री की प्रक्रिया को हमारे संविधान में निहित समानता और सामाजिक न्याय के सिद्धांतों के साथ जोड़ा जाना चाहिए, विशेष रूप से आरक्षण के प्रावधानों के संबंध में।"


क्या है लेटरल एंट्री?

लेटरल एंट्री का मतलब सरकारी विभागों में विशेषज्ञों को अनुबंध के आधार पर नियुक्त किया जाने की प्रक्रिया है। 2018 से केंद्र सरकार संयुक्त सचिव, निदेशक और उप सचिव के स्तर पर इस तरह की भर्तियां कर रही हैं। दरअसल, सरकार चाहती है कि निजी क्षेत्र के अनुभवी अधिकारियों को विभिन्न विभागों में नियुक्त किया जाए। इसके पीछे का सबसे बड़ा उद्देश्य नौकरशाही में अलग-अलग क्षेत्रों के विशेषज्ञों के कौशल का उपयोग करना है।

क्यों की जा रही है लेटरल एंट्री से भर्ती

सरकार का मानना है कि अपने-अपने क्षेत्र के विशेषज्ञों के आने से नीति निर्माण और कार्यान्वयन में सुधार होगा। इसके पीछे सरकार का उद्देश्य सरकारी क्षेत्र में निजी क्षेत्र के अनुभव को शामिल करना है। नीति आयोग ने भी एक रिपोर्ट में लेटरल एंट्री के जरिए विशेषज्ञों को सरकारी क्षेत्र में लाने की जरूरत जताई थी। 2019 में पहली बार 9 विशेषज्ञों को लेटरल एंट्री के जरिए संयुक्त सचिव के पदों पर नियुक्त किया गया था।


Jugul Kishor

Jugul Kishor

Content Writer

मीडिया में पांच साल से ज्यादा काम करने का अनुभव। डाइनामाइट न्यूज पोर्टल से शुरुवात, पंजाब केसरी ग्रुप (नवोदय टाइम्स) अखबार में उप संपादक की ज़िम्मेदारी निभाने के बाद, लखनऊ में Newstrack.Com में कंटेंट राइटर के पद पर कार्यरत हूं। भारतीय विद्या भवन दिल्ली से मास कम्युनिकेशन (हिंदी) डिप्लोमा और एमजेएमसी किया है। B.A, Mass communication (Hindi), MJMC.

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